AI डीपफेक क्रिमिनल्स के आगे पुलिस बेबस, रश्मिका मंदना का वीडियो किसने बनाया पुलिस को नहीं पता | Police helpless in front of AI deepfake criminals they don't know who | Patrika News

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AI डीपफेक क्रिमिनल्स के आगे पुलिस बेबस, रश्मिका मंदना का वीडियो किसने बनाया पुलिस को नहीं पता | Police helpless in front of AI deepfake criminals they don't know who | Patrika News

AI डीपफेक क्रिमिनल्स के आगे पुलिस बेबस, रश्मिका मंदना का वीडियो किसने बनाया पुलिस को नहीं पता | Police helpless in front of AI deepfake criminals they don't know who | News 4 Social

एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के डीपफेक वीडियो से जुड़े मामले में दिल्‍ली पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा है। पकड़े जाने वालों ने ही वीडियो अपलोड किया था। वीडियो बनाने वाला/वाले अभी तक पुलिस के गिरफ्त से दूर हैं।

एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो किसने बनाया? इस सवाल का दिल्ली पुलिस के पास अभी तक पुख्ता जवाब नहीं है। पिछले महीने की स्टार्टिंग में ही मंदाना का डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर अचानक शेयर होने लगा था। करीब डेढ़ महीने की जांच में दिल्ली पुलिस ने जिन चार संदिग्धों को ट्रैक किया, वे सिर्फ अपलोडर थे। मतलब वीडियो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से जिन्होंने एडिट किया, किसी और के चेहरे पर रश्मिका का चेहरा लगाया, वह अभी तक कानून के शिकंजे से दूर हैं। AI के जरिए क्राइम की यह शुरुआत भर है।

AI को ‘संकटमोचक’, ‘फ्यूचर टेक्नोलॉजी’ जैसी न जाने कितने विशेषण दिए जा चुके हैं। रश्मिका डीपफेक वीडियो जैसे मामलों से AI को लेकर दुनियाभर में फैले कौतूहल के बीच उसके स्याह पहलू से रूबरू होने और निपटने का ढांचा तैयार करने की जरूरत महसूस होती है। अगर अपराधियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे बच निकलने की तरकीब निकाल ली तो कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी।

डीपफेक वीडियो, AI वॉयस की मदद से फर्जी फोन कॉल, फेक फोटो बनाकर ठगी… ऐसे मामले दिल्ली ही नहीं, कई राज्यों की पुलिस के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। पुलिस है कि अपराधी यूपी या यहां रास्ते नेपाल निकल सकते।

डीपफेक: अपराधियों के हाथ में खतरनाक हथियार, जानिए इसके बारे में सबकुछ
डीपफेक उस मीडिया (ऑडियो, वीडियो, फोटो वगैरह) को कहते हैं जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए छेड़छाड़ कर किसी के चेहरे पर दूसरे का चेहरा लगा दिया जाता है।

दरअसल ‘Deepfake’ दो शब्दों से मिलकर बना है- डीप लर्निंग और फेक। फोटो, वीडियो, ऑडियो इत्यादि को एडिट करने के टूल्‍स पहले भी उपलब्ध थे।

डीपफेक के साथ मशीन लर्निंग कई गुना बेहतर हुई है। डीपफेक मीडिया असली से इतना मिलता-जुलता है कि असली और फर्जी की पहचान कर पाना सामान्‍य यूजर के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है।

डीपफेक तकनीक ने आते ही दुनिया में हलचल मचा दी। अवैध गतिविधियों में इसके इस्तेमाल का खतरा पूरी दुनिया के सामने है।

किसी की पहचान चुराकर धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। फोटो-वीडियो में छेड़छाड़ कर एक्सटॉर्शन, ब्‍लैकमेल और सेक्सुअल हरासमेंट की शिकायतों का थानों में अंबार लगा है।

सेलिब्रिटीज के लिए खतरा कई गुना ज्‍यादा है। हाल ही में AI के जरिए टॉम क्रूज, अमिताभ बच्चन समेत कई मशहूर व्‍यक्तियों की आवाज यूज करते हुए लोगों को फोन किए गए और उनसे ठगी को अंजाम दिया गया।

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