Covid Warriors: ‘ली है शपथ, कोविड जाने तक नहीं छोड़ेंगे अपने मरीजों का साथ’

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Covid Warriors: ‘ली है शपथ, कोविड जाने तक नहीं छोड़ेंगे अपने मरीजों का साथ’

नई दिल्ली: लेडी हार्डिंग हॉस्टिपल की सीनियर नर्सिंग ऑफिसर शिवानी शर्मा के लिए कोविड के आने के बाद से नर्सिंग का रूप पूरी तरह से बदल चुका है। शिवानी कालकाजी में रहने वाले अपने परिवार के पास डेढ़ साल में तीन-चार बार ही गई हैं। वह कहती हैं, मम्मी की सबसे ज्यादा फिक्र होती है, वह 80 साल की हैं। डेढ़ साल से मेरी कोविड ड्यूटी है, इसलिए मैं हॉस्टल में ही रहती हूं। मेरी मम्मी मेरे लिए बहुत परेशान हैं मगर मैं वीडियो कॉल पर उनसे बात कर लेती हूं। कोविड को लेकर पूरे परिवार को गाइड भी करती रहती हूं।

कोविड की दूसरी वेव के साथ पिछले दो महीने शिवानी के लिए कोविड ड्यूटी बहुत मुश्किल रही है। वह कहती हैं, हमारी ड्यूटी 8 घंटे की होती है और नाइट शिफ्ट 12 घंटे की। मगर मार्च-अप्रैल में हमें बड़ी तादाद में मरीज मिल रहे थे और हमारे करीब 100 स्टाफ मेंबर पॉजिटिव हो चुके थे। उस वक्त बहुत ज्यादा दिक्कत आयी। जहां 5-5 नर्स काम करते थे, वहां सिर्फ 1 से दो नर्स ने संभाला। ये बहुत बड़ी चुनौती थी। मरीज परेशानी में थे तो हमें काम पूरा करने के लिए लंबी शिफ्ट करनी पड़ती थी। हमारे ड्यूटी आवर्स 2 से 3 घंटे और बढ़ चुके थे। उस वक्त खाना-पीने, यहां तक कि चाय का टाइम ही नहीं था। हालात अब कुछ सुधरे हैं।

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पीपीई किट पहनकर घंटों मरीजों की देखरेख एक और मुश्किल चुनौती है। शिवानी कहती हैं, घंटों पीपीई किट पहनकर और दिक्कत होती है। कई बार एसी ठीक से काम नहीं कर रहा होता, उस वक्त हम पसीने में तर रहते हैं। सोडियम लॉस होता है और खाना-पीना वक्त पर नहीं, तो कमजोरी भी आती है। कोविड से पहले और कोविड के बाद के समय में यह सबसे बड़ा फर्क है।

नर्सेज डे भी शिवानी ने अपने मरीजों के साथ मनाया। वह कहती हैं, कोविड का डर हम पर हावी नहीं हो सकता। नर्सेज डे पर भी हमने शपथ ली कि जब तक हमारे देश से कोविड नहीं जाएगा, बिना डर के हम अपने मरीजों के साथ ही रहेंगे। हमारे लिए यह दिन खास था, तो हमने इसे अपने मरीजों के साथ ही सेलिब्रेट किया।

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शिवानी और उनकी टीम को हर दिन 200-250 मरीज देखते होते हैं और हॉस्पिटल में एडमिट करीब 40 मरीज भी उनकी जिम्मेदारी है। वह कहती हैं, जो मरीज सीरियस नहीं, उन्हें हम समझाकर होम आइसोलेशन में भेज देते हैं। वे डरे होते हैं और उनका डर बात करने से ही निकलेगा। इसलिए हम उन्हें हाइजीन से लेकर फिजियोथेरपी, ऑक्सिजन लेवल, फिजियोथेरपी, प्रोन पोजिशन के बारे में तो बता ही रहे हैं, साथ ही उनकी मेंटल हेल्थ पर भी कुछ हद तक ध्यान दे रहे हैं। मरीज डरे हुए हैं, तनाव हावी हो रहा है इसलिए उन्हें हौसला दिलाने की बहुत जरूरत है। जैसे नर्सेज डे पर ही ऑक्सिजन सपोर्ट पर एक मरीज हमारी हेल्थ टिप्स के बाद जोश में डांस करने लगी। मैं बता नहीं सकती है कितना अच्छा लगा हमें। यही जज्बा मरीजों में चाहिए। उनके इस हौसले से हमें और बढ़कर काम करने का मौका मिलता है।

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यह दिन दुनिया में नर्सिंग की संस्थापक की फ्लोरेंस नाइटिंगेल को श्रद्धांजलि देते हुए मनाया जाता है। अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने पहली बार नर्स डे मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था। इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति ड्विट डी.आइजनहावर ने की थी। पहली बार इसे साल 1965 में मनाया गया था। जनवरी, 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। इसी दिन यानी 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था।

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