Bihar News: ये नीतीश कुमार हैं जनाब! बीजेपी हो या आरजेडी, सभी के मंत्रियों को अफसरों से करते हैं ‘कंट्रोल’

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Bihar News: ये नीतीश कुमार हैं जनाब! बीजेपी हो या आरजेडी, सभी के मंत्रियों को अफसरों से करते हैं ‘कंट्रोल’

Bihar News: ये नीतीश कुमार हैं जनाब! बीजेपी हो या आरजेडी, सभी के मंत्रियों को अफसरों से करते हैं ‘कंट्रोल’

पटना: हालात चाहे जो हो, इतना तो तय है कि जब तक शासन की बागडोर नीतीश कुमार के हाथ में है तो वह किसी की मनमर्जी नहीं चलने नहीं देते हैं। यह चाहे बीजेपी नीत सरकार के साथ हो या आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार। आज अगर राजद कोटे के मंत्री नीतीश कुमार के निशाने पर हैं तो उसकी वजह भी है। यही वजह भी है कि राजद के दो मंत्री एक कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह और विधि मंत्री कार्तिकेय सिंह को मंत्री पद मुक्त होना पड़ा और अब जाने अंजाने में नीतीश कुमार के निशाने पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और राजस्व मंत्री आलोक मेहता चढ़ गए हैं। अब इसका हश्र क्या होगा यह मंत्रिपरिषद विस्तार के समय दिख सकता है।

क्यों है निशाने पर प्रो. चंद्रशेखर और आलोक मेहता

इसकी एक वजह तो है इन दोनों का विवादास्पद होना। प्रो. चंद्रशेखर ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर ही नकारात्मक बयानों के तीर चला दिए। राम को काल्पनिक बताकर हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई और वेबाजह A टू Z की नीति पर चलने की शुरुआत कर रहे तेजस्वी यादव के लिए एक सैटबैक था। खुद मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के लिए शिक्षा मंत्री को असहज कर गया।

राजस्व मंत्री आलोक मेहता भी अपने एक बयान के जरिए तेजस्वी यादव के A तो Z समीकरण को तोड़ते नजर आए। वह मौका था स्व. जगदेव प्रसाद की जयंती का, जब उन्होंने अपने संबोधन में काफी तीखी बात कह कर समरस समाज में भूचाल ले आया था। तब उनके बयान थे कि जो 10 प्रतिशत लोग सत्ता और सरकार में लाभांवित रहे हैं वह अंग्रेजों की दलाली करते थे और भी जाने क्या क्या करते थे। जगदेव बाबू इन्हीं 10 प्रतिशत आबादी के विरुद्ध आवाज बने थे। उनके इस बयान से काफी खलबली मच गईं थी।

शिक्षा मंत्री के विरुद्ध कमान कसने को केके पाठक को ले आए

एक लंबे शासन का अनुभव रखने वाले नीतीश कुमार बगैर कुछ कहे अपर मुख्य सचिव केके पाठक को शिक्षा विभाग लाकर प्रो. चंद्रशेखर को जवाब दे दिया। आज स्थिति यह है कि लगभग 20 दिन से भी ज्यादा हो गया शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर अपने विभाग नहीं गए। अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने भी इसका काट निकाल लिया है। अब वह बजट को तोड़ तोड़ कर काम करना शुरू कर दिया है। ताकि मंत्री के हस्ताक्षर की जरूरत न पड़े। ऐसे में शिक्षा मंत्री अपनी जिद पर अपने आवास में कैद हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काम होते दिखना चाहिए और वह काम केके पाठक करने में सक्षम हैं।

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राजस्व विभाग और नीतीश कुमार

राजस्व विभाग भले गठबंधन दल के साथी को मिलता रहा है, पर इस पर नियंत्रण हमेशा नीतीश कुमार रखते रहे हैं। इसके कारण भी हैं। यह अब नीतीश कुमार की विकास यात्रा के कारण हुआ हो या भी घटे क्राइम के कारण कि अचानक बिहार में जमीन का दाम बढ़ गये। राजस्व विभाग में सीओ और डीसीएलआर के पद काफी महत्वपूर्ण हो गए। जब जमीन के दाम आसमान छूने लगे तो जमीन के विवाद के मामले भी बढ़ते गए। ऐसा माना जाता है कि सीओ या डीसीएलआर वैसे ब्लॉक या जिले में जाने के लिए काफी पैसे खर्च करते हैं। यह शिकायत आम रही है। यही वजह भी है कि दलित नेता रमई राम राजस्व मंत्री थे तब भी और बीजेपी नेता रामनारायण मंडल जब राजस्व मंत्री थे तब भी इनके किए तबादले पर लोक लगी थी। हाल ही में रामसूरत राय जब राजस्व मंत्री थे तो इनके समय में भी ट्रांसफर के आदेश पर रोक लगी थी। इस बार भी राजस्व मंत्री आलोक मेहता की ओर से बनाई गई तबादले की सूची पर सीएम नीतीश कुमार ने मिली शिकायतों के आधार पर रोक लगा दी।
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क्यों रुका तबादला?

दरअसल, 30 जून को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता की तरफ से बिहार राजस्व सेवा के राजस्व अधिकारी एवं समकक्ष पद और अंचल अधिकारी एवं समकक्ष अंचल अधिकारी, प्रभारी अंचल अधिकारी, सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी, प्रभारी सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी, प्रभारी चकबंदी पदाधिकारी, राजस्व अधिकारी, राजस्व अधिकारी- सह-कानूनगो और सहायक चकबंदी पदाधिकारी पद पर पदाधिकारियों के ट्रांसफर किया था।
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तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं आलोक मेहता

ऐसे में सीएम नीतीश कुमार ने आलोक मेहता के तबादले के आदेश को रद्द कर यह संदेश तेजस्वी यादव को भी दे गए कि ट्रांसफर पोस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई थी। 30 जून को 510 लोगों के इस नोटिफिकेशन में छह महीने पहले तैनात किए गए अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था।
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अधिकारियों की सूचना पर सीएम का भरोसा

यह राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करने का तरीका है कि जो विभाग सहयोगी दल के पास है उस पर वह अपरोक्ष रूप से अपने खास विश्वासमंद अधिकारियों के सहारे नियंत्रण रखते हैं। यह उनकी खासियत है। सो, शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर और राजस्व मंत्री आलोक मेहता के लिए यह तरीका सिर्फ यह बताना है कि मनमर्जी नहीं चलेगी। सीएम को विश्वास में लेना होगा। यही नियति बीजेपी की थी और आरजेडी की भी।

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