हाइटेक हुए भगवान – अब दानपेटी नहीं क्यूआर कोड से करें दान

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हाइटेक हुए भगवान – अब दानपेटी नहीं क्यूआर कोड से करें दान

पंडित पूजा पाठ आदि की दक्षिणा तो लंबे समय से ऑनलाइन लेने लगे हैं, लेकिन अब भगवान को चढ़ाया जानेवाला दान भी क्यूआर कोड स्कैन कर चढ़ाया जा रहा है।

भूपेन्द्र सिंह.
इंदौर. आजकल डिजिटल लेनेदेन का काम इतना तेजी से बढ़ रहा है कि भगवान के मंदिरों में भी दान-दक्षिणा का काम ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से होने लगा है। अभी तक लोग दान-पुण्य के लिए केश का उपयोग करते थे, लेकिन बदलते समय ने इस लेनदेन का तरीका भी बदल दिया है, पंडित पूजा पाठ आदि की दक्षिणा तो लंबे समय से ऑनलाइन लेने लगे हैं, लेकिन अब भगवान को चढ़ाया जानेवाला दान भी क्यूआर कोड स्कैन कर चढ़ाया जा रहा है।

नहीं करना पड़ेगी दानपेटियों की अधिक सुरक्षा

दानपेटियों में अधिक दान आने पर उनकी सुरक्षा पर भी बहुत ध्यान रखा जाता है, कई छोटे मोटे मंदिरों से दान पेटियां भी चोरी हो जाती है, लेकिन ऑनलाइन दान करने से दानपेटियों की सुरक्षा की चिंता भी जिम्मेदारों को नहीं रहेगी और क्यूआर कोड स्कैन कर दान देने से राशि सीधे बैंक खाते में पहुंच जाएगी।

रणजीत हनुमान मंदिर में 40 फीसदी राशि ऑनलाइन ट्रांसफर

डिजिटल लेनदेन से अब भगवान का दर भी जुड़ गया है। जब हर लेनदेन ऑनलाइन हो रहा है तो दान कैसे पीछे रह सकता है। शहर के रणजीत हनुमान मंदिर में क्यूआर कोड और कार्ड से दान की व्यवस्था है। इसे भक्तों ने हाथों-हाथ लिया है। दान पेटी और ऑनलाइन आने वाले कुल दान में हर माह करीब 35 से 40 फीसदी राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की जा रही है। यह स्थिति बदलते दौर की नई तस्वीर पेश कर रही है।

करीब डेढ़ साल पूर्व रणजीत हनुमान मंदिर प्रबंधन ने दान पेटियों और अलग-अलग जगहों पर यूपीआइ ट्रांजेक्शन के लिए क्यूआर कोड लगाए थे। वहीं दान काउंटर पर दो स्वाइपिंग मशीन भी रखी गई है ताकि भक्त कार्ड से भी मंदिर के लिए दान दे सकें। दान व्यवस्था को ऑनलाइन करने का प्रतिसाद भी अच्छा मिल रहा है। जो भी दान आता है उसका उपयोग मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजन, संचालन, विकास कार्यों और गरीबों के लिए चलने वाली भोजनशाला आदि में उपयोग किए जाता है।

हर माह 2 लाख तक का दान
रणजीत मंदिर के प्रबंधक महेशचंद्र डाबी ने बताया, सितंबर में कार्ड से 98,965 और पेटीएम पर 1 लाख 35 हजार 560 रुपए आए। वहीं अगस्त तक आठ महीने के दौरान दान पेटी में 38.98 लाख रुपए आए। कुल मिलाकर ऑनलाइन दान डेढ़ से 2 लाख रुपए महीना आता है वहीं पेटी में साढ़े 6 से 7 लाख रुपए आता है। कुल दान का 35 से 40 फीसदी ऑनलाइन मिल रहा है।

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भक्त और प्रबंधन दोनों को आसानी

ऑनलाइन दान की व्यवस्था से भक्त और प्रबंधन दोनों को सहूलियत होती है। भक्तों को जेब में रुपए रखने की जरूरत नहीं होती। वहीं दान देते समय खुल्ले पैसे का भी झंझट नहीं होता। स्कैन कर मनमर्जी राशि दी जा सकती है। वहीं मंदिर प्रबंधन की बात की जाए तो स्कैन करते ही प्रबंधन के बैंक खाते में तुरंत रुपया पहुंच जाता है। कितना दान आ रहा है इसका सीधा हिसाब बैंक स्टेटमेंट में रियल टाइम शो होता है। तुरंत खाते में रुपए आने पर प्रबंधन मंदिर कार्यों में राशि खर्च कर सकता है वहीं दान पेटियां निर्धारित समय पर ही खोली जाती है जिसका इंतजार करना पड़ता है।

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खजराना में नहीं ऐसी व्यवस्था, भक्तों ने की मांग

शहर के सबसे बड़े मंदिर में शुमार खजराना गणेश मंदिर में ऑनलाइन दान की व्यवस्था नहीं है। एक साल पहले मंदिर प्रबंधन ने दो मशीनें जरूर परिसर में लगाई, लेकिन बाद में हट गई वहीं क्यूआर कोड जैसी व्यवस्था नहीं है। मंदिर प्रबंधक प्रकाश दुबे ने बताया, भक्तों की इसमें रुचि नहीं होने से बैंक ने मशीनें हटा दी थी। आगे विचार किया जाएगा। भक्त रोहन तावेड़ा ने बताया, आए दिन मंदिर के दर्शन के लिए जाता हूं। पेटीएम आदि की व्यस्था होना चाहिए कई बार खुले पैसे नहीं होते हैं ऐसे में दान देने में समस्या आती है। रणवीर सिंह शक्तावत कहते हैं जो ऑनलाइन लेनदेन ही करते हैं उनके लिए व्यवस्था नहीं होने से वे दान नहीं कर पाते। रणजीत मंदिर जैसी सुविधा खजराना में भी की जाए।



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