Delhi Metro: मेट्रो कोच की क्षमता 350 यात्रियों की, सफर कर रहे 25, फिर ये 50% कैसे?
हाइलाइट्स:
- लॉकडाउन 2.0 के बाद मेट्रो में सफर करना किसी सजा से कम नहीं
- उम्मीद थी कि अब इस हफ्ते शायद मेट्रो को भी कुछ राहत दे दी जाएगी
- लेकिन ऐसा नहीं हुआ और DDM ने पहले से चले आ रहे नियमों को ही जारी रखा
नई दिल्ली
लॉकडाउन 2.0 के बाद मेट्रो में सफर करना किसी सजा से कम साबित नहीं हो रहा। पीक आवर्स के दौरान पहले तो यात्रियों को स्टेशन के बाहर ही घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और अंदर प्रवेश करने के बाद भी कभी भीड़ बढ़ने की वजह से उन्हें ट्रेन छोड़नी पड़ती है, तो कभी उन्हें अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतरना पड़ रहा है, क्योंकि ट्रेन में भीड़ ज्यादा हो जाती है। ऐसे में अब लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जब दिल्ली में सबकुछ खुल चुका है और हर जगह लोगों की इतनी भीड़ हो रही है, तो फिर मेट्रो में यात्रा को आसान बनाने के बजाय और मुश्किल क्यों बनाया जा रहा है?
मॉल, मार्केट से लेकर रेस्टोरेंट और जिम तक के खुल जाने से लोगों को उम्मीद थी कि अब इस हफ्ते शायद मेट्रो को भी कुछ राहत दे दी जाएगी और यात्री क्षमता बढ़ा दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और डीडीएम ने पहले से चले आ रहे नियमों को ही जारी रखा गया है, जिसके चलते इस हफ्ते भी मेट्रो से यात्रा करने वालों को कोई राहत नहीं मिलने वाली हैं और उनकी मुश्किलें बरकरार रहेंगी। यह आलम तब है, जबकि लॉकडाउन के बाद मेट्रो का ऑपरेशन शुरू हुए एक महीना होने वाला है। इस दौरान परिस्थितियां भी काफी बदल चुकी है और अब लोगों को रोज ही अपने रोजमर्रा के कामों के लिए कहीं बाहर जाना पड़ रहा है। ऐसे में जिनके पास कोई प्राइवेट गाड़ी नहीं है, उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने पर भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसका असर दिल्ली की सड़कों पर भी साफ देखा जा रहा है, जहां ट्रैफिक काफी बढ़ गया है और रोज सुबह-शाम पहले की तरह जाम लगने लगा है।
मेट्रो के मामले में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब डीडीएमए ने अपने आदेश में क्षमता से 50 प्रतिशत लोगों को मेट्रो में सफर करने की अनुमति दी है, तो उसके बावजूद इतनी ज्यादा दिक्कत क्यों हो रही है कि मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद करने पड़ रहे हैं। इसकी वजह डीडीएमए के ही आदेश के एक अन्य हिस्से को माना जा रहा है, जिसमें यात्रियों के खड़े होकर मेट्रो में यात्रा करने पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है। जानकारों के मुताबिक, मेट्रो कोच का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया था कि उनमें ज्यादा से ज्यादा लोग खड़े होकर यात्रा कर सकें। मेट्रो कोच में सीटें तो केवल 50 या 55 ही होती है, जबकि 250 से 300 लोग उसमें खड़े होकर यात्रा करते थे। इस तरह एक कोच में पहले 300 से 350 लोग एक साथ सफर कर पाते थे और उसी को कोच की वास्तविक कपैसिटी माना जाता था।
दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने अपने आदेश में यात्री क्षमता से आधे यानी 50 पर्सेंट लोगों को ही यात्रा की इजाजत दी है। अगर मेट्रो कोच की वास्तविक क्षमता के हिसाब से आंकलन करें, तो फिर इस हिसाब से मेट्रो के हर कोच में अभी पाबंदियों के बावजूद कम से कम 150 लोग तो यात्रा कर ही सकते थे, लेकिन असल में हर कोच में केवल 25-30 लोग ही यात्रा कर पा रहे हैं, क्योंकि डीडीएमए ने मेट्रो में खड़े होकर यात्रा करने पर पूर्णत: पाबंदी लगा दी है और केवल सीटों की क्षमता के लिहाज से आधी सीटों पर यात्रियों को बैठने की इजाजत दी है। इस वजह से असल में मेट्रो कोच में उसकी क्षमता से आधे यानी 50 पर्सेंट यात्री भी नहीं, बल्कि सिर्फ 10 से 15 पर्सेंट यात्री ही सफर कर पा रहे हैं और उसी के चलते सारी समस्या खड़ी हो रही है।
यही वजह है कि डीएमआरसी लगातार प्रशासन से यह अनुरोध कर रही है कि कम से कम यात्रियों को कोच में थोड़ी थोड़ी दूरी पर खड़े होकर यात्रा करने की इजाजत दे दें, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। इसके लिए डीएमआरसी ने हर कोच के अंदर फ्लोर पर स्टीकर्स भी लगा रखे हैं ताकि खड़े होकर यात्रा करते वक्त भी सोशल डिस्टेंसिंग कायम रहे, लेकिन उनका अभी कोई फायदा नहीं हो रहा है।
दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
हाइलाइट्स:
- लॉकडाउन 2.0 के बाद मेट्रो में सफर करना किसी सजा से कम नहीं
- उम्मीद थी कि अब इस हफ्ते शायद मेट्रो को भी कुछ राहत दे दी जाएगी
- लेकिन ऐसा नहीं हुआ और DDM ने पहले से चले आ रहे नियमों को ही जारी रखा
लॉकडाउन 2.0 के बाद मेट्रो में सफर करना किसी सजा से कम साबित नहीं हो रहा। पीक आवर्स के दौरान पहले तो यात्रियों को स्टेशन के बाहर ही घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और अंदर प्रवेश करने के बाद भी कभी भीड़ बढ़ने की वजह से उन्हें ट्रेन छोड़नी पड़ती है, तो कभी उन्हें अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतरना पड़ रहा है, क्योंकि ट्रेन में भीड़ ज्यादा हो जाती है। ऐसे में अब लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जब दिल्ली में सबकुछ खुल चुका है और हर जगह लोगों की इतनी भीड़ हो रही है, तो फिर मेट्रो में यात्रा को आसान बनाने के बजाय और मुश्किल क्यों बनाया जा रहा है?
मॉल, मार्केट से लेकर रेस्टोरेंट और जिम तक के खुल जाने से लोगों को उम्मीद थी कि अब इस हफ्ते शायद मेट्रो को भी कुछ राहत दे दी जाएगी और यात्री क्षमता बढ़ा दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और डीडीएम ने पहले से चले आ रहे नियमों को ही जारी रखा गया है, जिसके चलते इस हफ्ते भी मेट्रो से यात्रा करने वालों को कोई राहत नहीं मिलने वाली हैं और उनकी मुश्किलें बरकरार रहेंगी। यह आलम तब है, जबकि लॉकडाउन के बाद मेट्रो का ऑपरेशन शुरू हुए एक महीना होने वाला है। इस दौरान परिस्थितियां भी काफी बदल चुकी है और अब लोगों को रोज ही अपने रोजमर्रा के कामों के लिए कहीं बाहर जाना पड़ रहा है। ऐसे में जिनके पास कोई प्राइवेट गाड़ी नहीं है, उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने पर भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसका असर दिल्ली की सड़कों पर भी साफ देखा जा रहा है, जहां ट्रैफिक काफी बढ़ गया है और रोज सुबह-शाम पहले की तरह जाम लगने लगा है।
मेट्रो के मामले में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब डीडीएमए ने अपने आदेश में क्षमता से 50 प्रतिशत लोगों को मेट्रो में सफर करने की अनुमति दी है, तो उसके बावजूद इतनी ज्यादा दिक्कत क्यों हो रही है कि मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद करने पड़ रहे हैं। इसकी वजह डीडीएमए के ही आदेश के एक अन्य हिस्से को माना जा रहा है, जिसमें यात्रियों के खड़े होकर मेट्रो में यात्रा करने पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है। जानकारों के मुताबिक, मेट्रो कोच का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया था कि उनमें ज्यादा से ज्यादा लोग खड़े होकर यात्रा कर सकें। मेट्रो कोच में सीटें तो केवल 50 या 55 ही होती है, जबकि 250 से 300 लोग उसमें खड़े होकर यात्रा करते थे। इस तरह एक कोच में पहले 300 से 350 लोग एक साथ सफर कर पाते थे और उसी को कोच की वास्तविक कपैसिटी माना जाता था।
दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने अपने आदेश में यात्री क्षमता से आधे यानी 50 पर्सेंट लोगों को ही यात्रा की इजाजत दी है। अगर मेट्रो कोच की वास्तविक क्षमता के हिसाब से आंकलन करें, तो फिर इस हिसाब से मेट्रो के हर कोच में अभी पाबंदियों के बावजूद कम से कम 150 लोग तो यात्रा कर ही सकते थे, लेकिन असल में हर कोच में केवल 25-30 लोग ही यात्रा कर पा रहे हैं, क्योंकि डीडीएमए ने मेट्रो में खड़े होकर यात्रा करने पर पूर्णत: पाबंदी लगा दी है और केवल सीटों की क्षमता के लिहाज से आधी सीटों पर यात्रियों को बैठने की इजाजत दी है। इस वजह से असल में मेट्रो कोच में उसकी क्षमता से आधे यानी 50 पर्सेंट यात्री भी नहीं, बल्कि सिर्फ 10 से 15 पर्सेंट यात्री ही सफर कर पा रहे हैं और उसी के चलते सारी समस्या खड़ी हो रही है।
यही वजह है कि डीएमआरसी लगातार प्रशासन से यह अनुरोध कर रही है कि कम से कम यात्रियों को कोच में थोड़ी थोड़ी दूरी पर खड़े होकर यात्रा करने की इजाजत दे दें, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। इसके लिए डीएमआरसी ने हर कोच के अंदर फ्लोर पर स्टीकर्स भी लगा रखे हैं ताकि खड़े होकर यात्रा करते वक्त भी सोशल डिस्टेंसिंग कायम रहे, लेकिन उनका अभी कोई फायदा नहीं हो रहा है।