स्मोकिंग से युवक के दोनों पैरों की नसें हो गई थीं ब्लॉक, सर्जरी कर कंधों से पैरों में ब्लड सप्लाई दी – Ajmer News h3>
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जेएलएन अस्पताल के कार्डियोलॉजी स्थित सीटीवीएस यूनिट में पहली बार दुर्लभ ऑपरेशन हुआ। यहां श्रीनगर निवासी 45 साल के युवक को 20 साल की उम्र से ही सिगरेट व बीड़ी पीने की आदत थी। दिन भर सिगरेट पीने से युवक के पैरों की नसें धीरे धीरे रिमूव होकर सिकुड़ने लगी। उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके पैरों की नस सिकुड़ गई। नसें सिकुड़ने के कारण खून का प्रवाह बंद हो गया।
इस कारण चलने-उठने में भी परेशानी होनी लगी। कई जगह युवक ने चिकित्सकों को दिखाया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। पिछले दिनों कार्डियोलॉजी स्थित सीटीवीएस यूनिट के प्रभारी डॉ. प्रशांत कोठारी को दिखाया। सीटी एंजियोग्राफी जांच से पता चला कि युवक की पेट के निचले हिस्से से लेकर पैरों तक की नसें पूरी तरह ब्लॉक हो गई हैं क्योंकि गुर्दे के नीचे की नस पैरों तक पूरी तरह बंद है।
डॉ. कोठारी ने मरीज का एक्सिलो फेमोरल बाइपास करने को लेकर चर्चा की। एक्सिलरी आर्टरी मरीज की कॉलर बोन से निकलते हुए हाथ को सप्लाई करती है। इसमें रुकावट नहीं के बराबर होती है। इससे पैरों में सप्लाई दी जा सकती है। पूरे शरीर में एक मात्र ये ही ऐसी जगह है जहां पर खून का थक्का नहीं बनता है। ऑपरेशन में काम आने वाला 80 सेमी लंबा ई-पीटीएफई िरंग को मंगवाने के लिए विशेष अनुमति ली गई। करीब 85 हजार की लागत से ये रिंग मंगवाई। ऑपरेशन के दौरान एक्सिलरी आर्टरी को करना जोखिम भरा रहता है। जरा भी नस इधर से उधर हो जाए तो पैरालिसिस हो सकता है। इस प्रकार की सर्जरी केवल सुपर स्पेशियलिटी विंग या बड़े सेंटर पर ही हो सकती है। यूनिट के चिकित्सकों ने ग्राफ्ट टनल बनाते हुए पैर की नसों से जोड़ दिया। दूसरे पैर की सप्लाई पीटीएफई ग्राफ्ट से दी गई। ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति अब सामान्य है। पैरों में खून की सप्लाई आम लोगों की तरह ही चल रही है।
मरीज को जल्द ही डिस्चार्ज किया जाएगा। ऑपरेशन को लेकर प्रिंसिपल डॉ. अनिल सामरिया, अधीक्षक डॉ. अरविन्द खरे, उपअधीक्षक डॉ. अमित यादव ने लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ ही मरीज को लेकर जानकारी ली। ऑपरेशन करने वाली टीम में प्रभारी डॉ. प्रशान्त कोठारी, डॉ. तेजकरण सैनी, डॉ. कुशांक शर्मा, डॉ. कुलदीप, डॉ. एकता, डॉ. राघवेन्द्र, डॉ. प्रतीक, डॉ. कमलेश नर्सिंगकर्मी राकेश, नर्मदा, रेखा, जयंत, ललिता शामिल रहे।
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जेएलएन अस्पताल के कार्डियोलॉजी स्थित सीटीवीएस यूनिट में पहली बार दुर्लभ ऑपरेशन हुआ। यहां श्रीनगर निवासी 45 साल के युवक को 20 साल की उम्र से ही सिगरेट व बीड़ी पीने की आदत थी। दिन भर सिगरेट पीने से युवक के पैरों की नसें धीरे धीरे रिमूव होकर सिकुड़ने लगी। उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके पैरों की नस सिकुड़ गई। नसें सिकुड़ने के कारण खून का प्रवाह बंद हो गया।
इस कारण चलने-उठने में भी परेशानी होनी लगी। कई जगह युवक ने चिकित्सकों को दिखाया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। पिछले दिनों कार्डियोलॉजी स्थित सीटीवीएस यूनिट के प्रभारी डॉ. प्रशांत कोठारी को दिखाया। सीटी एंजियोग्राफी जांच से पता चला कि युवक की पेट के निचले हिस्से से लेकर पैरों तक की नसें पूरी तरह ब्लॉक हो गई हैं क्योंकि गुर्दे के नीचे की नस पैरों तक पूरी तरह बंद है।
डॉ. कोठारी ने मरीज का एक्सिलो फेमोरल बाइपास करने को लेकर चर्चा की। एक्सिलरी आर्टरी मरीज की कॉलर बोन से निकलते हुए हाथ को सप्लाई करती है। इसमें रुकावट नहीं के बराबर होती है। इससे पैरों में सप्लाई दी जा सकती है। पूरे शरीर में एक मात्र ये ही ऐसी जगह है जहां पर खून का थक्का नहीं बनता है। ऑपरेशन में काम आने वाला 80 सेमी लंबा ई-पीटीएफई िरंग को मंगवाने के लिए विशेष अनुमति ली गई। करीब 85 हजार की लागत से ये रिंग मंगवाई। ऑपरेशन के दौरान एक्सिलरी आर्टरी को करना जोखिम भरा रहता है। जरा भी नस इधर से उधर हो जाए तो पैरालिसिस हो सकता है। इस प्रकार की सर्जरी केवल सुपर स्पेशियलिटी विंग या बड़े सेंटर पर ही हो सकती है। यूनिट के चिकित्सकों ने ग्राफ्ट टनल बनाते हुए पैर की नसों से जोड़ दिया। दूसरे पैर की सप्लाई पीटीएफई ग्राफ्ट से दी गई। ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति अब सामान्य है। पैरों में खून की सप्लाई आम लोगों की तरह ही चल रही है।
मरीज को जल्द ही डिस्चार्ज किया जाएगा। ऑपरेशन को लेकर प्रिंसिपल डॉ. अनिल सामरिया, अधीक्षक डॉ. अरविन्द खरे, उपअधीक्षक डॉ. अमित यादव ने लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ ही मरीज को लेकर जानकारी ली। ऑपरेशन करने वाली टीम में प्रभारी डॉ. प्रशान्त कोठारी, डॉ. तेजकरण सैनी, डॉ. कुशांक शर्मा, डॉ. कुलदीप, डॉ. एकता, डॉ. राघवेन्द्र, डॉ. प्रतीक, डॉ. कमलेश नर्सिंगकर्मी राकेश, नर्मदा, रेखा, जयंत, ललिता शामिल रहे।