हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर हनुमान काहे के…चिराग ने ऐसे किया चाचा से ‘जंग’ का शंखनाद
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में झगड़ा फिलहाल थमने की उम्मीद नहीं है। लोजपा नेता चिराग पासवान ने जदयू को अपनी पार्टी में विभाजन का जिम्मेदार ठहराते हुए चाचा और लोकसभा में संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस पर निशाना साधने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने साफ कहा कि वह शेर के बेटे हैं और पार्टी के लिए लड़ाई को तैयार हैं। चिराग पासवान यह लड़ाई खुद लड़ेंगे और किसी की मदद नहीं लेंगे, क्योंकि यह पूछे जाने पर कि क्या वह राम से मदद मांगेगे, तो उन्होंने कहा कि अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर वह हनुमान काहे के और वह राम काहे के।
पार्टी में विभाजन के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने खुद को लोजपा का अध्यक्ष बताया। पार्टी संविधान का हवाला देते हुए उन्होंने चाचा पारस की अगुवाई में लिए गए फैसलों को खारिज कर दिया। चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर पशुपति पारस को लोजपा का नेता नियुक्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
लोजपा के संविधान और खुद को पार्टी अध्यक्ष बनाए रखने के लिए कानून विशेषज्ञों की राय के बाद चिराग ने कहा कि यह लड़ाई लंबी है। उनके मुताबिक, लोकसभा या विधानसभा में नेता का चयन पार्टी संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड या पार्टी अध्यक्ष कर सकता है। वह मानते हैं कि पार्टी पर कब्जे के लिए चाचा पारस पूरी ताकत लगाएगें। इसलिए वह खुद को तैयार कर रहे हैं।
पार्टी से निकाले जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल तभी हटाया जा सकता है, जब उसकी मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा देता है। चाचा पशुपति पारस के लोकसभा में पार्टी के नेता बनने के बारे में पूछे जाने पर चिराग ने कहा कि चाचा उनसे कहते तो वह खुद उन्हें संसदीय दल का नेता बना देते।
हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े, तो हनुमान काहे के और राम काहे के
बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने खुद को हनुमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम कहा था। यह पूछे जाने पर कि क्या वह राम से मदद मांगेगे, तो उन्होंने कहा कि अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर वह हनुमान काहे के और वह राम काहे के। इसके साथ उन्होंने अकेले बिहार चुनाव लड़ने के अपने फैसले को भी सही ठहराया। साथ ही यह शिकायत भी परिवार के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया।
यह भी पढ़ें: पंजाब की ग्राम पंचायतों की संख्या कितनी है और इसका इतिहास क्या ?
Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc.