Bollywood Comedians: करण से पहले बॉलीवुड में इस जौहर की तूती बोलती थी, बेनजीर भुट्टो को ऑफर किया था रोल

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Bollywood Comedians: करण से पहले बॉलीवुड में इस जौहर की तूती बोलती थी, बेनजीर भुट्टो को ऑफर किया था रोल

Popular Comedy Actors: आज लोग निर्माता-निर्देशक करण जौहर को जानते हैं और कुछ उनके पिता यश जौहर को. लेकिन इनसे भी पहले इसी जौहर परिवार के एक एक्टर-कॉमेडियन ने फिल्म इंडस्ट्री में खूब तहलका मचाया था. नाम था, इंद्रसेन जौहर (1920-1984). जिन्हें लोग आई.एस. जौहर नाम से जानते थे. हिंदी फिल्मों में अपने खास अंदाज वाले जो कॉमेडियन हुए, उनमें आई.एस. जौहर एकदम अलग हैं. जौहर बेहद मुंहफट, हाजिर जवाब और हमेशा सरकार के विरुद्ध बोलने वाले. इंदिरा गांधी ने जब 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई, तो आई.एस. जौहर ने फिल्म बनाई थी, नसबंदी (1978). फिल्म में गाना थाः ‘क्या मिल गया सरकार इमरजेंसी लगा के/नसबंदी करा के, हमारी बंसी बजा के.’ सरकार ने फिल्म बैन कर दी.
नहीं लौटे घर
आई.एस. जौहर ऐक्टर से साथ राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर थे. तीन दशक के करिअर में उन्होंने करीब 60 फिल्मों में काम किया. उनका सेंस ऑफ ह्यूमर इतना शानदार था कि फिल्म फेयर पत्रिका में कई वर्षों तक वह पाठकों के सवालों के चुटीले जवाब देते थे. अपने दौर में वह इंडस्ट्री के सबसे पढ़-लिखे और जीनियस शख्स थे. राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में उन्होंने मास्टर्स डिग्री ली थी. साथ ही लॉ में बैचलर डिग्री हासिल की थी. 1947 में उनका पूरा परिवार एक शादी में तत्कालीन पाकिस्तान के पंजाब में चकवाल स्थित घर से पटियाला आया हुआ था. तभी देश विभाजन की घोषणा हुई. परिवार का कोई सदस्य सीमा पार करके नहीं लौटा. दो साल बाद आई.एस. जौहर फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई पहुंचे. वह रिश्ते में करण जौहर के पिता यश जौहर के बड़े चचेरे भाई थे और बॉलीवुड के महान निर्देशकों में शुमार यश चोपड़ा एक समय उनके सहायक निर्देशक थे.

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महमूद के साथ जोड़ी
1950 से 1980 तक वह हिंदी की यादगार फिल्मों, शर्त (1954), हम सब चोर हैं (1956), बेवकूफ (1960) और शागिर्द (1967) का हिस्सा रहे. कॉमेडियन-एक्टर महमूद के साथ उनकी जोड़ी इतनी जमी कि दोनों के नाम से उन्होंने फिल्में बनाईः जौहर-महमूद इन गोवा, जौहर महमूद इन कश्मीर, जौहर मेहमूद इन हांगकांग. वह पहले हिंदुस्तानी अभिनेता हैं, जिन्हें चर्चित और प्रतिष्ठित बाफ्टा (ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजनि आर्ट्स) की बेस्ट ऐक्टर कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था.
बेनजीर को ऑफर
आई.एस. जौहर निर्माता थे और अपनी फिल्मों के खुद राइटर-एक्टर होते थे. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद, 1972 में भारत-पाकिस्तान शिमला समझौते के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो के साथ उनकी बेटी बेनजीर भी भारत आईं तो आई.एस. जौहर ने उन्हें अपनी फिल्म में हीरोइन बनने का ऑफर दे दिया. पहली बार भारत आईं बेनजीर तब सिर्फ 18 साल की थीं. जौहर के प्रस्ताव ने भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में खूब चर्चा बटोरी. लेकिन बेनजीर ने विनम्रता से यह कहते हुए प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि वह जीवन में वह कुछ और करना चाहती हैं.

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