वैशाली में सामाजिक समीकरण के सहारे जीत के सपने, वीणा देवी और मुन्ना शुक्ला में कौन मारेगा बाजी?

6
वैशाली में सामाजिक समीकरण के सहारे जीत के सपने, वीणा देवी और मुन्ना शुक्ला में कौन मारेगा बाजी?

वैशाली में सामाजिक समीकरण के सहारे जीत के सपने, वीणा देवी और मुन्ना शुक्ला में कौन मारेगा बाजी?

लोकतंत्र की जननी वैशाली भगवान महावीर की जन्मस्थली भी है। भगवान बुद्ध की यह कर्मभूमि रही है। ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध ने तीन बार वैशाली का दौरा किया और यहां लंबा समय बिताया। बुद्ध ने अंतिम उपदेश वैशाली में ही दिया था। अपने निर्वाण की घोषणा भी बुद्ध ने यहीं की थी। उनकी मृत्यु के बाद वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। राजनीतिक रूप से वैशाली उर्वर भूमि रही है। वैशाली लोकसभा सीट पर यादव, राजपूत, भूमिहार, मल्लाह, कुर्मी-कुशवाहा की बहुलता है। यहां 25 मई को चुनाव है। क्षेत्र में गहमागहमी तेज है। 

वीणा देवी 2019 में लोजपा के टिकट पर सांसद बनीं थी। पशुपति कुमार पारस ने जब पार्टी तोड़ी तो वे भी साथ चली गईं। ऐन चुनाव के पहले वीणा देवी फिर चिराग के निकट हो गईं। लोजपा से रालोजपा में गए पांच सांसदों में वीणा देवी ही इकलौती सांसद हैं जो चिराग की पार्टी लोजपा(आर) से चुनावी मुकाबले में उतरी हैं। बाकी चार मैदान से बाहर हैं। क्षेत्र में इसकी भी खूब चर्चा है।

7वें चरण में बिहार के 50 कैंडिडेट करोड़पति, रविशंकर सबसे अमीर, पवन सिंह तीसरे नंबर पर

वीणा देवी का राजद के दबंग नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला से सीधा मुकाबला है। मुन्ना शुक्ला 2009 में जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे थे पर राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह से शिकस्त मिली थी। 2014 में मुन्ना शुक्ला की पत्नी निर्दलीय लड़ीं और एक लाख वोट लाकर चौथे स्थान पर रहीं थी। इस बार का चुनाव परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन वैशाली का ताज पाने के लिए दोनों उम्मीदवार एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं। दोनों ही जातीय समीकरण को साधकर दिल्ली जाने की जुगत में हैं। वीणा देवी दूसरी बार संसद पहुंचने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं तो वहीं मुन्ना शुक्ला जीते तो वे पहली बार दिल्ली दरबार जाएंगे।

इलाके में जमीनी स्तर पर इंडिया और एनडीए के समर्थकों में उत्साह की कमी है। जदयू के कोर वोटर बातचीत में 2020 के विस का चुनाव जिक्र करना नहीं भूलते। इसी तरह इंडिया गठबंधन के कोर वोटरों में भी वोटों का बिखराव दिख रहा है। ऐसे लोग राजद प्रत्याशी की छवि पर सवाल उठा रहे हैं।

default -बिहार की 8 सीटों पर आज थमेगा चुनाव प्रचार, एक पर त्रिकोणीय मुकाबला, सात पर सीधी लड़ाई

गोरौल चौक पर गन्ना जूस बेच रहे सुंदर साव कहते हैं कि जनप्रतिनिधि जीतने के बाद कभी इलाके में नहीं आते। इस बार उसको वोट दूंगा जो गांव-घर आया-जाया करे। फगुली के धीरज कहते हैं कि लोकसभा के चुनाव में देश को देखना है। प्रत्याशी से हमें कोई मतलब नहीं है। मोना गांव के बैजनाथ राय कहते हैं कि वैशाली में जाति के आधार पर ही वोट पड़ेगा। जो जिस जाति का है, वह अपने दल और नेता का चेहरा देख रहा है। वैसे कुछ-कुछ वोटों का बिखराव हर जाति में है।

