विक्की कौशल ने कहा- कटरीना कैफ बहुत ही शांत और सुलझी हुई लड़की है, वो मुझे रूटेड रखती हैं

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विक्की कौशल ने कहा- कटरीना कैफ बहुत ही शांत और सुलझी हुई लड़की है, वो मुझे रूटेड रखती हैं

विक्की कौशल ने कहा- कटरीना कैफ बहुत ही शांत और सुलझी हुई लड़की है, वो मुझे रूटेड रखती हैं

विक्की कौशल आज के दौर के उन समर्थ एक्टर्स में से हैं, जिन्होंने परंपरागत नायक के खांचे को तोड़कर अपनी एक अलहदा राह बनाई है। बहुत कम समय में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका ये एक्टर राष्ट्रीय पुरस्कार भी अपने नाम करवा चुका है। इन दिनों वे चर्चा में हैं। अपनी नई फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ की वजह से। नवभारत टाइम्स से इस खास बातचीत में उन्होंने अपनी फिल्म, करियर, परिवार और बीवी कटरीना कैफ के बारे में दिल खोल कर बातें की हैं।

आपका चेहरा बता रहा है कि आप अपनी शादी से बहुत खुश हैं। कटरीना पत्नी के रूप में आपको कितना कॉम्प्लिमेंट करती हैं?
बहुत ज्यादा। लोग कहते भी हैं कि यार ज्यादा ही ग्लो नहीं कर रहे हो, मगर वो ग्लो शादी की वजह से आया है, क्योंकि मैं मन से खुश हूं, सुकून है और कटरीना इस खुशी और सुकून की वजह है। वे ही इन चीजों को मेरी जिंदगी में लाई। आप उस वक्त पूरी तरह से सुकून में होते हैं, जब आपको अपना सेंटर मिल जाता और वो केंद्र मेरे लिए कटरीना है। अब मुझे घर लौटने की एक एक्साइटमेंट होती है। जब भी किसी दुविधा में होता हूं, तो पता होता है कि ये इंसान आपको खुश करने के लिए बातें नहीं करेगा, वो आपको बताएगा कि ये सही और ये गलत है और वो इंसान मेरी जिंदगी में कटरीना है। कटरीना आम तौर पर भी बहुत ही शांत और सुलझी हुई लड़की है। उनकी भी एक जर्नी रही है। उनकी अपब्रिंगिंग भी मिडिल क्लास ही रही है, तो वो कहीं ना कहीं वो आपको रूटेड रखता है। कहीं ना कहीं हमारे तार भी वहीं मिले हैं, क्योंकि एक इंसान के तौर पर हम एक ही लेवल पर हैं।


कटरीना ने हाल ही में कहा कि वे आपके साथ इसलिए काम नहीं करना चाहतीं कि आप बहुत टैलेंटेड हैं?
ये उनका बड़प्पन और प्यार है कि उन्होंने ऐसा कहा, लेकिन वे खुद भी बहुत ही कमाल की अदाकारा हैं। एक इंसान 18-20 साल से इंडस्ट्री में काम कर रहा है और इस मुकाम पर है। मैं हमेशा कहता हूं एक इंडस्ट्री कुछ चेहरों से जानी जाती है और कटरीना ने वो मुकाम हासिल किया है कि इंडस्ट्री में ग्लोबल लेवल पर उनको जाना जाता है। बच्चन साहब के साथ उनको भी दुनिया में पहचाना जाता है और ऐसे कुछ नाम ही होते हैं। एक समय पर हेमा मालिनी हुआ करती थीं। कटरीना ने वो मुकाम हासिल किया है और ये मुकाम हासिल करना बिल्कुल आसान नहीं होता है। मैं मानता हूं कि जो भी उन्होंने किया है, वो बिल्कुल अपने बलबूते पर किया है। जो उन्होंने अचीव किया है उसके लिए मैं उनकी तरफ सम्मान की निगाह से देखता हूं और मुझे उस लेवल पर पहुंचने के लिए बहुत कुछ अचीव करना है। मुझे लगता है ये अच्छा भी है कि हम दोनों एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं और शेयर करते हैं।

अगर आपके करियर की बात करूं, तो आपने उरी, मसान, सरदार उधम सिंह में सीरियस किरदार निभाए हैं, मगर अब गोविंदा नाम मेरा में आप विशुद्ध रंगीले मुंबईया चरित्र में नजर आ रहे हैं। क्या आप इसी किरदार की तरह हैं?
एक एक्टर के अंदर हमेशा एक भूख होती है कि वो कुछ नया करे। मेरे अंदर भी वो भूख थी कि मैंने लंबे अरसे से कुछ हल्का-फुल्का या रंगीला काम नहीं किया है। नाच-गाना, कॉमिडी, हंसी-मजाक से भरे चरित्र करने का बड़ा मन था। हम ऐसी फिल्में देख कर बड़े हुए हैं और अब जब आप एक्टर बन गए हो और इसके बाद भी आपने सब तरह की फिल्मों को एक्सप्लोर नहीं किया है तो आपके अंदर भी एक भूख होती है कि कुछ ऐसा आए कि काम करने में मजा आए। मैं बहुत खुशनसीब हूं कि सरदार उधम सिंह और उरी जैसे किरदार मिले, मगर उसके बाद मैं जिस फेज में मैं था, तो सच बताऊं मैं भूखा भी था कि ऐसा कुछ करने का मौका मिलेगा तो मैं बड़ा खुल कर करूंगा। मुझे शशांक का कॉल आया तो उन्होंने जब मुझे फिल्म सुनाई तो मैंने उनको कहा कि यार इसी तरह की किसी फिल्म का इंतजार कर रहा था कि मैं सेट पर जा कर मस्ती करूं। इस फिल्म में सिर्फ इतनी ही चिंता है कि लोग 2 घंटे फिल्म देखें और अपनी तकलीफें भूल जाएं।


