ऊंचे पहाड़ों पर स्थित देवी माता के 10 प्रसिद्ध मंदिर

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मनसा देवी मंदिर, उत्तराखंड

यह मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है तथा हरिद्वार से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार मनसा देवी की उत्पत्ति ऋषि कश्यप के मन से हुई थी। यहां स्थापित पेड़ पर धागा बांधने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसके बाद पेड़ से एक धागा खोलने की परम्परा है।

तारा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश

तारा देवी मन्दिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 कि.मी. की दूरी पर स्थित शोघी में है। देवी तारा को समर्पित यह मंदिर, तारा पर्वत पर बना हुआ है।

तिब्‍बती बौद्ध धर्म के लोग भी देवी तारा को पूजते हैं, जिन्‍हें देवी दुर्गा की नौ बहनों में से नौवीं कहा गया है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 250 साल पहले बनाया गया था। यहां स्थापित देवी की मूर्ति को लेकर मान्यता है की तारा देवी की मूर्ति प. बंगाल से लाई गई थी।

शारदा माता मंदिर, मध्यप्रदेश

मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक छोटा सा नगर है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। मैहर में शारदा मां का प्रसिद्ध मन्दिर है, इसे देवी के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।

कहते हैं कि यहां पर देवी सती का हार गिरा था। मैहर वाली माता मंदिर मध्यप्रदेश राज्य की त्रिकुटा पहाड़ी पर बसा है।

चामुंडेश्वरी मंदिर, कर्नाटक

यह मंदिर चामुंडी पहाड़ी कर्नाटक के मैसूर में स्थित है। ये पहाड़ी बहुत ही पवित्र मानी जाती है क्योंकि यहां पर माता चामुंडा का मंदिर है।

मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में की गई थी। मंदिर परिसर में राक्षस महिषासुर की एक 16 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। जो यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

 

 कनक दुर्गा मंदिर, आंध्र प्रदेश

विजयवाड़ा स्थित ‘इंद्रकीलाद्री’ नामक इस पर्वत पर निवास करने वाली माता कनक दुर्गेश्वरी का मंदिर आंध्रप्रदेश के मुख्य मंदिरों में एक है। पहाड़ी की चोटी पर बसे इस मंदिर में श्रद्धालुओं के जयघोष से समूचा वातावरण और भी आध्यात्मिक हो जाता है।

यहां पहाड़ी को लेकर मान्यता है कि अर्जुन ने यहीं पर भगवान शिव की तपस्या की थी और उनसे पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। कहते हैं इस मंदिर की देवी प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थीं, इसलिए इसे बहुत ख़ास और शक्तिशाली माना जाता है।

अधर देवी मंदिर, राजस्थान

राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन माउंटआबू से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। अधर देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।

यहां मान्यता है कि अगर कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ देवी की पूजा करता है तो यहां उसे बादलों में देवी की छवि दिखती है।

 तारा तारिणी मंदिर, उड़ीसा

ओडिशा में बरहामपुर शहर के पास तारा तारिणी पहाड़ी पर स्थित मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह देवी मंदिर अपने-आप में बहुत ख़ास है क्योंकि यह मंदिर दो जुड़वां देवियों तारा और तारिणी को समर्पित है।

यह मंदिर देवी सती के 4 शक्ति पीठों के मध्य में स्थापित है, यानि इस मंदिर की चारों दिशा में एक एक शक्ति पीठ है।

 बम्लेश्वरी देवी मंदिर, छत्तीसगढ़

डोंगरगढ़ के पहाड में स्थित मां बम्लेश्वरी के मंदिर को छत्तीसगढ़ का समस्त जनसमुदाय तीर्थ मानता है। यहां पहाड़ी पर स्थित मंदिर पर जाने के लिये सीढ़ियों के अलावा रोपवे की सुविधा भी है। इस जगह का नाम डोंग और गढ़ शब्दों को मिलाकर बना है।

डोंग का अर्थ होता है पर्वत और गढ़ का मतलब होता है क्षेत्र। यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के डोंगरगढ़ में 1600 फ़ीट ऊंची पहाड़ी पर है। जहां पहुंचने के लिए लगभग 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

सप्तश्रृंगी देवी मंदिर, महाराष्ट्र

सप्तश्रृंगी देवी नासिक से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर 4800 फुट ऊंचे सप्तश्रृंग पर्वत पर विराजित हैं। यहां की देवी मूर्ती लगभग 10 फ़ीट ऊंची है। देवी मूर्ति के 18 हाथ हैं। जिनसे वे अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र पकड़ी हुई हैं।

यह मंदिर छोटे-बड़े सात पर्वतों से घिरा हुआ है इसलिए यहां की देवी को सप्तश्रृंगी यानी सात पर्वतों की देवी कहा जाता है।

वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर

यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर के गर्भ गृह तक जाने के लिए एक प्राचीन गुफा थी, जिसे अब बंद करके दूसरा रास्ता बना दिया गया है।

मान्यता है की माता ने इसी प्राचीन गुफा में भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था।