हाईफ्लड लेवल से नहीं नर्मदा के सामान्य जलस्तर से 300 मीटर दायरे में निर्माण प्रतिबंधित | Construction banned within 300 mtrs of normal water level of Narmada | Patrika News
नर्मदा मिशन के अध्यक्ष नीलेश रावल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर के प्रतिबंधित जोन में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। प्रतिबंधित जोन के 300 मीटर के दायरे में राइटेरियन जोन और हाई फ्लड लेबल जोन भी शामिल है। नदी के दोनों किनारों को राइटेरियन जोन की श्रेणी में रखा गया है। राइटेरियन जोन में प्राकृतिक रूप से ऊगने वाले पेड़-पौधे पानी को संरक्षित करने के साथ नदी को कटाव से बचाते है। बारिश के दौरान नदी के उच्चतम जलस्तर को हाई फ्लड लेबल जोन कहते है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार नदी के 300 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण और खुदाई नहीं की जा सकती है। याचिका में आरोप लगाया है कि तिलवारा में नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में बड़े स्तर पर निर्माण किए जा रहे हैं। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि 300 मीटर के दायरे में यदि निर्माण कार्य को नहीं रोका गया तो नर्मदा नदी का मूल स्वरूप परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाएगा। नदी के प्रतिबंधित जोन में किए जा रहे निर्माण को रोकने के लिए संभागायुक्त, कलेक्टर और नगर निगम को आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस मामले को हाईकोर्ट ने बाद में पूरे प्रदेश में नर्मदा तटों के लिए व्यापक कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य भर में नर्मदा के उच्चतम बाढ़ के स्तर से 300 मीटर दायरे के सभी निर्माण हटाकर रिपोर्ट पेश की जाए। राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।
उल्लेखनीय है कि 30 मई 2019 को हाईकोर्ट ने नर्मदा के 300 मीटर प्रतिबंधित दायरे में निर्माण पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को हाई फ्लड लेवल से तीन सौ मीटर के अंदर हुए निर्माणों का ब्यौरा पेश करने को कहा था। इस पर सरकार की ओर से यह जवाब दिया गया।
राजस्व रेकॉर्ड की जांच हो-
उन्होंने कहा कि इसकी बजाय आश्चर्यजनक तरीके से नर्मदा नदी के बेसिन में बने अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों को बचाया जा रहा है। राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों की मिलीभगत से नर्मदा किनारे की जमीनों को निजी व्यक्तियों के नामों पर शासकीय रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है।
इस निर्देश के पालन में सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि पहले भी बताया जा चुका है कि नर्मदा के हाई फ्लड लेवल से 300 मीटर का दायरा प्रतिबंधित नहीं है। बल्कि टीएनसीपी के नियमों के तहत नदी के सामान्य जलस्तर से 300 मीटर के दायरे में यह प्रतिबंध लागू होता है। इस पर कोर्ट ने जवाब की प्रति याचिकाकर्ता को प्रदान करने के निर्देश दिए।
नर्मदा मिशन के अध्यक्ष नीलेश रावल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर के प्रतिबंधित जोन में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। प्रतिबंधित जोन के 300 मीटर के दायरे में राइटेरियन जोन और हाई फ्लड लेबल जोन भी शामिल है। नदी के दोनों किनारों को राइटेरियन जोन की श्रेणी में रखा गया है। राइटेरियन जोन में प्राकृतिक रूप से ऊगने वाले पेड़-पौधे पानी को संरक्षित करने के साथ नदी को कटाव से बचाते है। बारिश के दौरान नदी के उच्चतम जलस्तर को हाई फ्लड लेबल जोन कहते है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार नदी के 300 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण और खुदाई नहीं की जा सकती है। याचिका में आरोप लगाया है कि तिलवारा में नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में बड़े स्तर पर निर्माण किए जा रहे हैं। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि 300 मीटर के दायरे में यदि निर्माण कार्य को नहीं रोका गया तो नर्मदा नदी का मूल स्वरूप परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाएगा। नदी के प्रतिबंधित जोन में किए जा रहे निर्माण को रोकने के लिए संभागायुक्त, कलेक्टर और नगर निगम को आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस मामले को हाईकोर्ट ने बाद में पूरे प्रदेश में नर्मदा तटों के लिए व्यापक कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य भर में नर्मदा के उच्चतम बाढ़ के स्तर से 300 मीटर दायरे के सभी निर्माण हटाकर रिपोर्ट पेश की जाए। राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।
उल्लेखनीय है कि 30 मई 2019 को हाईकोर्ट ने नर्मदा के 300 मीटर प्रतिबंधित दायरे में निर्माण पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को हाई फ्लड लेवल से तीन सौ मीटर के अंदर हुए निर्माणों का ब्यौरा पेश करने को कहा था। इस पर सरकार की ओर से यह जवाब दिया गया।
राजस्व रेकॉर्ड की जांच हो-
उन्होंने कहा कि इसकी बजाय आश्चर्यजनक तरीके से नर्मदा नदी के बेसिन में बने अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों को बचाया जा रहा है। राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों की मिलीभगत से नर्मदा किनारे की जमीनों को निजी व्यक्तियों के नामों पर शासकीय रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है।
इस निर्देश के पालन में सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि पहले भी बताया जा चुका है कि नर्मदा के हाई फ्लड लेवल से 300 मीटर का दायरा प्रतिबंधित नहीं है। बल्कि टीएनसीपी के नियमों के तहत नदी के सामान्य जलस्तर से 300 मीटर के दायरे में यह प्रतिबंध लागू होता है। इस पर कोर्ट ने जवाब की प्रति याचिकाकर्ता को प्रदान करने के निर्देश दिए।