OPS: महाराष्ट्र में सड़क पर उतरे सरकारी कर्मचारी, शिंदे-फडणवीस सरकार के लिए गले की हड्डी बनी पुरानी पेंशन स्कीम
सरकारी कर्मचारियों ने मोर्चा निकाला
पुरानी पेंशन को फिर से लागू करना अगली सरकार पर वित्तीय बोझ सरकाने के समान होगा। फडणवीस ने सदन को आश्वासन दिया कि सत्र खत्म होने के बाद वह खुद सरकारी कर्मचारी यूनियनों, शिक्षकों यूनियन और वित्त सचिवों के साथ बैठक करेंगे, ताकि यह पता किया जा सके कि क्या राष्ट्रीय पेंशन योजना से बेहतर कोई व्यवहार्य समाधान है। सरकार के इस जवाब के बाद सरकारी कर्मचारियों ने नाराजगी दिखाई। कोल्हापुर जिले में शनिवार को अवकाश के बाद भी सरकारी कर्मचारियों ने मोर्चा निकाला, जिसमें कांग्रेस के नेता व विधान परिषद के सदस्य सतेज पाटील सहित महाविकास अघाड़ी सरकार के नेता शामिल हुए। राज्य के शिक्षक वर्ग ने समर्थन दिया है।
पाटील ने कहा कि देश में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जा रही है, तो फिर सवाल उठता है कि बीजेपी शासित राज्यों में पुरानी पेंशन क्यों लागू नहीं हो सकती? आने वाले दिनों में राज्य के प्रत्येक जिले में यह आंदोलन होगा। हम सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए मजबूर कर देंगे।
राज्य में 16 लाख कर्मी
राज्य में करीब 16 लाख 10 हजार सरकारी कर्मचारी हैं। इन सभी सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर राज्य सरकार को प्रति वर्ष 58 हजार करोड़ रुपये खर्च करने हैं। ऐसे में अगर पुरानी पेंशन योजना लागू होती है और इसे 2004 से लागू करने का फैसला किया जाता है, तो राज्य सरकार के खजाने पर 50 से 55 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। साथ ही, राज्य सरकार शिक्षकों की पेंशन पर 4 से 4.5 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय करेगी। ऐसे में सरकार के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना आसान नहीं होगा। 2030 में महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। अनुमान है कि तब तक 2.5 लाख से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे।