शमी का पौधा किन धार्मिक और आयुर्वेदिक गुणों से लैस है?

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हमारा देश अनेक प्रकार की वनस्पतियों से लैस है। जो आयुर्वेदिक गुणों के साथ -साथ धार्मिक गुणों के कारण से भी विख्यात है। देशभर में कई ऐसे वनस्पति है जो मानव शरीर को कई रोगों से मुक्ति दिलाते है। इन्ही में से एक ऐसे वृक्ष के बारें में बताने जा रहे है जो कई गुणों से लैस है। शमी का वृक्ष भी अपने गुणों के कारण विख्यात है। अगर इस वृक्ष के खूबियों के बारें में जानेंगे तो आप भी आचार्यचकित रह जाएंगे।

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पुराणों मान्यता के अनुसार अगर घर में शमी का पेड़ लगाया जाए तो देवी-देवताओं का कृपा बनी रहती है और घर में सकारात्‍मक ऊर्जा के साथ सुख-समृद्धि भी का वास रहता है। भगवान शिव को शमी के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। रोजाना पूजा के वक्‍त उन्‍हें यह फूल अर्पित करने से भगवान प्रसन्‍न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से अपने भक्तों को रक्षा प्रदान करते है। इतना ही नहीं अगर शनि का ग्रहण दूर करना है और उनकी अस्सम कृपा प्राप्त करनी है तो शमी का पेड़ इस सन्दर्भ में काफी कारगर सिद्ध है। हर शनिवार शमी के पत्‍ते शनिदेव को चढ़ाने से शनि के दोष कम होते हैं।

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आपको बता दे धार्मिक ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से भी शमी का पेड़ लैस है। अगर आपकी आँखों में दर्द है तो ताम्र के बर्तन में शंख को दूध से घिस लें। इसे घी युक्त जौ, तथा शमी के पत्तों की धूम दिखाकर आंखों में लगाएं। इससे आँखों को राहत मिलेगी। बवासीर के मस्सों पर अभ्यंग के बाद अर्कमूल, तथा शमी की पत्तियों के धूम से धूपन करें। इससे लाभ होता है। शमी, मूली बीज, सहिजन के बीज, जौ एवं सरसों को कांजी से पीसकर, पेस्ट बना लें। इसका लेप करने से ग्रन्थि तथा गले के रोग में लाभ होता है।अगर दस्त में शमी के कोमल पत्ते, तथा मरिच से बने पेस्ट का सेवन करें। तो दस्त से जल्द से जल्द निजात मिलता है।