शाह हों या राजनाथ, सबके चहेते हैं संजय मयूख, फिर क्यों उनके घर पहुंचे CM नीतीश
CM Nitish reached Sanjay Mayukh house: 6 अप्रैल 2023 को भारतीय जनता पार्टी अपना 44वां स्थापना दिवस मनाएगी। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही इसे ‘पार्टी विद द डिफरेंस’ कहा जाता रहा है। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी MLC संजय मयूख के घर छठ पूजा का प्रसाद खाने पहुंचे। इसके बाद से बिहार की राजनीति में चर्चाओं को बाजार गरम है।
हाइलाइट्स
- संजय मयूख के पिता सरकारी स्कूल के टीचर रहे
- संजय मयूख 1990 के दौर से ही बीजेपी में हैं
- राजनाथ सिंह ने संजय मयूख को दिया था मीडिया का प्रभार
- अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं संजय मयूख
बता दें कि BJP के लोग दावा करते हैं कि उनकी पार्टी में नेताओं से ज्यादा कार्यकर्ताओं को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। यही वजह है कि इस पार्टी में कर्मठ कार्यकर्ता को उनकी क्षमता के अनुसार बड़े पद भी दिए जाते हैं। बिहार के संदर्भ में अगर बात करें तो बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ. संजय मयूख का उदाहरण सामने है।
कौन हैं संजय मयूख?
बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ. संजय मयूख बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं। मूल रूप से वैशाली के रहने वाले डॉ. संजय मयूख के पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक रहे हैं। वह छपरा के अमनौर स्थित एक स्कूल में पढ़ाया करते थे। इसके बाद डॉ. संजय के पिता ने छपरा में ही अपना घर बना लिया और वही रहने लगे। पीएचडी कर चुके डॉ. संजय मयूख ने 1990 में यानी भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के ठीक 10 साल बाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उनके साथ बीजेपी के पूर्व विधायक संजय सिंह टाइगर, प्रेम रंजन पटेल और ब्रजेश रमन ने भी पार्टी के सदस्य बने थे।
जब बिहार बीजेपी मीडिया प्रभारी बनाए गए संजय मयूख
1990 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद 1995 में डॉ. संजय मयूख को बिहार प्रदेश बीजेपी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद उन्हें प्रदेश मीडिया प्रभारी नियुक्त किया गया। मीडिया प्रभारी बनने के बाद भी संजय मयूख एक कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी ऑफिस में कुर्सी लगाने से लेकर अखबारों के दफ्तर में प्रेस रिलीज पहुंचाने का काम करते रहे। यानी पद मिलने के बाद भी उन्होंने कभी भी पद को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, बल्कि एक कर्मठ कार्यकर्ता की तरह कार्य करते रहे। इसी कर्मठता की वजह से वो न सिर्फ अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के चहेते बने बल्कि अच्छे स्वभाव के कारण विपक्षी दलों के नेताओं की नजर में भी उनकी साख बनी रही। राजनीतिक विरोध के बावजूद आज की तारीख में लगभग सभी दलों के नेताओं के साथ डॉ संजय मयूख के अच्छे रिश्ते कायम है।
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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बनाया था राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
2013 में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बिहार के मीडिया प्रभारी डॉ. संजय मयूख को राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से सौंपे गए जिम्मेवारी पर भी खरे उतरे और उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बन गई। आपको बता दें कि डॉ. संजय मयूख के संबंध देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भी काफी अच्छे हैं। आज की तारीख में उनका पार्टिकल ग्राफ काफी तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। यानी भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय स्तर का नेता बन सकता है यह बात पार्टी ने सिद्ध कर दिखाया है।
कार्यकर्ता से बिहार विधान परिषद तक का सफर
आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संजय मयूख पहली बार 2016 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बनाए गए थे। उस वक्त बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय थे, उन्हीं की अध्यक्षता में हुई बैठक में डॉ संजय मयूख का नाम विधान परिषद के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया था। इसके बाद 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने डॉ संजय मयूख को दोबारा बिहार विधान परिषद भेजने का काम किया।
जब छठ का प्रसाद खाने नीतीश पहुंचे मयूख के घर
चैती छठ के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख के घर प्रसाद खाने पहुंच गए। बिहार में फिलहाल जिस तरह का राजनीतिक वातावरण है, ऐसे में मुख्यमंत्री का बीजेपी के नेता के घर छठ का प्रसाद खाने पहुंचना, इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। सत्ता के गलियारे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए के साथ जाने वाले हैं। क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरे लालू परिवार की वजह से नीतीश कुमार खुद को महागठबंधन से अलग करना चाहते हैं। बहरहाल इस राजनीतिक कयासबाजी के बीच बीजेपी के एक नेता का कहना है कि अब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी लगभग असंभव है। बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि एनडीए में जेडीयू की वापसी हो सकती है। लेकिन शर्त यह है कि इस बार मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी का होगा और नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति छोड़ राज्यपाल के तौर पर काम करना होगा।
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