स्थायी समिति क्या होती है, मेयर से भी ज्यादा बवाल आखिर सदस्यों के चुनाव में क्यों हुआ?

4
स्थायी समिति क्या होती है, मेयर से भी ज्यादा बवाल आखिर सदस्यों के चुनाव में क्यों हुआ?

स्थायी समिति क्या होती है, मेयर से भी ज्यादा बवाल आखिर सदस्यों के चुनाव में क्यों हुआ?


नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में इस समय MCD चर्चा में है। सदन में पूरी रात हंगामा हुआ। दिल्लीवालों के मन में शायद यह सवाल कौंध रहा होगा कि जब मेयर का चुनाव हो गया तब सदस्य के इलेक्शन में इतना बवाल क्यों? अंग्रेजी में स्थायी समिति को स्टैंडिग कमेटी कहते हैं। आखिर दिल्ली एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी कितनी महत्वपूर्ण होती है, जो मेयर चुनाव से भी ज्यादा ड्रामा इसमें देखने को मिला। आप और भाजपा के पार्षदों ने एक दूसरे पर पानी की बोतलें फेंकीं। सबसे पहले जान लीजिए कि स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव होना था। दिन में महापौर और उप-महापौर पद पर आप की शैली ओबेरॉय और आले मोहम्मद ने जीत दर्ज की। शाम को सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो मोबाइल फोन मतदान केंद्र के अंदर ले जाने पर भाजपा पार्षदों ने आपत्ति जताई और फिर रातभर नारेबाजी और शोरगुल का दौर चला। आज सुबह तक चुनाव नहीं हो पाया और कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।

एमसीडी और मेयर की पावर जान लीजिए
स्थायी समिति को जानने से पहले जान लीजिए कि एमसीडी क्या काम करती है और मेयर की पावर क्या होती है। MCD जन्म प्रमाणपत्र, मृत्यु प्रमाणपत्र, संपत्ति कर, बिल्डिंग का प्लान, साफ-सफाई, मच्छरों की रोकथाम, सड़क पर आवारा पशु जैसी सुविधाएं और समस्याओं के समाधान के लिए काम करती है। दिल्ली नगर निगम का प्रमुख मेयर होता है लेकिन सिर्फ नाम का। जी हां, कॉर्पोरेशन के हेड के तौर पर मेयर को बहुत सीमित शक्तियां मिलती हैं जिसमें से सबसे प्रमुख है सदन की बैठक बुलाना।
स्टैंडिंग कमेटी क्या मेयर से ज्यादा पावरफुल है?
वास्तव में दिल्ली एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी ही सच मायने में प्रभावी तरीके से कॉर्पोरेशन का कामकाज और प्रबंधन करती है। जैसे, यही स्थायी समिति प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देती है। नीतियों को लागू करने से पहले चर्चा, उसे अंतिम रूप देने में भी स्थायी समिति का महत्वपूर्ण रोल होता है। यूं समझिए कि एमसीडी की यह मुख्य डिसीजन-मेकिंग बॉडी यानी फैसला लेने वाला समूह होता है। इसमें 18 सदस्य होते हैं।

कमेटी में एक चेयरपर्सन और डेप्युटी चेयरपर्सन होता है। इन्हें स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों में से चुना जाता है। किसी भी राजनीतिक दल के लिए स्टैंडिंग कमेटी में स्पष्ट बहुमत होना मायने रखता है। इससे पॉलिसी और वित्तीय फैसले लेने में आसानी होती है।

मेयर चुनाव के बाद ये कैसी महाभारत! शाम से सुबह हो गई, MCD सदन में रातभर आखिर हो क्या रहा था
BJP vs AAP का वो महत्वपूर्ण पेच
निगम इतिहास में यह पहली बार था जब मेयर चुनने के लिए बुलाई गई बैठक पूरी रात चली। स्थायी समिति का चुनाव महत्वपूर्ण बन गया क्योंकि आप ने 6 पद पर चार प्रत्याशी उतार रखे थे जबकि भाजपा ने तीन प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा अगर तीन प्रत्याशी जीतती है तो वह अध्यक्ष के लिए फाइट में आ जाएगी। ऐसे में आप की कोशिश होगी कि उसके खाते में चार पद आ जाएं और भाजपा तीन पद जीतना चाहेगी।

मेयर चुनाव के बाद छह सदस्यों को एमसीडी हाउस में सीधे चुना जाता है। दिल्ली में एमसीडी 12 जोन में बंटी है। हर जोन में एक वार्ड कमेटी होती है जिसमें क्षेत्र के सभी पार्षद और नामित एल्डरमैन शामिल होते हैं। स्टैंडिंग कमेटी में जोन प्रतिनिधि भी होते हैं।

यही वजह है कि भाजपा और आप ने स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया। अगर भाजपा हारती है तो उसके पास दिल्ली में लोकल लेवल पर कुछ नहीं बचेगा। अगर बीजेपी स्थायी समिति में अपना दबदबा बनाने में सफल हो जाती है तो वह हारकर भी एमसीडी में जीत जाएगी। दिल्ली में स्थायी समिति के बगैर एमसीडी कुछ नहीं है इसीलिए 16 घंटे तक पूरी रात एमसीडी सदन में जोर आजमाइश चली।

हमने कोशिश की कि पूरी रात चुनाव किसी तरीके से हो जाए। सदन को बीजेपी ने गैरकानूनी तरीके से चलाने की कोशिश की। बीजेपी ने सदन में मर्यादा का पालन नहीं किया और स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव आखिरकार चुनाव टालना पड़ा। बीजेपी पार्षद रेखा गुप्ता और अमित नागपाल ने हदें पार कर दीं। दोनों पार्षद पर क्या कार्रवाई की जानी है, बैठक में विचार किया जाएगा। कल सुबह तक 10 बजे तक के लिए सदन को स्थगित किया गया है।

शैली ओबेरॉय, मेयर (आज सुबह 10 बजे)

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News