यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे मुख्य न्यायधीश को इस मामले में आतंरिक समिति ने बड़ी राहत दी है. आतंरिक समिति ने इन आरोपों का कोई भी ‘ठोस आधार’ न होने के कारण इस मामले में मुख्य न्यायधीश को क्लीन चिट दी है.
हालाँकि समिति को एकपक्षीय रिपोर्ट देनी पड़ी चूँकि 30 अप्रैल के बाद से शिकायतकर्ता ने जांच समिति में हिस्सा नही लिया. महिला ने इसके साथ ही एक विस्तृत बयां ज़ारी करके समिति के वातावरण को ‘बहुत ही भयभीत करने वाला’ बताया था. साथ ही अपना वकील न ले जाने के कारण भी आपत्ति उठाई थी. बाद में 1 मई को प्रधान न्यायधीश ने समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज दर्ज कराया.
आपको बता दें कि शीर्ष न्यायालय ने जस्टिस एसए बोबडे के नेतृत्व में 23 अप्रैल को इस समिति का गठन किया था. न्यायमूर्ती रमण ने बाद में इस समिति से इस्तीफा दे दिया था, उसके बाद न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को इस समिति में शामिल किया गया.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए 22 न्यायधिशों के घर पर एक हलफनामा भेजा था, जिसमे CJI रंजन गोगोई पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए गए थे, इसके बाद से ही इस आंतरिक समिति का गठन हुआ, जिसने CJI को क्लीन चिट दी है.