AAP in Himachal: सिर्फ पोस्टरों में ‘आप’…चुनाव से पहले ही चक्रव्यूह में कैसे घिर गई केजरीवाल की पार्टी?

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AAP in Himachal: सिर्फ पोस्टरों में ‘आप’…चुनाव से पहले ही चक्रव्यूह में कैसे घिर गई केजरीवाल की पार्टी?

शिमला: पिछले हफ्ते ही आम आदमी पार्टी ने मिशन हिमाचल प्रदेश की शुरुआत की थी। हिमाचल के मंडी में पंजाब के सीएम भगवंत मान और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रोड शो कर शक्ति प्रदर्शन किया था। हालांकि महज हफ्ते भर में ही हालात ऐसे बदले कि आम आदमी पार्टी को वर्किंग कमिटी भंग करनी पड़ी। उधर बीजेपी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ पोस्टरों में रह जाएगी। हफ्ते भर पहले ही शुरू हुए आम आदमी पार्टी के इस मिशन को कैसे लगा झटका, जानिए-

6 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की अगुआई में AAP ने मंडी में तिरंगा यात्रा निकाली। इस दौरान तिरंगा लहराए गए। रोड शो में ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ गीत भी बजाया गया। रोड शो के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘पहले हमने दिल्ली में और फिर पंजाब में भ्रष्टाचार मिटाया, अब हिमाचल प्रदेश से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का समय आ गया है।’ उन्होंने हिमाचल में आम आदमी पार्टी को एक मौका देने की अपील की।

प्रदेश अध्यक्ष समेत कई नेता बीजेपी में शामिल
इस रोड शो ने काफी सुर्खियां बटोरी लेकिन दो दिन बाद शुक्रवार को पार्टी को पहला बड़ा लगा। AAP की हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनूप केसरी, महासचिव (संगठन) सतीश ठाकुर और ऊना जिला प्रमुख इकबाल सिंह राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके एक दिन बाद आम आदमी पार्टी की महिला इकाई की अध्यक्ष ममता ठाकुर भी पांच पदाधिकारियों के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया।

AAP को भंग करनी पड़ी वर्किंग कमिटी
एक के बाद झटके और दलबदल से परेशान आम आदमी पार्टी ने सोमवार को राज्य की कार्य समिति को भंग कर दिया। आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पार्टी के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश में जल्द ही नई कार्यसमिति का गठन किया जाएगा। उन्होंने ट्विटर पर पार्टी के फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की कार्यसमिति भंग कर दी गई है। जल्द ही नयी प्रदेश कार्यसमिति का गठन किया जाएगा।’

हिमाचल में तीसरा फ्रंट तैयार करने की थी पयोजना
गौरतलब है कि पंजाब फतह के बाद आम आदमी पार्टी अब धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में भी पैर पसारने लगी है। इसी साल के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। इसी के मद्देनजर AAP ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया। पिछले दिनों हिमाचल दौरे पर उन्होंने ऐलान किया था कि आम आदमी पार्टी इस बार सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा था कि AAP यहां बीजेपी और कांग्रेस के मुकाबले तीसरा फ्रंट तैयार करने की योजना में थी।

पिछले हफ्ते जब केजरीवाल और भगवंत मान ने रोड शो किया तो हिमाचल की घाटी में आम आदमी पार्टी की चर्चा जोरों पर होने लगी। लेकिन एक के बाद एक मिले बड़े झटकों से पार्टी बैकफुट पर आ गई है। इधर बीजेपी दावा कर रही है कि आने वाले दिनों में अभी आप के और नेता बीजेपी में आने की तैयारी कर रहे हैं।

AAP से क्यों खफा हैं उसके नेता?
बीजेपी में शामिल होने के बाद आप नेताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी उन्हें नजरअंदाज कर रही थी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने अनूप केसरी पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया जिसके बाद पूर्व आप अध्यक्ष ने भी उन पर जमकर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि यह उनके चरित्र हनन की कोशिश है। केसरी ने कहा कि अगर मनीष सिसौदिया ऐसा दावा कर रहे हैं तो पहले इसके सबूत और शिकायतें दिखाएं।

जेपी नड्डा के दौरे से बदला हिमाचल का माहौल
हिमाचल प्रदेश में आप की हालत देखते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी तंज कसा है। नड्डा ने कहा कि हिमाचल में मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगी। आप की मौजूदगी सिर्फ पोस्टर और बैनर में दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को अपने पाले में नड्डा का योगदान है। AAP ने दावा क‍िया था क‍ि द‍िल्‍ली, पंजाब के बाद अब ह‍िमाचल प्रदेश और गुजरात में पार्टी जीत के मुहाने पर है। ऐसे में बीजेपी ने आप को बड़ा झटका देते हुए प्रदेश नेतृत्व को अपने साथ कर ल‍िया। वहीं अब मह‍िला मोर्चा की पूरी टीम को भी बीजेपी में शाम‍िल करवा द‍िया।

आप का मिशन हिमाचल फ्लॉप
हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के पहले कोई असरदार थर्ड फ्रंट नहीं था। राज्य में बीजेपी और कांग्रेस ही दो बड़े प्लेयर रहे हैं। माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी की दमदार एंट्री के बाद दोनों पार्टियों का वोट फीसदी केजरीवाल की पार्टी की तरफ शिफ्ट हो सकता है। केजरीवाल और भगवंत मान के रोड शो के जरिए भी यह संदेश देने की कोशिश की गई लेकिन फिलहाल यह पैंतरा अभी विफल होता दिख रहा है।

हिमाचल प्रदेश में 168 विधानसभा सीटें
हिमाचल प्रदेश में कुल 12 जिले कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी, बिलासपुर, ऊना, चंबा, लाहौल-स्पीती, सिरमौर, किन्नौर, कुल्लू, सोलन और शिमला हैं। जबकि कुल 68 विधानसभा सीटें हैं। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है। फिलहाल यहां पर बीजेपी की सरकार है और जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

हिमाचल में पहली बार गैर कांग्रेसी सीएम
वैसे हिमाचल में बीजेपी और कांग्रेस की ही सरकारें बनती रही हैं लेकिन 1977 में यहां पहली बार गैर कांग्रेसी सीएम चुना गया था। शांता कुमार ने जनता पार्टी की तरफ से जून 1977 में सीएम पद की शपथ ली थी।



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