सीने से जुड़ी थीं रिद्धि और सिद्धि, एम्स के डॉक्टरों का चमत्कार, सर्जरी के बाद बच्चियों को मिला जीवनदान
चार साल में एम्स में ऐसी तीन सर्जरी हुईं
एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी की एचओडी डॉक्टर मीनू बाजपेई ने कहा कि इस केस को मिलाकर पिछले चार साल में हमने यह तीसरी सर्जरी की है, जिसमें बच्चे जुड़े हुए थे। पहले वाले दोनों हिप से जुड़े थे और इस मामले में छाती से जुड़ी थीं। सभी छह बच्चे ठीक हो गए हैं। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह सूचना पहुंचे और लोग एम्स तक पहुंचें। क्योंकि इसका इलाज है और हम ऐसा कर पाने में सक्षम हैं। एम्स ने तो सिर से जुड़े बच्चे तक की सफल सर्जरी की है।
रिद्धि और सिद्धि के पिता चलाते हैं चप्पल की दुकान
जहां तक रिद्धि और सिद्धि का मामला है, यह परिवार यूपी के बरेली का रहने वाला है। पिता चप्पल की दुकान चलाते हैं। दीपिका पहली बार मां बनने जा रही थीं, डिफेक्ट के बारे में उन्हें पता था। हमने जांच की और फैसला किया कि डिलिवरी यहीं पर होगी। पिछले साल 7 जुलाई को जन्म हुआ। जन्म के बाद तुरंत हमने दोनों को एडमिट कर लिया। जांच की गई। रिपोर्ट के अनुसार, हम सर्जरी की प्लानिंग कर रहे थे। जब कुछ वजन बढ़ा और 15 किलो की हुईं तो हमने सर्जरी की योजना बनाई। पीडियाट्रिक सर्जन के अलावा, ऑर्थोपीडिक, कार्डिएक सर्जरी, रेडियोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन की टीम सर्जरी में शामिल हुए।
एम्स में बच्चियों का जन्म हुआ। यहीं पलीं और बढ़ीं। डॉक्टर, नर्स, स्टाफ सब एक साल से इन दोनों की केयर कर रहे हैं। 7 जुलाई को दोनों का पहला जन्मदिन भी यहीं मनाया गया। ये मेरी बेटियां बाद में हैं, पहले एम्स की हैं। जन्म के बाद से अब तक दोनों एम्स में ही हैं, घर नहीं गई हैं।
दीपिका, मां
आसान नहीं थी सर्जरी
चुनौती यह थी कि छाती का पांचवां हिस्सा जुड़ा हुआ था। एक-दूसरे की रिब्स की हड्डी मिली हुई थी। हार्ट का मेंब्रेन जुड़ गया था और हार्ट बिल्कुल सटा हुआ था, लेकिन एक-दूसरे से अलग था। लिवर भी जुड़ा हुआ था। एक का दाहिने लिवर का 50 प्रतिशत और दूसरे का बायां लिवर का 30 प्रतिशत जुड़ा था और इसे अलग करना सबसे बड़ी चुनौती थी। 8 जून को सर्जरी की और एक के बाद एक सारे डिफेक्ट को दूर करने में सफल रहे। डॉक्टर मीनू ने कहा, मेरा मानना है कि छोटे बच्चों में सहन करने की क्षमता बेहतर होती है, इसलिए इतनी बड़ी बड़ी सर्जरी के बाद उनमें रिकवरी इतनी बेहतर हो पाती है। चार साल में तीसरे ट्वीन बेबी को अलग किया है, जो 100 प्रतिशत सफल रहा है।