Board Exam 2023 : क्या सुबह 4.30 बजे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की घंटियां बजाने से बढ़ जाएगा पास परसेंटेज?

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Board Exam 2023 : क्या सुबह 4.30 बजे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की घंटियां बजाने से बढ़ जाएगा पास परसेंटेज?

Board Exam 2023 : क्या सुबह 4.30 बजे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की घंटियां बजाने से बढ़ जाएगा पास परसेंटेज?

चंडीगढ़: 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की तैयारी के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की इस बार कई नए तरीके शुरू किए जा रहे हैं। जिसमें पढ़ाई का वातावरण बनाने के लिए सभी धार्मिक स्थलों से मदद भी ली जाएगी। रोज सुबह धार्मिक स्थलों से अनाउसमेंट की जाएगी कि विद्यार्थी उठ जाएं और पढ़ाई में लग जाएं। इसके तहत सभी अभिभावक बच्चों को सुबह 4:30 बजे जगाएंगे। सुबह 5:15 बजे तक बच्चे पढ़ने लगेंगे। तेज आवाज में छात्रों के लिए वेकअप कॉल करने के मामले में सरकारी स्कूलों के रिटार्यड प्रिंसिपलों ने अलग-अलग राय दी है। किसी ने सरकार के फैसले को गलत बताया तो किसी ने वेकअप कॉल की बजाये कोचिंग की व्यवस्था करने की बात कही।

चरखी दादरी के रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी जयप्रकाश सभ्रवाल का मानना है कि विद्यार्थियों को सुबह उठाने की बजाये उसकी पढ़ाई के लिए गांव व कॉलोनी में ही कोचिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। ग्रामीण तबके में अभिभावकों में जागरूकता नहीं होने के कारण परीक्षा में अंक प्रतिशत नहीं बढ़ सकता। अवकाश के दिनों में संबंधित क्षेत्र के सरकारी टीचरों की ड्यूटियां लगाकर ग्राम पंचायत या संस्था के माध्यम से कोचिंग दी जाएगी तो रिजल्ट बेहतर आएगा।

छात्रों पर पड़ेगा प्रेशर
वहीं रिटायर्ड प्राध्यापक महाबीर आजाद शास्त्री का कहना है कि सुबह लाउडस्पीकर से विद्यार्थियों को जगाकर पढ़ाई शुरू करवाने का कोई फायदा नहीं है। ऐसे में तो विद्यार्थी पर प्रेशर पड़ेगा और सही तरह से पढ़ाई नहीं कर पाएगा। विद्यार्थियों को मोटीवेट करने के साथ-साथ कोचिंग की सही व्यवस्था होनी चाहिए।

बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को करना चाहिए जागरुक
रिटायर्ड प्रिंसिपल संतोष राठी का कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चे के अभिभावक उनकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। सरकारी स्कूलों में 90 प्रतिशत बच्चे मजदूर तबके के होते हैं। उनके परिवार की हालत ठीक नहीं होती। अधिकतर बच्चों के पिता शराब के नशे में धुत रहते हैं। जब परिवार वालों को बच्चों को घर पर पढ़ाने की बात की जाए तो उनका जवाब होता है कि बच्चे उनकी बात नहीं मानते। मुझे नहीं लगता शिक्षा विभाग का यह निर्णय सही है। क्योंकि ये जरूरी नहीं हर बच्चे के घर के मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा हो। इससे बेहतर के ही स्कूलों में एक्सट्रा क्लासेज लगा कर बच्चों को पढ़ाया जाया। बच्चों से ज्यादा उनके अभिभावकों को जागरुक करने की आवश्यकता है। वहीं अभिभावकों को अपने बच्चों की तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि वो घर पर भी अच्छे से पढ़ाई करें।

छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा
गुरुग्राम के जिला शिक्षा अधिकार इंदू बोकन की मानें तो बोर्ड का परिणाम पिछले वर्षों के मुकाबले और बेहतर हो इसका प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में सभी छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आगामी मार्च से परीक्षाओं की शुरुआत की जाएगी। ऐसे में अभी से स्कूलों द्वारा रणनीति तैयार की जा रही है।

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