Bihar News : खत्म हो सकती है बिहार सरकार के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता, जानिए क्यों ऐसा कहा पटना हाईकोर्ट ने

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Bihar News : खत्म हो सकती है बिहार सरकार के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता, जानिए क्यों ऐसा कहा पटना हाईकोर्ट ने

हाइलाइट्स

  • ‘खत्म हो सकती है बिहार सरकार के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता’
  • याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी
  • सरकार से मेडिकल कॉलेज में खाली पदों का ब्योरा तलब
  • बिहार सरकार ने माना- खाली पड़े कई पद

पटना:
पटना उच्च न्यायालय ने आशंका जताई है कि राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो सकती है क्योंकि इन संस्थानों में सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के 3,309 पदों में से 2,083 पद खाली थे। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने मंगलवार को इन कॉलेजों के 11 शिक्षण कर्मचारियों की ओर से दायर दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की।

याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की टिप्पणी
याचिकाकर्ताओं को पहले स्वास्थ्य विभाग ने पिछले 10-12 वर्षों में बिहार के विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया था। जिन लोगों को सहायक या एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्हें प्रोफेसर रैंक तक प्रमोशन दिया गया था। लेकिन बाद में सालों प्रोफेसर रहने के बावजूद एसोसिएट प्रोफेसर के लिए भी उनका चयन बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए किया गया।

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सरकार से मेडिकल कॉलेज में खाली पदों का ब्योरा तलब
वकील पीके शाही, वाईवी गिरी और शशि भूषण कुमार ने याचिकाकर्ता की तरफ से पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय का रुख किया और आग्रह किया कि संबंधित अधिकारियों को उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए और उन्हें रिक्त पदों की बड़ी संख्या के खिलाफ प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए। इसी केस की सुनवाई के दौरान
पीठ ने 12 जुलाई को राज्य सरकार से सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के स्वीकृत और खाली पदों का ब्योरा मांगा था।

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सरकार ने माना- खाली पड़े कई पद
सरकार ने एक पूरक हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत किया कि बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में तीन रैंकों के कुल 3,309 स्वीकृत पद थे और 2,083 खाली पड़े थे। सहायक प्राध्यापकों के 1,788 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 409 नियमित नियुक्त के रूप में कार्यरत हैं, 306 संविदा पर कार्यरत हैं तथा बाकी 1,073 पद रिक्त हैं। इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर के 1,039 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 257 पर नियमित नियुक्ति है। वहीं 100 अनुबंध के माध्यम से और 682 पद रिक्त हैं। प्राध्यापक पद पर 91 नियमित रूप से नियुक्त हैं, 63 संविदा पर हैं और 328 पद 482 स्वीकृत पदों के विरुद्ध रिक्त हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से रिक्त पदों को भरने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार के जवाब से कोर्ट असंतुष्ट
हालांकि पीठ असंतुष्ट रही और मुख्य सचिव को जवाब देने का निर्देश दिया कि तीनों रैंकों में रिक्त पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और याचिकाकर्ताओं की शिकायतों को दूर करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है, जो पहले से ही उच्च पद पर काम कर रहे थे।

पीठ ने यह भी देखा कि पटना हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने पिछले साल एक आदेश पारित किया था कि रिक्त पदों को नियमित नियुक्तियों से भरा जाए, न कि अनुबंध पर। कोर्ट इस मामले पर 17 अगस्त को फिर सुनवाई करेगी।

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