Covid Poverty: कोरोना संकट के एक साल में करोड़ों लोगों पर पड़ी है गरीबी की मार, क्या कहती है रिपोर्ट

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Covid Poverty: कोरोना संकट के एक साल में करोड़ों लोगों पर पड़ी है गरीबी की मार, क्या कहती है रिपोर्ट

Covid Poverty: कोरोना संकट के एक साल में करोड़ों लोगों पर पड़ी है गरीबी की मार, क्या कहती है रिपोर्ट

हाइलाइट्स:

  • अप्रैल-मई 2020 में किए गए लॉकडाउन के बाद 10 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई
  • देश में ₹375 से कम कमाने वाले लोग नेशनल मिनिमम वेज की सीमा से नीचे कहे जा सकते हैं
  • अक्टूबर 2020 में 4 लोगों के परिवार की मासिक पर कैपिटा इनकम घटकर ₹4979 पर आ गई
  • 45 फ़ीसदी कामकाजी महिलाओं को लॉकडाउन की अवधि में जॉब से निकाल दिया गया

भारत में कोरोना संकट का सेकंड वेव (second wave) गंभीर रूप ले चुका है। इस वजह से देश के करोड़ों लोगों के जीवन यापन पर भारी असर पड़ा है। स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया (State of Working India) नाम की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पिछले साल अप्रैल-मई में किए गए लॉकडाउन (lockdown) के बाद 10 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। जून 2020 तक बहुत से लोग अपने घर वापस चले गए। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के आखिरी महीने तक भी देश में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को जीवन यापन के लिए काम-धंधा नहीं मिला।

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23 करोड़ लोगों पर महामारी का असर
अगर राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन (national minimum wage threshold) के आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो कोरोना महामारी की अवधि में 23 करोड़ लोग इसकी सीमा से नीचे चले गए। अनूप सत्पैथी की समिति ने यह सुझाव दिया था कि देश में ₹375 से कम कमाने वाले लोग नेशनल मिनिमम वेज की सीमा से नीचे कहे जा सकते हैं। अगर कोरोनावायरस संकट नहीं होता तो देश के ग्रामीण इलाकों में गरीबी में 5 परसेंटेज पॉइंट की कमी आ सकती थी। इसके साथ ही शहरी इलाकों में गरीबी में 1.5 परसेंटेज पॉइंट की कमी आने की उम्मीद थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 से 20 के बीच आम स्थितियों में 5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने में मदद मिल सकती थी।

लोगों की आमदनी पर असर
कोरोना संक्रमण की अवधि में लोगों की आमदनी पर भी असर पड़ा है। यह रिपोर्ट साल 2020 में कोरोनावायरस के लॉकडाउन की स्थितियों पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2020 में 4 लोगों के परिवार की मासिक पर कैपिटा इनकम घटकर ₹4979 पर आ गई। यह जनवरी 2020 में ₹5989 पर थी। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) के कंजूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे की मदद से तैयार की गई है। लोगों की आमदनी से संबंधित यह आंकड़े 2020 की जनवरी की कीमत पर आधारित हैं और इसे समय के साथ एडजस्ट किया गया है।

जॉब मार्केट का भी बुरा हाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाजी पुरुषों में से 61 फीसदी अपने जॉब में बने रहे और सात फीसदी की नौकरी छूट गई, जो कामकाज पर नहीं लौट पाए। महिलाओं के मामले में 19 फ़ीसदी जॉब में बनी रही और 45 फ़ीसदी को लॉकडाउन (lockdown) की अवधि में जॉब से निकाल दिया गया। कोरोना संकट का असर युवाओं पर अधिक पड़ा है। 15 से 24 साल के 33 फ़ीसदी कामकाजी युवाओं को दिसंबर 2020 तक भी नौकरी नहीं मिल पाई थी।

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