व्यावसायिक कोर्सों में हिन्दी में हो पढ़ाई : प्रो. डॉली

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व्यावसायिक कोर्सों में हिन्दी में हो पढ़ाई : प्रो. डॉली

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दरभंगा। विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी…

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाTue, 10 Jan 2023 07:31 PM

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दरभंगा। विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी विभाग में मंगलवार को ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिन्दी: वर्तमान एवं भविष्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि तमाम व्यावसायिक कोर्सों में शिक्षण का माध्यम हिन्दी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर तक ने कई मौकों पर वैश्विक मंचों पर हिन्दी का प्रयोग किया है। कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा और सांस है। उन्होंने हिन्दी को जड़ से मजबूत करने की बात कही। अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र साह ने कहा कि हम आज भी भाषिक गुलामी के शिकार हैं और ऐसी स्थिति में हम पूर्ण आजादी की कल्पना कैसे कर सकते हैं? हिन्दी की कई चुनौतियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी की जो सह भाषाएं अथवा बोलियां हैं, वे भी भाषा के रूप में दर्जा चाहती हैं। ऐसे में हिंदी के विराट फलक पर असर पड़ता है। मुख्य वक्ता प्रो. अमरनाथ शर्मा ने कहा कि आज संक्रमण का युग है। उत्तर प्रदेश में पांच हजार प्राथमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया है। आंध्र प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने भी प्राथमिक विद्यालयों के साथ ऐसा ही किया है। कहा कि चाहे किसी भी दल की सरकारें हों, उन्होंने अगर सबसे ज्यादा किसी चीज पर हमला किया है तो वह हमारी मातृभाषा हिंदी पर किया है। प्रो. अवधेश कुमार मिश्र ने कहा कि जान-बूझकर हम लोगों के सामने ऐसी स्थिति पैदा की गई कि दिन-प्रतिदिन हमारी अंग्रेजी पर निर्भरता बढ़ती गई। आज भारत में 90 प्रतिशत लोग अपनी मातृभाषा में ही कार्य करते हैं, जबकि 10 प्रतिशत से भी कम लोग ठीक ढंग से अंग्रेजी समझते-जानते हैं। डॉ. आनन्द प्रकाश गुप्ता ने कहा कि आज हिन्दी की इस गति के जिम्मेवार भारतीय ही हैं। विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी दूसरे नम्बर पर है। डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम अपने देश में ही हिन्दी के विस्तार का ठीक से आकलन नहीं कर रहे हैं। डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि हिन्दी का भूतकाल तो उज्ज्वल था, भविष्य भी उज्ज्वल होगा, लेकिन वर्तमान धुंधला है। आजादी के 75 वर्षों के गुजर जाने के बावजूद हिन्दी में कुछ नया निर्माण नहीं हुआ। कार्यक्रम में स्वागत गायन स्नातकोत्तर की छात्राएं स्नेहा कुमारी और अंशु कुमारी ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंजरी खरे ने किया। तकनीकी सहायता मारवाड़ी कॉलेज के डॉ. गजेंद्र भारद्वाज और डॉ. अनुरुद्ध सिंह ने की। सीएम कॉलेज के अखिलेश कुमार राठौर, शोधार्थी कृष्णा अनुराग, धर्मेन्द्र दास, अभिषेक कुमार, सियाराम मुखिया, सरिता कुमारी, शिखा सिन्हा के अलावा मौके पर बड़ी संख्या में छात्र और शोधार्थी एवं शिक्षक ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े रहे।

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