दिल्ली की सियासत के साथ अब तीन राज्यों में नजर आएगा राहुल और केजरीवाल का भरत मिलाप

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नई दिल्ली: साल 2019 के सबसे बड़े चुनाव को लेकर पार्टी के बीच आये दिन कोई ना कोई रणनीति बनती दिखाई दे रहीं है. जल्द ही 2019 लोकसभा चुनाव आने वाले है, और साथ ही विपक्षी एकता भी साथ आते दिख रहीं है. पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की खबरों ने तेज हवा पकड़ी हुई है. इस आगामी चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच होने वाली गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं में हडकंप सी मची हुई है, लेकिन उनका मानना है कि पार्टी के गठबंधन जैसा बड़ा निर्णय आलाकमान द्वारा ही किया जाएगा.

वहीं इस बात को लेकर आप के नेता, प्रदेश के नेताओं से बात करने की जगह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ संपर्क में रहने की कोशिशों में जुटे हुए है. दोनों पार्टियों का आपसी गठबंधन होना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इस बार सत्ता में आने से मोदी सरकार को रोका जा सकें. अब ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली व पंजाब में चार-चार व हरियाणा में एक सीट पर अपनी रजामंदी दे सकती है.

जानकारी के मुताबिक, अगर बीजेपी को दोबारा से सत्ता में आने से रोकना है तो कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करना अहम है ताकि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा का रोकने में कामयाबी मिल सकें. वहीं अगर आप की बात करे तो दिल्ली के अलावा बई अन्य राज्यों में आप को कुछ खास फायदा नहीं होने पर भी किसी न किसी तरह संसद में अपना प्रतिनिधित्व बनाए रखना चाहती है.

बता दें कि पंजाब में आप के अभी चार सांसद है जिनमें से तीन तो विद्रोह भी कर चुके है. आम आदमी पार्टी की छवि को पंजाब में काफी नुकसान पहुंचा है,  लेकिन अगर आने वाले लोकसभा चुनाव में दुबारा सीट जीतने के लिए अभी भी पार्टी में संदेह बरकरार है. वहीं दिल्ली में भी आप की हालत कुछ सही नहीं है. ऐसे में कांग्रेस के आलाकमान सिर्फ दिल्ली को नहीं बल्कि पूरे देश के हित को ध्यान में रख के इस अहम निर्णय में फैसला करेंगे. कांग्रेस को यह बात अच्छे से पता है कि उसी का वोट बैंक आप के पास है.

वहीं कांग्रेस के सभी नेताओं का कहना है कि अगर उनका गठजोड़ आप के साथ हो जाता है तो मजाक तो बनेगा पर फायदा भी मिलेगा. राजनीति में कोई धर्म नहीं होता. एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टियों का गठजोड़ देखने को साफ मिल रहा है. सभी विपक्षी पार्टियों का एक ही उद्देश्य है कि भाजपा को इस बार सत्ता में नहीं आने देना. ऐसे में कांग्रेस और आप का समझौता हो भी जाता है तो इसमें कोई भी नई बात नहीं है.