असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। असम में 800 से अधिक चाय बागान और 6 हजार से ज्यादा छोटे बागान हैं। करीब 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। चाय बागान में कामकाज शुरू होने और चाय की नीलामी आरंभ होने के बावजूद असम के चाय उद्योग को संभलने में समय लगेगा। अब तक असम के चाय उद्योग को बड़ा झटका लग चुका है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक इस दौरान राज्य के चाय उद्योग को लॉकडाउन के कारण तकरीबन 1218 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है।
नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन के सलाहकार बिद्यानंद बरकट की की ओर से दी गई जानकारी काफी चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि राज्य में चाय उत्पादन मौसमी प्रकृति का है। इस बार तीन माह के अनुत्पादक ऑफ-सीजन के बाद मार्च माह के दूसरे सप्ताह में ही नया सीजन शुरू हुआ था। लेकिन विगत 22 मार्च को कोरोना वायरस के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर घोषित लॉकडाउन के कारण राज्य के चाय बागान बंद हो गए थे। सीजन शुरू होने के चंद दिन बाद माह के दौरान पैदा होने वाली लगभग 30 मिलियन किग्रा चाय फसल का नुकसान झेलना पड़ा।
वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए जारी लॉकडाउन के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर असम के ज्यादातर चाय बागानों में काम शुरू हो गया है। इसलिए लॉकडाउन के संकट से गुजर रहे असम के चाय उद्योग के लिए नई उम्मीद जगी है। पहली बात तो यह कि असम के चाय बागानों में जरूरी दूरी रखते हुए चाय मजदूरों ने पत्तियां तोड़ना शुरू कर दिया है और चाय फैक्ट्रियों में चाय उत्पादन चल पड़ा है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि असम सरकार ने गुवाहाटी टी ऑक्शन में चाय की नीलामी की अनुमति दे दी है।
वहीं बात करे तो चाय उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में कई चाय बागानों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। चाय बोर्ड के अनुसार, भारत में जितने में भी चाय बागान हैं, उसमें से 18 प्रतिशत की स्थिति बहुत ही दयनीय है। देश के 16 राज्यों में चाय के बागान हैं।
असम भारत के उत्तरपूर्व में स्थित है और भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है. मॉल्टी असमिया चाय अधिकतर ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाई जाती है. घाटी के मध्य भाग में स्थित जोरहाट को अक्सर ’विश्व की चाय की राजधानी’ कहा जाता है.
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