Chandigarh Nagar Nigam Result: बीजेपी 15 साल बाद पिछड़ी, केजरीवाल की AAP का कमाल…क्या यह पंजाब चुनाव का ट्रेलर है?
चंडीगढ़
पंजाब में विधानसभा चुनाव में चंद महीने बचे हैं। उससे पहले चंडीगढ़ नगर निगम के नतीजों ने सियासी दलों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। काउंटिंग के रुझान और नतीजों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। अब तक चंडीगढ़ नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा था। ऐसे में इन नतीजों को क्या पंजाब विधानसभा चुनाव का ट्रेलर कहा जा सकता है?
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों के नतीजे आ चुके हैं। इनमें से आम आदमी पार्टी 14, बीजेपी 10, कांग्रेस 5 और अकाली दल को एक सीट पर जीत मिल चुकी है। इन नतीजों को क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा सकता है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के चंडीगढ़ एडिशन की असिस्टेंट एडिटर शिमोना कंवर कहती हैं, ‘2017 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी से लोगों का जुड़ाव था लेकिन वह मेजॉरिटी में नहीं आ सकी थी। नगर निगम चुनाव के नतीजे पूरी तरह से नहीं आए हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि ये चुनाव कहीं न कहीं पंजाब के लोगों के विचार को रिफ्लेक्ट करते हैं। कांग्रेस के बारे में थोड़ा लोग सोच रहे थे कि वह आ सकती है। अकाली दल की तो उम्मीद भी नहीं थी। आम आदमी पार्टी का किसी ने सोचा नहीं था तो ऐसे में यह बहुत सरप्राइज वाला रिजल्ट है।’
पंजाब चुनाव पर एबीपी-सी वोटर्स के ताजा सर्वे में आम आदमी पार्टी 32 प्रतिशत वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। ऐसे में क्या अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव में कमाल कर सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के लिए काम कर चुकीं चंडीगढ़ की वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा कहती हैं, ‘आम आदमी पार्टी का ये डेब्यू था। इन्होंने बीजेपी के इतने दिग्गज हरा दिए। इनमें मेयर और पूर्व मेयर शामिल हैं। पंजाब चुनाव से पहले ये बहुत बड़े संकेत हैं। चंडीगढ़ के लोग हमेशा बुद्धिमानीपूर्ण फैसले के लिए जाने जाते हैं। इसका एक उदाहरण रविंदर बबला की पत्नी हैं, जो कांग्रेस कैंडिडेट के रूप में तीन हजार वोटों से जीती हैं। वही एक सिटिंग काउंसिलर थे। पिछली बार बीजेपी का क्लीन स्वीप था। पंजाब के लिए यह एक संकेत हो सकता है कि इस बार भी पंजाब में आम आदमी पार्टी तेजी से उभर रही है। जो चंडीगढ़ में होता है, उसका असर पंजाब के चुनाव पर जरूर पड़ता है।’
नतीजों पर चंडीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर सुमित सिंह श्योराण ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, ‘इसका सीधा असर पंजाब पर जाना है। पहले जो सर्वे आ चुके हैं, उनमें भी आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बढ़त बताई गई है। जितने भी बीजेपी के पूर्व मेयर थे वो या तो खुद लड़ रहे थे या अपने कैंडिडेट को लड़वा रहे थे, वह सभी हार गए हैं।’
पंजाब में क्या केजरीवाल को चेहरे की कमी खल रही है, इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा ने बताया, ‘निश्चित रूप से चेहरे की कमी है। लेकिन अगर आप देखेंगे तो नवजोत सिद्धू ने लगातार बयानबाजी करके अपना कद ही छोटा कर लिया है। इस समय कोई चेहरा नहीं है। चन्नी एक नया फेस हैं। सिद्धू के साथ ट्रस्ट फैक्टर नहीं है। वह अपनी पार्टी में ही स्थिर नहीं दिखते हैं। मुझे लगता है कि चेहरे की बजाए इस बार लोग विचारधारा को वोट करेंगे। हो सकता है कि 22 किसान संगठनों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा के बलवीर सिंह राजेवाल भी केजरीवाल के साथ आ जाएं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अंत तक सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं करते। आखिर में वो अपने पत्ते खोलते हैं। हो सकता है कि किसान समुदाय से किसी को वह आगे कर दें। चंडीगढ़ के चुनाव को देखें तो जाने-माने चेहरे हारे हैं। आम आदमी पार्टी के जितने भी लोग जीते हैं, वे सभी नए चेहरे हैं। मैंने इतने दिन नगर निगम कवर किया है, कभी इतने सारे नए फेस जीतते नहीं देखे।’
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर सुमित सिंह श्योराण कहते हैं, ‘चंडीगढ़ पंजाब के लिहाज से अहम है। सारे मंत्री, पूरी ब्यूरोक्रेसी और जितने भी पंजाब के मास्टरमाइंड हैं वो सभी चंडीगढ़ में हैं। शहर की 60 फीसदी आबादी पंजाब की है। ये समझ लीजिए यहीं से हवा बनती है। जनता ने कांग्रेस को देख लिया, अकाली दल-बीजेपी को भी देख लिया। चंडीगढ़ में पढ़े-लिखे लोग हैं। आम आदमी पार्टी की भले ही कितनी भी आलोचना हो लेकिन दिल्ली का जो शिक्षा, बिजली-पानी और स्वास्थ्य का मॉडल है, उसका असर चुनाव पर पड़ा है। पंजाब के लोग कहीं न कहीं सोच रहे हैं कि एक मौका आम आदमी पार्टी को दिया जाए।’
चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में 15 साल बाद किसी दल ने बीजेपी को पछाड़ा है। कांग्रेस से इस चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन आम आदमी पार्टी ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई ह। बीजेपी के मेयर रविकांत चुनाव हार गए हैं। वॉर्ड नंबर 17 से उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दमनप्रीत ने 828 वोटों से शिकस्त दी है।
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पंजाब में विधानसभा चुनाव में चंद महीने बचे हैं। उससे पहले चंडीगढ़ नगर निगम के नतीजों ने सियासी दलों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। काउंटिंग के रुझान और नतीजों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। अब तक चंडीगढ़ नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा था। ऐसे में इन नतीजों को क्या पंजाब विधानसभा चुनाव का ट्रेलर कहा जा सकता है?
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों के नतीजे आ चुके हैं। इनमें से आम आदमी पार्टी 14, बीजेपी 10, कांग्रेस 5 और अकाली दल को एक सीट पर जीत मिल चुकी है। इन नतीजों को क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा सकता है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के चंडीगढ़ एडिशन की असिस्टेंट एडिटर शिमोना कंवर कहती हैं, ‘2017 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी से लोगों का जुड़ाव था लेकिन वह मेजॉरिटी में नहीं आ सकी थी। नगर निगम चुनाव के नतीजे पूरी तरह से नहीं आए हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि ये चुनाव कहीं न कहीं पंजाब के लोगों के विचार को रिफ्लेक्ट करते हैं। कांग्रेस के बारे में थोड़ा लोग सोच रहे थे कि वह आ सकती है। अकाली दल की तो उम्मीद भी नहीं थी। आम आदमी पार्टी का किसी ने सोचा नहीं था तो ऐसे में यह बहुत सरप्राइज वाला रिजल्ट है।’
