सुबह- अजित पार्टी के नेता, शाम- मैं नहीं कह रहा वे हमारे नेता… शरद पवार की बयानबाजी से कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन

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सुबह- अजित पार्टी के नेता, शाम- मैं नहीं कह रहा वे हमारे नेता… शरद पवार की बयानबाजी से कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन

सुबह- अजित पार्टी के नेता, शाम- मैं नहीं कह रहा वे हमारे नेता… शरद पवार की बयानबाजी से कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन

मुंबई: एनसीपी नेता शरद पवार और अजित पवार को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है। जनता यह समझ ही नहीं पा रही है कि एनसीपी चीफ शरद पवार कौन सा खेल रहे हैं। शुक्रवार की सुबह उन्होंने बारामती में अपने बागी भतीजे अजित पवार को पार्टी का नेता बताया और शाम होते-होते सातारा पहुंच कर बयान दे दिया कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है। हुआ यूं कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पत्रकारों के साथ बातचीत में अजित पवार को पार्टी का नेता बताया था। जब पत्रकारों ने शरद पवार से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने एक वाक्य में जवाब दिया, ‘इसमें कोई संशय नहीं है’। पवार के इस बयान से कांग्रेस और शिवसेना उद्ध‌व गुट में हलचल मच गई। दोनों ही पार्टियों के नेताओं के सधे हुए बयान आने लगे। इसी दौरान महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि जल्दी ही शरद पवार का मन परिवर्तन होगा और वह बीजेपी के साथ होंगे।

बुधवार को पुणे में सुप्रिया सुले ने कहा:
सवाल: अजित पवार का पार्टी में क्या स्टेटस हैं?
जवाब: अजित पवार हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक हैं। उन्होंने पार्टी विरोधी भूमिका ली है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के पास हमने इस बारे में शिकायत की है। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। एनसीपी का एक गुट सत्ता में शामिल है, लेकिन टेक्निकली एनसीपी में कोई फूट नहीं है।
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शुक्रवार सुबह बारामती में शरद पवार ने कहा:
सवाल: सुप्रिया सुले ने अजित पवार को पार्टी का नेता बताया है?
जवाब: इसमें कोई संशय नहीं है।

सवाल: फिर अजित पवार की बगावत का क्या?
जवाब: किसी राजनीतिक दल में फूट का मतलब क्या है? फूट तब होती है, जब किसी पार्टी का एक बड़ा समूह राष्ट्रीय स्तर पर अलग हो जाता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ है। कुछ लोगों ने पार्टी छोड़ दी, कुछ ने अलग रुख अपना लिया। लोकतंत्र में निर्णय लेना उनका अधिकार है।
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सवाल: क्या आप सुप्रिया सुले के विचारों से सहमत हैं?
जवाब: मैं? आप गलत हैं। जिन्होंने अलग रुख अपना लिया है, वे हमारे नेता नहीं हो सकते हैं। 2019 में भी अजित पवार ने फडणवीस के साथ सरकार बनाई थी। पर वापस लौट आए थे। तब उन्होंने कहा था गलती हो गई, आगे ऐसा नहीं होगा। किसी को भूल सुधार का अवसर एक बार दिया जाता है। अवसर फिर से नहीं दिया जा सकता है और किसी को मांगना भी नहीं चाहिए।

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