Akhilesh Yadav: अखिलेश यादव और राकेश टिकैत के सुर क्यों मिल रहे, क्या है माजरा?

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Akhilesh Yadav: अखिलेश यादव और राकेश टिकैत के सुर क्यों मिल रहे, क्या है माजरा?

Akhilesh Yadav: अखिलेश यादव और राकेश टिकैत के सुर क्यों मिल रहे, क्या है माजरा?

लखनऊ:लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। विपक्ष इस बार एक नए तेवर में नजर आता दिखाई दे रहा है। फिर चाहें बात यूपी में नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की हो या किसान नेता राकेश टिकैत की। जैसे-जैसे चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं, राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज होती जा रही है। जहां एक ओर अखिलेश यादव किसी भी मौके पर बीजेपी सरकार पर हमला करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। वहीं किसान नेता राकेश टिकैते भी दोबारा से किसान आंदोलन करने की बात कर रहे हैं। इस बीच राजनीतिक जानकार, किसान नेता राकेश टिकैत पर खासा नजर बनाए हुए हैं। एक ताजा बयान के बाद राजनीतिक जानकार अखिलेश यादव के साथ उनके अंदरखाने में अगर कोई नजदीकियां है, तो उसे तलाशने में जुट गए हैं। अखिलेश और टिकैते के बयानों की बात करें, उससे पहले आइए जानते हैं, आखिर इन दोनों के साथ आने की बात को हवा कहां से मिली…

बात यूपी विधानसभा चुनाव की है, जब अखिलेश यादव ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बातचीत के दौरान, किसान नेता बनकर उभरे राकेश टिकैत को खास ऑफर दिया था। इसके बाद से टिकैत के सपा का समर्थन करने की चर्चा जोर पकड़ गई थी। दरअसल अखिलेश ने कहा था कि कि अगर राकेश टिकैत चुनाव लड़ना चाहें, तो वे उनका स्वागत करेंगे। अखिलेश ने कहा कि राकेश टिकैत अगर हमारे साथ चुनाव लड़ेंगे तो मैं उनका स्वागत करता हूं। वे किसानों के एक बड़े नेता हैं, उनका आंदोलन भी राजनीति से दूर रहा है। ऐसे में ये फैसला उनको लेना है। अगर वे चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं, तो हम इसका स्वागत करेंगे।

जाहिर सी बात है, यूपी विधानसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय मुख्य विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष का ये बयान राजनीतिक गलियारों में गर्मी लाने के लिए काफी था। हालांकि, कयासों और चर्चाओं का दौर धीमे-धीमे शांत हो गया और टिकैत ने किसी भी रूप में सपा का साथ नहीं दिया। लेकिन साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर जहां एक बार फिर नेताओं में बयान बाजी तेज हो गई है। वहीं राजनीतिक जानकार अखिलेश और टिकैत के बयानों के सुरों के नोड मिला रहे हैं।

दरअसल, अखिलेश यादव ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी सरकार पर धांधली करते हुए चुनाव जीतने का आरोप लगाया था। कार्यक्रम में अखिलेश ने कहा कि चुनाव आयोग से हमें सबसे अधिक उम्मीद थी। लेकिन उन्होंने बीजेपी के इशारे पर, पन्ना प्रभारियों के इशारे पर जानबूझकर हर विधानसभा सीट पर 20 हजार यादव और मुसलमान वोटरों के नाम काट दिए। हमने पहले भी कहा और आज भी कहते हैं कि जांच करके देख लें 20-20 हजार वोट उड़ा दिए गए हैं। कईयों के नाम काट दिए गए। कई लोगों का बूथ चेंज कर दिया गया। इस बूथ से दूसरे बूथ पर पहुंचा दिया गया।’ उन्होंने कहा, ‘यह जनता की बनाई हुई सरकार नहीं है।

वहीं दूसरी तरफ राकेश टिकैत ने भी गुरुवार को मीडियाकर्मियों से मिलते समय आंदोलन की बात करते हुए बीजेपी के इलेक्शन में बेइमानी करने की बात कही। टिकैत ने कहा कि यह लोग इलेक्शन में बेइमानी से जीतने का काम करते हैं। उत्तर प्रदेश में यहां के अधिकारियों ने 100 सीटें बेइमानी से जिताई। 30 हज़ार से जीते कैंडिडेट को हरा दिया और हारे हुए को जीत का सर्टिफिकेट दे दिया।

अब इन दो बयानों में कितनी समानता है, और अगर है, तो इनसे यूपी की राजनीति के भविष्य का कितना सरोकार है, यह तो समय बताएगा। लेकिन ये कहना गलत न होगा कि अगर साल 2024 के चुनाव में दोंनों नेता हाथ मिलाते हैं, तो यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।

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