सुभासपा: इस बार भी पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे पर चुनाव मैदान में ठोंक रही ताल

155

सुभासपा: इस बार भी पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे पर चुनाव मैदान में ठोंक रही ताल

लखनऊ: वैसे तो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) का गठन हुए बीस साल बीत चुके हैं, लेकिन पंद्रह साल के लंबे संघर्ष के बाद 2017 में इस पार्टी को विधानसभा में भागीदारी मिली। 2017 में भाजपा के गठबंधन में सुभासपा आठ सीटों पर चुनाव लड़ी और चार सीटें जीती। पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे पर पार्टी ने बाद में भाजपा से किनारा कर लिया। इस चुनाव में सुभासपा आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे के साथ सपा गठबंधन के साथ ताल ठोंक रही है।

आरक्षण में बंटवारा है मुख्य मुद्दा
सुभासपा का गठन ही अति पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को लेकर हुआ था। बकौल, ओम प्रकाश राजभर वह शुरू से पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले 27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि जब तक आरक्षण का वर्गीकरण नहीं होता, तब तक 150 से अधिक अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। उनका कहना है कि भाजपा से समझौता भी उन्होंने इसी शर्त पर किया था कि सरकार बनी तो पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारा कर दिया जाएगा। सरकार बनने के बाद सामाजिक न्याय समिति भी गठित की गई। समिति ने आरक्षण को तीन हिस्से में बांटने की सिफारिश भी की, लेकिन रिपोर्ट पर अभी तक अमल नहीं हो सका है। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराने की शर्त के साथ इस चुनाव में सुभासपा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में हैं।

18 सीटों पर है मैदान में
2002 में सुभासपा पार्टी का गठन हुआ और 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यूपी और बिहार में अपने प्रत्याशी उतारे। जीते तो नहीं, लेकिन वोट अच्छा मिला। 2007 के विधानसभा चुनाव में भी 97 प्रत्याशी उतारे, लेकिन जीत नहीं मिली। 2012 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने कौमी एकता दल से गठबंधन किया। चुनाव में उनके प्रत्याशी तो नहीं जीते, लेकिन कौमी एकता दल से अंसारी बंधुओं को मोहम्मदाबाद और मऊ सीटों पर जीत मिली। 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा और ओम प्रकाश राजभर समेत चार प्रत्याशी जीते। इस चुनाव में सुभासपा को 0.70% वोट मिले। पिछले जिला पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव में भी सुभासपा को मजबूती मिली। इस चुनाव में पार्टी को गठबंधन में 18 सीटें मिली हैं।

125 सीटों पर अच्छा वोट बैंक
पूर्वांचल के वाराणसी, देवीपाटन, गोरखपुर और आजमगढ़ मंडल की करीब 125 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां हर सीट पर 18 से 22 फीसदी तक राजभर वोटर हैं। इस क्षेत्रों में राजभर की उपजातियों पर भी ओम प्रकाश राजभर की मजबूत पकड़ है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो गठबंधन के तहत मिली 18 में से 12 सीटों पर सुभासपा मुख्य लड़ाई में है।

Zahoorabad Seat Ghazipur : राजभर बनाम राजभर की लड़ाई में क्या ये ‘तीसरा मोर्चा’ चौंका जाएगा?

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News