सामने आई कमजोरी… वो 3 कारण जिनकी वजह से वनडे में फ्लॉप हो रहे सूर्यकुमार यादव
#1 टी-20 से वनडे में ढलना हो रहा मुश्किल
सूर्यकुमार यादव को अपने खेल को T20I से ODI में ढालने में कठिनाई हो सकती है। किसी भी प्लेयर के लिए क्रिकेट के हर फॉर्मेट में सफल होना मुश्किल है। टेस्ट क्रिकेट में बेहतर डिफेंस और तकनीक की जरूरत होती है, जबकि ODI क्रिकेट में इनिंग बिल्डिंग और सही समय पर गियर शिफ्ट करने की जरूरत होती है। T20I क्रिकेट में बड़े स्ट्राइक-रेट और पहले ही गेंद से हिट करने की ताकत चाहिए। सूर्या ने अपने 360 डिग्री हिटिंग कौशल के साथ 20-20 में तो महारत हासिल कर ली है, लेकिन अभी लंबे फॉर्मेट में वह काबिलियत नहीं आ पाई है। बीते 18 महीनों में यादव ने बहुत सारे टी-20 मैच खेले हैं, जिससे उनके लिए 50 ओवर के प्रारूप में खुद को ढालना शायद मुश्किल हो रहा हो।
#2 वनडे में बैटिंग पोजिशन फिक्स नहीं
नए खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में मौका देने की जिम्मेदारी टीम मैनेजमेंट की होती है। यदि खिलाड़ी को इस बात का अंदाजा नहीं है कि टीम को उससे क्या चाहिए, तो उसके सफल होने की संभावना नहीं है। सूर्या ने अपने वनडे करियर में अब तक 19 पारियां खेली हैं, लेकिन वह चार अलग-अलग पोजिशन पर बल्लेबाजी कर चुके हैं। नंबर तीन पर एक बार, नंबर चार पर चार बार, नंबर पांच पर 11 बार और छठे नंबर पर तीन बार बल्लेबाजी की है। नंबर पांच पर वह सबसे कामयाब रहे हैं। इस पोजिशन पर 35+ की एवरेज से दो अर्धशतक लगाते हुए 320 रन बनाए हैं। स्पष्ट है कि किसी खिलाड़ी को एक स्थान पर ज्यादा मौका देने से उसे सफल होने में मदद मिलेगी।
#3 क्या T20I फॉर्म के आधार पर ODI में चुने गए?
कुछ लोगों का सोचना है कि चयनकर्ताओं ने T20I फॉर्मेट में सूर्या के प्रदर्शन के आधार पर एकदिवसीय के लिए उन्हें चुना। यह तर्क सही हो सकता है क्योंकि यादव ने 123 लिस्ट-ए मैच खेले हैं और अब तक केवल तीन शतक दर्ज किए हैं। लिस्ट-ए क्रिकेट में उनका बल्लेबाजी औसत 35 से नीचे है, जबकि उनका उच्चतम स्कोर 134* है। भारतीय चयनकर्ताओं को यादव को वनडे में चुनने से पहले घरेलू स्तर पर अधिक लिस्ट-ए मैच खेलने की अनुमति देनी चाहिए।