पंजाब चुनाव पर एबीपी-सी वोटर्स के ताजा सर्वे में आम आदमी पार्टी 32 प्रतिशत वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। ऐसे में क्या अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव में कमाल कर सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के लिए काम कर चुकीं चंडीगढ़ की वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा कहती हैं, ‘आम आदमी पार्टी का ये डेब्यू था। इन्होंने बीजेपी के इतने दिग्गज हरा दिए। इनमें मेयर और पूर्व मेयर शामिल हैं। पंजाब चुनाव से पहले ये बहुत बड़े संकेत हैं। चंडीगढ़ के लोग हमेशा बुद्धिमानीपूर्ण फैसले के लिए जाने जाते हैं। इसका एक उदाहरण रविंदर बबला की पत्नी हैं, जो कांग्रेस कैंडिडेट के रूप में तीन हजार वोटों से जीती हैं। वही एक सिटिंग काउंसिलर थे। पिछली बार बीजेपी का क्लीन स्वीप था। पंजाब के लिए यह एक संकेत हो सकता है कि इस बार भी पंजाब में आम आदमी पार्टी तेजी से उभर रही है। जो चंडीगढ़ में होता है, उसका असर पंजाब के चुनाव पर जरूर पड़ता है।’
नतीजों पर चंडीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर सुमित सिंह श्योराण ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, ‘इसका सीधा असर पंजाब पर जाना है। पहले जो सर्वे आ चुके हैं, उनमें भी आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बढ़त बताई गई है। जितने भी बीजेपी के पूर्व मेयर थे वो या तो खुद लड़ रहे थे या अपने कैंडिडेट को लड़वा रहे थे, वह सभी हार गए हैं।’
पंजाब में क्या केजरीवाल को चेहरे की कमी खल रही है, इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा ने बताया, ‘निश्चित रूप से चेहरे की कमी है। लेकिन अगर आप देखेंगे तो नवजोत सिद्धू ने लगातार बयानबाजी करके अपना कद ही छोटा कर लिया है। इस समय कोई चेहरा नहीं है। चन्नी एक नया फेस हैं। सिद्धू के साथ ट्रस्ट फैक्टर नहीं है। वह अपनी पार्टी में ही स्थिर नहीं दिखते हैं। मुझे लगता है कि चेहरे की बजाए इस बार लोग विचारधारा को वोट करेंगे। हो सकता है कि 22 किसान संगठनों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा के बलवीर सिंह राजेवाल भी केजरीवाल के साथ आ जाएं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अंत तक सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं करते। आखिर में वो अपने पत्ते खोलते हैं। हो सकता है कि किसान समुदाय से किसी को वह आगे कर दें। चंडीगढ़ के चुनाव को देखें तो जाने-माने चेहरे हारे हैं। आम आदमी पार्टी के जितने भी लोग जीते हैं, वे सभी नए चेहरे हैं। मैंने इतने दिन नगर निगम कवर किया है, कभी इतने सारे नए फेस जीतते नहीं देखे।’
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर सुमित सिंह श्योराण कहते हैं, ‘चंडीगढ़ पंजाब के लिहाज से अहम है। सारे मंत्री, पूरी ब्यूरोक्रेसी और जितने भी पंजाब के मास्टरमाइंड हैं वो सभी चंडीगढ़ में हैं। शहर की 60 फीसदी आबादी पंजाब की है। ये समझ लीजिए यहीं से हवा बनती है। जनता ने कांग्रेस को देख लिया, अकाली दल-बीजेपी को भी देख लिया। चंडीगढ़ में पढ़े-लिखे लोग हैं। आम आदमी पार्टी की भले ही कितनी भी आलोचना हो लेकिन दिल्ली का जो शिक्षा, बिजली-पानी और स्वास्थ्य का मॉडल है, उसका असर चुनाव पर पड़ा है। पंजाब के लोग कहीं न कहीं सोच रहे हैं कि एक मौका आम आदमी पार्टी को दिया जाए।’
चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में 15 साल बाद किसी दल ने बीजेपी को पछाड़ा है। कांग्रेस से इस चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन आम आदमी पार्टी ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई ह। बीजेपी के मेयर रविकांत चुनाव हार गए हैं। वॉर्ड नंबर 17 से उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दमनप्रीत ने 828 वोटों से शिकस्त दी है।