विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

393

विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों के अनुसार कल रात शिकॉगो एक्सचेंज में तीन प्रतिशत की तेजी रही जबकि मलेशिया एक्सचेंज बंद रहा। विदेशी बाजारों में आई इस तेजी का स्थानीय कारोबार में तेल-तिलहनों के भाव पर अनुकूल असर हुआ।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लातूर में सोयाबीन के प्लांट डिलिवरी का भाव 8,050 रुपये प्रति क्विन्टल है जबकि बीजों की कमी के वजह से मध्य प्रदेश में इस बार सोयाबीन की बुवाई पिछले साल के मुकाबले मात्र 60 प्रतिशत के लगभग ही हुई है। यही स्थिति सरसों की बुवाई के समय न हो इसके लिए सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड को अभी से सरसों बीज का इंतजाम कर लेना चाहिये।

उन्होंने कहा कि इस बार सरसों की बिक्री के लिए जिन किसानों ने बाजार समितियों में पंजीकरण कराया था, उन किसानों से सरसों फसल के लगभग तीन साढ़े तीन महीने के बाद पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने सरसों को कहां बेचा। बाजार समिति को मंडी शुल्क नहीं मिलने के बाद किसानों से उनकी उपज का अता पता पूछने की कोशिश जारी है। सूत्रों का मानना है कि इन किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दाम मिलने के कारण पंजीकरण के बावजूद मंडी के बाहर सरसों की बिकवाली की। सूत्रों का मानना है कि हरियाणा में किसानों का 80 प्रतिशत सरसों पहले ही बिक चुका है।

हाफेड और नाफेड के पास कोई स्टॉक नहीं है, इस स्थिति को देखते हुए भी अभी से सरसों बीजों का इंतजाम रखना जरूरी है, नहीं तो आगे जाकर दिक्कत का सकती है।

उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में सरसों की खपत बढ़ती है और आगे त्योहारों का मौसम भी आ रहा है जिसमें खपत निश्चित तौर पर बढ़नी है। सरसों की अगली फसल आने में अभी आठ महीने का समय है।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन रिफाइंड की कमी की स्थिति में आयात के जरिये घरेलू मांग को पूरा किया जा सकता है लेकिन सरसों दाने की किल्लत को किसी भी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है क्योंकि पूरी दुनिया में सरसों का कोई भी निकल्प नहीं है। विदेशों में मजबूती के अलावा लगभग डेढ़ महीने के बाद घरेलू मांग निकलने से सरसों में सुधार रहा। विगत वर्षों में सोयाबीन का भाव सरसों से 500-700 रुपये क्विन्टल नीचे रहता था लेकिन यह पहला मौका है कि सोयाबीन के भाव सरसों से 700-800 रुपये क्विन्टल अधिक हो गये हैं।

उन्होंने कहा कि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पूर्ववत रहे जबकि मांग बढ़ने से बिनौला तेल में सुधार आया। विदेशी बाजारों की तेजी को देखते हुए सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी सुधार के साथ बंद हुईं।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 7,380 – 7,430 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना – 5,570 – 5,715 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,700 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,120 – 2,250 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,510 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,375 -2,425 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,475 – 2,585 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,000 – 17,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,150 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,750 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,800 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,460 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,210 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,450 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,350 (बिना जीएसटी के)

सोयाबीन दाना 7,700 – 7,750, सोयाबीन लूज 7,595 – 7,695 रुपये

मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News