वाराणसी : जिसे प्राचीन शिवलिंग बता रहे, वह वर्ष 1883 के बाद चूना-सुर्खी से बना फाउंटेन, मसाजिद कमिटी का दावा

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वाराणसी : जिसे प्राचीन शिवलिंग बता रहे, वह वर्ष 1883 के बाद चूना-सुर्खी से बना फाउंटेन, मसाजिद कमिटी का दावा

वाराणसी : जिसे प्राचीन शिवलिंग बता रहे, वह वर्ष 1883 के बाद चूना-सुर्खी से बना फाउंटेन, मसाजिद कमिटी का दावा

Varanasi News Today : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग को लेकर हिंदू-मुस्लिम अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। मसाजिद कमिटी ने आपत्ति दाखिल करने की अर्जी जिला जज की अदालत में दी है।

 

हाइलाइट्स

  • मसाजिद कमिटी के संयुक्त सचिव ने किया दावा
  • 1883 तक ज्ञानवापी के अंदर वजूखाना नहीं था
  • पहले लोग कुएं से पानी निकालकर वजू करते थे
वाराणसी : पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) से साइंटिफिक विधि से सर्वे कराने को लेकर दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति शुक्रवार को दाखिल नहीं हो सकी। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी की ओर से सोमवार तक आपत्ति दाखिल करने की अर्जी जिला जज की अदालत में दी गई है। इस बीच मसाजिद कमिटी के संयुक्‍त सचिव मोहम्‍मद सैयद यासीन ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि वजूखाने में मिले जिस फाउंटेन को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है, वह 1883 के बाद चूना-सुर्खी से बनी एक आकृति है।

जिला कलेक्‍ट्री अभिलेखागार में रखे एक मैप से स्‍पष्‍ट है कि 1883 तक ज्ञानवापी के अंदर वजूखाना नहीं था। पहले लोग कुएं से पानी निकालकर वजू करते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब वजूखाना ही नहीं था तो फिर फाउंटेन कहां से होता, जिसे आज शिवलिंग कहा जा रहा है। 1883 के बाद वजूखाना बना और उसके बाद चूना-सुर्खी से फाउंटेन बना। फाउंटेन की गोल आकृति से पानी का फ्लो ऊपर की ओर आए, इसके लिए उसके बीचो-बीच ड्रिल किया गया। फाउंटेन के सबसे ऊपर बोतल के आकर की एक आकृति थे, जिसे दो साल पहले फाउंटेन खराब होने पर निकालकर अलग कर दिया गया था, जिससे वहां पर पांच खाने वाले निशान दिखते हैं।

जज को मुआयना में कुछ नहीं दिखा था

मसाजिद कमिटी के सचिव मोहम्‍मद सैयद यासीन का कहना है कि जहां पर वजूखाना होता है, उसके पानी में मछलियां होती हैं। पानी स्थिर रहने पर म‍छलियों के जिंदा रहने की संभावना कम होती है और पानी भी गंदा हो जाता है। पानी में फ्लो कि लिए फाउंटेन बनाया गया था। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के शिखर होने की बात गलत है। तीनों गुंबद डबल लेयर की दीवार के सहारे खड़े हैं। 1937 में सिविल जज ने मस्जिद परिसर का दो बार मुआयना किया था, तब उन्‍हें ऐसी कोई चीज नहीं दिखी थी। सिविल जज ने अपने ऑर्डर में लिखा था कि यह मस्जिद ऊपर से लेकर नीचे तक मुस्लिम वक्‍फ की प्रॉपर्टी है। इसलिए उन्‍हें नमाज पढ़ने ओर उर्स मनाने का हक है। हिंदू पक्ष की मांग पर सैयद यासीन का कहना है कि मस्जिद परिसर ही नहीं, पूरे बनारस का सर्वे होना चाहिए।

हिंदू पक्ष के सभी वादी एक हो गए

ज्ञानवापी में दावे वाले शिवलिंग की साइंटिफिक जांच करवाने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू पक्ष के सभी वादी फिर से एक हो गए हैं। पहले अलग हुई शृंगार गौरी केस वादिनी राखी सिंह और पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन की ओर से उनके वकील शिवम गौर ने जिला जज की अदालत में अपना समर्थन पत्र प्रस्तुत किया है। जितेंद्र सिंह का कहना है कि पूरे मस्जिद परिसर के सर्वे वाली मांग के लिए वे बाकियों के साथ हैं। बता दें कि हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्‍णु शंकर जैन की तरफ से शृंगार गौरी केस की चार वादिनी महिलाओं समेत छह लोगों ने जिला जज की अदालत में पूरे ज्ञानवापी परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने की याचिका दाखिल की है।

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