स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं, पहले अभिभावकों से चर्चा तो करती सरकार

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स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं, पहले अभिभावकों से चर्चा तो करती सरकार

राज्य सरकार ने कोरोना का असर कम होने के साथ ही दो अगस्त से स्कूल खोलने का फैसला किया है। मगर इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा के दो पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और कालीचरण सराफ ने सवाल उठाए हैं। सराफ ने सीएम को पत्र लिखकर दोबारा विचार करने की मांग की है।

जयपुर।

राज्य सरकार ने कोरोना का असर कम होने के साथ ही दो अगस्त से स्कूल खोलने का फैसला किया है। मगर इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा के दो पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और कालीचरण सराफ ने सवाल उठाए हैं। सराफ ने सीएम को पत्र लिखकर दोबारा विचार करने की मांग की है।

देवनानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का शिक्षा से कोई वास्ता नहीं और वो शिक्षा के बारे में सोचते भी नहीं है। डोटासरा को आरएसएस और मोदी फोबिया हो गया है। वे कई तुगलकी फैसले करते आए हैं। स्कूल खोलने का फैसला भी बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालने वाला है। सब चाहते हैं कि स्कूल भी खुले और पढ़ाई का दौर भी शुरू हो, लेकिन स्कूल कब खुले और किस रूप में खुले इस बारे में सरकार को परिजनों और शिक्षक संगठनों से भी चर्चा करना चाहिए थी। मगर सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया।

निजी स्कूलों के दबाव में लिया निर्णय

कालीचरण सराफ ने इस निर्णय को अविवेकपूर्ण करार देते हुए आरोप लगाया कि निजी स्कूल संचालकों के दबाव में सरकार ने यह फैसला किया है। सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है। सराफ ने कहा कि दबाव एवं जल्दबाजी में लिए गए सरकार के इस इस निर्णय से बच्चों व अभिभावकों में तनाव व चिंता के साथ आक्रोश भी है। लोग अपने बच्चों को घर से बाहर भी नहीं निकलने दे रहे हैं तो ऐसे में संक्रमण के मंडराते खतरे के बीच 8-9 घण्टे के लिए बच्चे स्कूल भेजना अभिभावकों के लिए अत्यंत कष्टदायक होगा। सराफ ने सीएम से मांग की है कि कैबिनेट के फैसले को तुरंत वापस लेने के आदेश देकर प्रदेश के लाखों अभिभावकों व बच्चों को चिंता व तनाव से मुक्त करें।







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