Bhaichung Bhutia: बाईचुंग भूटिया AIFF अध्यक्ष बनने की रेस में, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से मिलेगी कड़ी टक्कर

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Bhaichung Bhutia: बाईचुंग भूटिया AIFF अध्यक्ष बनने की रेस में, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से मिलेगी कड़ी टक्कर


Bhaichung Bhutia: बाईचुंग भूटिया AIFF अध्यक्ष बनने की रेस में, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से मिलेगी कड़ी टक्कर

नई दिल्ली: दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी बाईचुंग भूटिया ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के आगामी चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। लेकिन इस पूर्व खिलाड़ी की राह आसान नहीं होगी क्योंकि राजनीतिक समर्थन वाले कई उम्मीदवार मैदान में हैं। पूर्व फुटबॉलर से राजनेता बने लोगों के अलावा राजनेता भी मैदान में हैं, जो खेल प्रशासन में शामिल होना चाहते हैं। इसके अलावा लंबे समय से खेल प्रशासक की भूमिका निभा रहे लोग भी एआईएफएफ में शीर्ष पद पर काबिज होने की इच्छा रखते हैं।

नामांकन दाखिल करने की समय सीमा शुक्रवार को खत्म हो गई। लंबे समय से लंबित रहे ये चुनाव 28 अगस्त को होने हैं। पूर्व कप्तान भूटिया के नाम का प्रस्ताव राष्ट्रीय टीम के उनके साथी रहे दीपक मंडल ने रखा और ‘प्रतिष्ठित महिला खिलाड़ी’ मधु कुमारी ने उनका समर्थन किया। भूटिया की सफलता के लिए हालांकि यह जरूरी होगा कि मतदाता सूची से पूर्व खिलाड़ियों को बाहर नहीं किया जाए। खेल की वैश्विक संचालन संस्था फीफा के नियम पूर्व खिलाड़ियों को मतदाता के रूप में स्वीकृति नहीं देते। सोमवार को इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की सुनवाई के बाद तस्वीर साफ होगी।

भाजपा नेता से मिलेगी टक्कर

भूटिया को सबसे बड़ी चुनौती मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर कल्याण चौबे से मिलेगी, जो पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। फुटबॉलर के रूप में चौबे भूटिया को कोई टक्कर नहीं देते लेकिन उनके नाम का प्रस्ताव गुजरात फुटबॉल संघ ने रखा है और अनुमोदन अरूणाचल प्रदेश ने किया है जो उनके प्रभाव को दिखाता है। भारत के दो सबसे बड़े राजनेता (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह) गुजरात से हैं जबकि अरूणाचल प्रदेश पूर्व खेल मंत्री और मौजूदा कानून मंत्री किरेन रीजीजू का गृह राज्य है।

अध्यक्ष पद की दौड़ में आईएफए (पश्चिम बंगाल) अध्यक्ष अजीत बनर्जी भी हैं, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के बड़े भाई हैं। अगर उन्हें पार्टी नेतृत्व से अनुमति नहीं मिली होती तो वह मैदान में नहीं उतरते। सूची में तीसरे फुटबॉलर और सबसे कम उम्र के उम्मीदवार 36 वर्षीय भारत के पूर्व मिडफील्डर युगेंसन लिंगदोह हैं जो अब विधायक हैं। वह मेघालय में प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी यूनाईटेड डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कांग्रेस नेता भी मैदान में

कर्नाटक राज्य फुटबॉल संघ से एनए हैरिस भी दौड़ में हैं, जो कांग्रेस विधायक हैं और एआईएफएफ की राजनीति में बहुत सक्रिय हैं। राजस्थान के मानवेंद्र सिंह के रूप में कांग्रेस का एक अन्य सदस्य चुनौती पेश कर रहा है। वह पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ रह चुका है। वह लोकसभा सदस्य रहे हैं और पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह के बेटे हैं। फीफा में काम करने वाले फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन ने भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है लेकिन उन्हें भी पता है कि उनकी राह बिलकुल भी आसान नहीं होने वाली।

भूटिया ने ‘प्रतिष्ठित खिलाड़ी’ के रूप में नामांकन भरा है और उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रतिष्ठित खिलाड़ियों के प्रतिनिधि के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है। खिलाड़ियों को अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर मुझे उम्मीद है कि खिलाड़ियों को भारतीय फुटबॉल की सेवा करने का मौका मिल सकता है। हम दिखाना चाहते हैं कि हम न केवल खिलाड़ियों के रूप में बल्कि प्रशासक के रूप में भी अच्छे हो सकते हैं।’

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