AIIMS की स्मार्ट लैब में एक सैंपल से दर्जनों जांच, 24 घंटे के अंदर मिल रही है रिपोर्ट

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AIIMS की स्मार्ट लैब में एक सैंपल से दर्जनों जांच, 24 घंटे के अंदर मिल रही है रिपोर्ट

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
आधुनिक तकनीक से लैस एम्स की स्मार्ट लैब मरीजों के लिए सुकून लेकर आई है। सिर्फ एक सैंपल में दर्जनों जांच संभव है। सबसे बड़ी बात यह है कि 24 घंटे के अंदर मरीज को रिपोर्ट पहुंच रही है। यही नहीं, अगर किसी मरीज की रिपोर्ट को लेकर डॉक्टर को संदेह है, तो एक बटन दबाने पर पुराने सैंपल से फिर रिपोर्ट तैयार की जा सकती है। जिस एम्स में ब्लड और यूरिन से जुड़ी जांच के लिए कई-कई दिन का इंतजार करना पड़ता था, अब ऐसी सभी जांचें एक दिन में हो रही हैं।

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एम्स के स्मार्ट लैब के प्रमुख डॉ. सुब्रत सिन्हा ने बताया कि पहले की तुलना में यह लैब पूरी तरह से ऑटोमेटिक और मैन्युअल फ्री है। इसमें अधिकांश काम ऑटोमेटिक है। यही वजह है कि कम समय में ज्यादा जांच की जा रही है। पूरी लैब मॉडर्न मशीन से लैस है। पहले हम रोजाना 1000 से 1200 सैंपल का ही टेस्ट कर पाते थे, अभी 3200 से ज्यादा सैंपल की जांच कर पा रहे हैं। अब हम इसे बढ़ाकर 5 हजार सैंपल तक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अमूमन एक सैंपल में औसतन 20 प्रकार के अलग-अलग टेस्ट करने होते हैं।

स्मार्ट लैब के इंचार्ज डॉ. सुदीप दत्ता ने कहा कि इस लैब की खास बात यह है कि अभी 85 तरह के टेस्ट कर रहा है, आने वाले समय में यह 270 तरह के टेस्ट करने में सक्षम हो जाएगी। जिस तरह की क्षमता है उसके अनुसार 2 लाख टेस्ट कर सकते हैं। जब यह पूरी क्षमता से काम करेगी तो औसतन हर महीने 5 लाख मरीजों को इसका फायदा होगा। यही नहीं, मरीज को पहले अलग-अलग जगहों पर सैंपल देना होता था, इस स्मार्ट लैब के शुरू होने से कम से कम उनका डेढ़ किलोमीटर चलना कम हो गया।

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डॉक्टर सुब्रत ने कहा कि पहले मरीज को अलग-अलग जांच के लिए अलग-अलग लैब में जाना होता था, कई बार सैंपल देना पड़ता था। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। एक बार सैंपल लिया तो उसी से सभी टेस्ट हो जाते हैं। इसमें जहां पर मरीज का सैंपल क्लेक्शन होता है, वहीं पर एक बारकोड दिया जाता है, उस बारकोड में मरीज की कौन-कौन सी जांच होनी है, इसके बारे में लिखा होता है। हर मशीन की अपनी-अपनी क्षमता है। अगर कोई मशीन 20 तरह का टेस्ट कर सकती है, लेकिन जब कोई सैंपल उस मशीन से गुजरता है तो बारकोड में जितने टेस्ट लिखे होते हैं, तो उतने के लिए सैंपल वह मशीन ले लेती है और सैंपल से भरे जार को दूसरे मशीन में भेज देती है। इसी तरह बाकी मशीन भी काम करती है।

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हर मशीन है आपस में कनेक्ट
डॉक्टर श्याम प्रकाश ने कहा कि हर मशीन एक-दूसरे से कनेक्ट है। पहली मशीन सैंपल के जार का ढक्कन हटाती है और उसे आगे बढ़ाती है। यह सब ऑटोमेटिक होता है। फिर एक ट्रैक बना हुआ है, मशीन अपने बारकोड के अनुसार जार से सैंपल लेती है और उसे आगे भेज देती है। बारकोड के अनुसार सभी टेस्ट हो जाते हैं तो ऑटोमेटिक रिपोर्ट तैयार हो जाती है और वह सेंट्रल सर्वर के जरिए अपलोड हो जाती है। मरीज की रिपोर्ट शाम तक तैयार हो जाती है और उन्हें दूसरे दिन इलाज से पहले मिल जाती है।

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इस लैब की खासियत बताते हुए डॉक्टर तुषार सहगल ने कहा कि स्मार्ट लैब के बाद गलती की संभावना कम हो गई है। एक सैंपल से सारी जांच की जा रही है। अगर किसी जांच रिपोर्ट पर डॉक्टर को संदेह है या डॉक्टर फिर से जांच कराना चाहते हैं, तो उसी सैंपल से जांच की जा सकती है। सैंपल तीन दिनों के लिए प्रिजर्व रखा जाता है, एक बटन दबाते ही सैंपल फिर से जांच के लिए अपने आप ट्रैक पर आ जाता है और जांच की जाती है। लेकिन तीन दिन के बाद सैंपल अपने आप डिस्पोज हो जाता है, इसके बाद मरीज को फिर से नया सैंपल देना पड़ता है। कुल मिलाकर एम्स की यह स्मार्ट लैब मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।

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