भोपाल में सड़कों पर उतरे गैस पीड़ित, बरसे सरकारों पर

189

भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब से 34 साल पहले दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को रिसी जहरीली गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। इस जहरीली गैस के दुष्प्रभाव से आज भी लोग जूझ रहे है, साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों के रवैए से नाराजगी है, रविवार की रात को सड़कों पर उतरे लोगों ने सरकार पर जमकर भड़ास निकाली।

BHOPAL GAS SURVIVED STEP DOWN ON THE ROAD DOING PROTEST AGAINST THE GOVERNMENTS 1 news4social -

 

राजधानी में गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे संगठनों ने श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया। इस मौके पर भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने शाहजहानी पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयेाजन किया। यहां मौजूद अब्दुल जब्बार ने सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि, सरकारें हमेशा गैस पीड़ितों के साथ छलावा करती रही है। यही कारण है कि, उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

इसी तरह संभावना ट्रस्ट कमला पार्क से इकबाल मैदान तक कैंडल मार्च निकाला गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में हर उम्र व वर्ग के लोग शामिल हुए। सभी ने अपने हक की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।

BHOPAL GAS SURVIVED STEP DOWN ON THE ROAD DOING PROTEST AGAINST THE GOVERNMENTS 2 news4social 1 -

भोपाल में गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि, प्रधानमंत्री मोदी का इस हादसे के लिए जिम्मेदार डावो केमिकल कंपनी के साथ सम्बन्ध है।

संगठनों के नेताओं ने कहा कि, मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से आपराधिक कंपनी का बचाव कर रहे है और पीड़ितों के प्रति लापरवाही बरती जा रही है। मोदी के संबंध वर्ष 2008 ही उजागर हो गए थे, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तब डाओ केमिकल ने गुजरात केमिकल्स एण्ड एल्कालिस के साथ संयुक्त कार्य करने की योजना बनाई थी। इतना ही नहीं जब मोदी प्रधानमंत्री की हैसियत से वर्ष 2015 में अमेरिका गए थे तब उन्होंने डाओ केमिकल के सीईओ को भोज पर बुलाया था और उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई थीं।

5c03eb5fb3bd0 -

अभी तक है पीडितों को मुआवजे का इंतजार

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी, ने ‘भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एण्ड एक्षन की रचना ढींगरा ने कहा, “2010 में कांग्रेस की सरकार को यह अहसास हुआ कि भोपाल पीड़ित को मिला मुआवजा अपर्याप्त है तो उन्होंने 1.2 अरब डॉलर के अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में सुधार याचिका पेश की थी। परन्तु पिछले सालों में कांग्रेस और भाजपा की सरकार द्वारा याचिका की त्वरित सुनवाई के“ लिए एक भी अर्जी पेश नहीं की गई है और तब से सुधार याचिका बगैर कार्यवाही के लंबित है।