दमदार चेहरा ही यहां से सांसद बनेंगे

सरैया पंचायत के परइया गांव के विवेक कुमार दोस्तों के साथ जनरल स्टोर के समीप बैठे हैं। पीजी छात्र हैं। अब तक दो-तीन परीक्षा पास की लेकिन परीक्षा रद्द हो गई। कहते हैं कि सरकार के कारण ही घर पर बैठा हूं। रोजगार मिलता तो घर-परिवार की मदद करता। उम्र खत्म हो रही है। व्यवसाय करने की सोच रहा हूं। इसलिए इस बार उसे वोट दूंगा, जिसने रोजगार देकर खुद को साबित किया है। सहदानी के कमलेश कहते हैं कि वैशाली में कोई मुकाबला ही नहीं है। हमने तय कर लिया है। दमदार चेहरा ही सांसद बनेगा।

बाढ़ और कोरोना ने झकझोरा

बीबीपुर के वकील राय कहते हैं कि बाढ़ में तबाही झेली। कोरोना में कई लोग मर गए पर किसी ने हमारी सुध नहीं ली। ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे जो सुख-दुख का साथी बने। साईन चौक पर मछली बेच रहे लड्डू सहनी महंगाई, जीएसटी से परेशान दिखे। नेताओं से नाराज हैं पर चुनाव में देश को ही देखेंगे। वैशाली गढ़ निवासी सुरेन्द्र कहते हैं कि इलाके की पहचान बनने वाले को वोट देंगे।

सबके जेहन में रघुवंश

वैशाली से पांच बार के सांसद रहे रघुवंश प्रसाद सिंह यूपीए-एक में ग्रामीण विकास मंत्री बने। उन्हें नरेगा मैन कहा जाता है। बिहार के गांव-गांव में बनी सड़क में उनके योगदान को आज भी लोग याद करते हैं। रघुवंश सबके जेहन में अभी भी जीवित हैं। हर जाति-धर्म के लोग आज भी उनको आदर से याद करते हैं। सभी खुले मन से कहते हैं कि वे जीते या हारे, क्षेत्र के लोगों से लगातार मिलते रहे। सादगी पसंद थे। उनके जैसा अब वैशाली को सांसद मिलना नामुमकिन है।

इन समस्याओं का समाधान जरूरी

● रोजी-रोजगार के अभाव में इलाके से काफी संख्या में पलायन

● पर्यटकीय स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का दिखता है अभाव

● खेती के लिए किसानों को पर्याप्त सिंचाई की सुविधा नहीं

● भू-जल स्तर में गिरावट के कारण इलाके में पेयजल का संकट

● क्षेत्र के अधिकतर आहर-पइन, नहर और तालाब सूख गए हैं

चार विस क्षेत्रों पर एनडीए का दबदबा

वैशाली लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं। मुजफ्फरपुर जिले के पांच और वैशाली का एक विस मिलाकर 1977 में बने इस लोकसभा में एनडीए के चार विधायक हैं। जदयू और राजद के एक-एक विधायक हैं। वैशाली में लोजपा-आर की वीणा देवी और राजद के विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, बसपा के शंभू कुमार सिंह चुनावी मैदान में हैं।

वैशाली लोकसभा सीट से आरजेडी कैंडिडेट मुन्ना शुक्ला साल 2000 में मुन्ना शुक्ला लालगंज से निर्दलीय और 2005 में लोजपा के टिकट पर जीते। वैशाली लोकसभा क्षेत्र से 2004 में निर्दलीय व 2009 में जदयू के टिकट पर लड़े। दोनों बार हारे। वहीं, एनडीए उम्मीदवार वीणा देवी एमएलसी दिनेश सिंह की पत्नी हैं। 2019 में वैशाली से लोजपा से जीतीं और पारस गुट में आ गईं। पारस से चिराग गुट में आकर चुनाव लड़ने वाली एकमात्र सांसद हैं।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News