आप वो अदाकार है जिन्होंने बहुत ही कम समय में कई तरह के पुरस्कार और अपनी फिल्म उरी के लिए नैशनल अवॉर्ड नहीं हासिल किया है। अपनी उपलब्धियों को कैसे देखते हैं?
मुझे अभी भी लगता है कि बहुत कुछ सीखना है। दूसरों का अच्छा काम देख कर बहुत प्रभावित हो जाता हूं। फिर चाहे वो रणबीर हों, रणवीर हों, बच्चन साहब हों, शाहरुख हों इन लोगों से इतना कुछ सीखने को है कि आप देखते हो तो लगता है और बहुत कुछ किया जा सकता है एक एक्टर के तौर पर। मुझे पहली ही फिल्म के बाद लोगों ने अच्छा एक्टर कहा और नेशनल अवॉर्ड मिला। लोगों का प्यार मिल रहा है, उसके लिए बहुत ही आभारी हूं। मैं अपने अभी तक के सफर के लिए बहुत आभारी हूं। मेरे पापा कहते हैं टैलेंट में अगर दस में से सात हुआ न तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन एक इंसान के तौर पर हमेशा 10 रहना 11 नहीं हुआ जा सकता लेकिन 10 तो रहना।

अवॉर्ड फंक्शन हों या सोशल मीडिया आप हमेश अपने परिवार के साथ नजर आते हैं। परिवार आपके लिए किस तरह से आधारस्तंभ है?
मेरे लिए परिवार मेरी जड़ें हैं। मेरी जड़ें मजबूत रहेंगी तो ही फल और फूल निकलेंगे। जड़ें ही नहीं होंगी तो कुछ भी नहीं होगा। ना पत्ते होंगे, ना फल होंगे, ना फूल होंगे। हमेशा ऐसा ही होता है कि हर पेड़ का हमें फल, फूल ही दिखता है, जड़ें नहीं दिखती लेकिन जड़ों के साथ जुड़े रहना हर पेड़ के लिए जरूरी है, तो मेरे लिए वही है। मेरे लिए सब कुछ बदल सकता है, मेरा परिवार नहीं बदल सकता है, क्योंकि परिवार का प्यार निस्वार्थ होता है। वही लोग हैं, जो हमको जमीन पर रखते हैं। हम बच्चे जब बड़े होते हैं तो हमको पता नहीं चलता कि वो हमारी फाउंडेशन हैं। मतलब हम कुर्सी हैं, तो वो पैर हैं हमारे। मेरे लिए ऐसा है कि अगर मेरे घर में सब ठीक है, तो मैं कोई भी लड़ाई लड़ सकता हूं, कोई भी मुश्किल पार कर सकता हूं।

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आपने परंपरागत हीरो के सांचे को तोड़कर अपनी एक अलग राह बनाई। मगर शुरुआत में कभी इस बात को लेकर सवाल था कि मैं हीरो कैसे बन पाऊंगा?
इसमें मेरा हाथ बहुत कम है। ये अपने आप होता गया। मुझे मौके मिल गए। अपने काम को लेकर सच्चा थे, जो शायद लोगों को अच्छा लगा और इस वजह से लोगों ने ये प्यार दिया है। सच कहूं, तो जब पहली बार मैंने खुद को आईने में देख कर कहा था कि मुझे एक्टर बनना है, तब मुझमें कॉन्फिडेंस ही नहीं था, क्योंकि तब एक सांवला-सा, पतला-सा, कर्ली बाल वाला वाला था। तब तो मैं खुद ही खुद को हीरो के रूप में नहीं देख पा रहा था तो मैं दूसरों को लेकर कैसे सोच सकता था कि वे मुझे बतौर हीरो देखें, तो वो दौर ही अलग था कि हीरो गोरा-चिट्टा होता है, डैशिंग होता है मतलब रोशनी होती है एक हीरो की। अब मैं तो बड़ा आम-सा लड़का था। लगा था भीड़ में खो जाऊंगा कहीं। मगर मुझे लगता है हर 15-20 सालों में एक दौर आता है, जो थोड़ा-सा मूवमेंट बदल देता है। जैसे 90 के दशक में यही चल रहा था और तब मनोज बाजपेई आकर हीरो बन गए, नवाज आए, पंकज त्रिपाठी हैं। जब मेरी मसान आई, तो वो हमारी अच्छी किस्मत थी कि उसको ऐसी जगह मिली। उस दौर में नए निर्देशक, नए लेखक और एक्टर्स को मौक़ा दिया जा रहा था। उस वक्त लोग हीरो के लिए नहीं कहानी के लिए आ रहे थे। मेरी किस्मत है की मुझे उस दौर में इंडस्ट्री में आने का मौला मिला, जब लोगों को अच्छी कहानियां चाहिए थीं।