सूरज बड़जात्या ने सुनाया एयरपोर्ट पर चेकिंग वाला किस्सा, कस्टम्स ऑफिसर ने कही थी ये बात

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सूरज बड़जात्या ने सुनाया एयरपोर्ट पर चेकिंग वाला किस्सा, कस्टम्स ऑफिसर ने कही थी ये बात

सूरज बड़जात्या ने सुनाया एयरपोर्ट पर चेकिंग वाला किस्सा, कस्टम्स ऑफिसर ने कही थी ये बात

बॉलीवुड में ‘हम आपके हैं कौन’, ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम साथ-साथ हैं’, ‘विवाह’ जैसी तमाम शानदार फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर सूरज बड़जात्या को बॉलीवुड में किसी परिचय की जरूरत नहीं। वह अपने आपमें बॉलीवुड की पारिवारिक फिल्मों का एक खास ब्रैंड हैं। सूरज बड़जात्या लंबे समय बाद राजश्री प्रॉडक्शन में अपनी अगली फिल्म ‘ऊंचाई’ लेकर आ रहे हैं, जो चार पक्के दोस्तों और दोस्ती को निभाने की उम्दा कहानी है। लोगों को इंतजार है सूरज बड़जात्या की इस अपकमिंग फिल्म का। सूरज बड़जात्या ने नवभारतटाइम्स से अपनी इस फिल्म और राजश्री प्रॉडक्शन की परम्परा को लेकर ढेर सारी बातें कहीं। ये बातें ऐसी हैं जो उनके फैन्स के दिलों को छू जाने के लिए काफी हैं। आइए, जानते हैं क्या कुछ कहा है उन्होंने हमसे हुई इस बातचीत में:

सूरज बड़जात्या ने कहा- दादा जी ने कहा था कि यहां पर जो कुछ भी बने उसमें सरस्वती का वास हो

Sooraj Barjatya ने कहा, ’15 अगस्त 1947 को मेरे दादाजी ने राष्ट्रीय पिक्चर्स की स्थापना की और 75वें साल में हम फिल्म ला रहे हैं औऱ वो ऊंचाई है। अगर मैं पीछे देखूं तो बहुत ही ग्रैटिट्यूड है मेरे बड़ों के लिए जिन्होंने हमेशा इस प्रफेशन को कला माना कभी व्यापार नहीं माना। मुझे लगता है कि यही कारण है कि 75वें साल में हम कदम रख रहे हैं। मुझे लगता है कि इसका क्रेडिट उस भावना को जाता है जिस उद्देश्य से मेरे दादाजी ने इसकी नींव रखी थी। हमेशा वो कहते थे कि यहां पर जो कुछ भी बने उसमें सरस्वती का वास हो, जो आप अपने इन लॉज़ को दिखा सकें गर्व से। इन 75 सालों में ऐसा नहीं कि हम भटके नहीं, पर जो चली हैं हमारी फिल्में वो हमेशा एस्थेटिक फिल्में रही हैं…तो शायद उनका वो प्रण, उनका उद्देश्य, उनकी वो सधना ही है जो आज हम 75वां साल मना रहे हैं।’

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‘हम जब भटकने लगे ऑडियंस ने हमें वापस लाकर लाइन में खड़ा किया’

राजश्री प्रॉड्क्शन शुरू से लेकर अब तक दिन सिद्धांतों और परम्परा पर बातें करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमलोगों को कई बार ऐसा लगा कि कुछ बदलें, कुछ अलग करें, लेकिन कहीं भी ऑडियंस ने हमें वो करने दिया नहीं। ये ऑडियंस का बड़प्पन है। कितनी ऐसी फिल्में मैंने बनाई- मैं प्रेम की दीवानी हूं, जब लोगों ने देखी, बेस्ट से बेस्ट स्टार कास्ट थे मेरे पास, बेस्ट बजट था, बेस्ट से बेस्ट लोकेशन थे, बेस्ट गीत थे। ऋतिक-अभिषेक का पहला कॉम्बिनेशन था। लेकिन जब मैंने देखा पहले दिन ऑडियंस बाहर आए तो कहा कि ये सूरज बड़जात्या की पिक्चर नहीं लगती है। हम जब भटकने लगे ऑडियंस ने हमें वापस लाकर लाइन में खड़ा किया क्योंकि वो हमसे यही चाहते हैं और हमें बनाना भी यही आता है।’

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‘ठान लिया है कि जितना हो सके ये वैल्यूज को लेकर फिल्में बनाऊंगा’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है मुझे लगता है कि हम सब फिल्ममेकर्स कुछ न कुछ बनाने के लिए पैदा हुए हैं। जो जीवन हमने देखा है, जो जीवन हमने जीया है उससे बेटर जस्टिस नहीं करते सिनेमा को। अब मेरा तो और भी ज्यादा दृढ़ विश्वास है कि किसी न किसी को ये फैमिली वैल्यूज़ की फिल्में बनानी है।आज जब इतनी कम ऐसी फिल्में बन रही हैं तो मैंने तो अब ये ठान लिया है कि जितना हो सके ये वैल्यूज को लेकर फिल्में बनाऊंगा। ये फिल्म ऊंचाई भी जो है एक पारिवारिक फिल्म है, इन बुजुर्ग कैरक्टर्स के जरिए मैं यंगस्टर्स को कई मेसेज इनडायरेक्टली देना चाहता हूं।’

एयरपोर्ट पर सुनाया अपने सामान चेकिंग वाला किस्सा

इस बातचीत के दौरान यशराज ने एक किस्सा सुनाया जिसमें एयरपोर्ट पर सामान चेकिंग के दौरान का एक पुराना किस्सा भी सुनाया। इसे याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘ये किस्सा 1981 में हुआ था, मैं छोटा था। मेरे मां-पापा, मेरी बहन हमलोग अमेरिका से लौट रहे थे। तो सामान था हमारे पास। उस दिन पता नहीं क्यों काफी लोगों का सामान चेकिंग हो रहा था कस्टम्स में। हमारे पास भी कई बैग थे। जब हमने हमारे बैग्स रखे तो जो कस्टम ऑफिसर था उसने राजश्री का टैग देखा और कहा कि आपलोग जाइए। तो मेरे पापा बड़े पर्टिक्युलर थे, उन्होंने कहा- नहीं नहीं, हमारा भी खोलो। उन्होंने कहा- नहीं सर, आप जाइए, बस ऐसी ही अच्छी फिल्में बनाते रहिए। ऐसा वाकिया जहां इतना प्यार मिलता है और आज भी भले पिक्चर कोई चले, नहीं चले, लेकिन जब भी मैं कहीं जाता हूं फिल्म हम आपके हैं कौन को याद करके लोग जो मुझे प्यार देते हैं तो मेरे हिसाब से इससे बड़ी कोई पूंजी नहीं है। ऐसे कितने डायरेक्टर्स होंगे, जिनके फिल्में लोग 30-30 साल बाद भी याद रखते हैं। जेनरेशन निकल गई लेकिन जो प्यार मिलता है पब्लिक से, उन्होंने सारी असफलताओं को माफ किया है और याद रखा है उन फिल्मों को आज भी तो मुझे लगता है कि मुझे कोई गिला-शिकवा नहीं है।’