Covishield News : फिर 4 से 8 हफ्ते में मिल सकती है कोविशील्ड की दूसरी डोज, नियम बदलने की सोच रही है सरकार
हाइलाइट्स:
- केंद्र सरकार कोविशील्ड की दो डोज के बीच गैप को फिर से कम करने का ऐलान कर सकती है
- टीकाकरण अभियान पर गठित वर्कफोर्स के प्रमुख ने कहा कि 4-8 हफ्ते हो सकता है गैप
- पहले यह गैप 6 से 8 हफ्ते का था, लेकिन 13 मई को सरकार ने बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया
नई दिल्ली
संभव है कि कोविड-19 महामारी से सुरक्षा देनेवाली वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) की दूसरी डोज फिर 4 से 8 हफ्ते के अंदर ही मिलने लगे। केंद्र सरकार ने 13 मई को कोविशील्ड के दो डोज के बीच गैप बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने का ऐलान किया था। इससे पहले, पहली डोज लेने के 6 से 8 सप्ताह के अंदर दूसरी डोज दिए जाने का प्रावधान है।
फिर से 4 से 8 हफ्ते करने पर विचार
सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच गैप को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।
दोनों डोज के बीच गैप बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर
अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं। कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी। वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे।’’
इंग्लैंड के आंकड़े से प्रभावित हो लिया था फैसला
स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार ‘‘एडेनोवेक्टर टीकों’’ से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे। अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड’ ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है।
अरोड़ा ने कहा, ‘‘इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके। वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था। हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं। इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया।
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का भी उदाहरण था सामने
उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था। बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है।
उन्होंने बताया, ‘‘खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है। मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।’’
13 मई को सरकार ने बढ़ाई थी गैप
उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन का जिक्र किया जिसमें आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना की गई। इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि आंशिक टीकाकरण और पूर्ण टीकाकरण दोनों की प्रभावशीलता 75 फीसदी है। यह अध्ययन अल्फा स्वरूप के संबंध में किया गया था जो पंजाब, उत्तर भारत और दिल्ली में पाया गया था।
अरोड़ा ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर में हुए अध्ययन के परिणाम भी इसके समान ही हैं जिसमें बताया गया कि कोविशील्ड के आंशिक टीकाकरण से 61 फीसदी तक बचाव हो सकता है और दो खुराकों से 65 फीसदी तक बचाव होता है। ध्यान रहे सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है।
सांकेतिक तस्वीर।
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