वायरल फीवर, डेंगू और मलेरिया में है बड़ा अंतर, ध्यान दें नहीं तो मरीज हो सकता है गंभीर | Viral Fever dengu, maleriya Treatment At Home | Patrika News

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वायरल फीवर, डेंगू और मलेरिया में है बड़ा अंतर, ध्यान दें नहीं तो मरीज हो सकता है गंभीर | Viral Fever dengu, maleriya Treatment At Home | Patrika News

वायरल फीवर, डेंगू और मलेरिया में है बड़ा अंतर, ध्यान दें नहीं तो मरीज हो सकता है गंभीर | Viral Fever dengu, maleriya Treatment At Home | Patrika News

वायरल के लक्षण

सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, आंखों का लाल होना, माथे पर तेज गर्माहट महसूस होना, उल्टी-दस्त होना, ठंड और कंपकंपी लगना, सर्दी-जुकाम, नाक बहना, सिरदर्द, बदनदर्द, उल्टी या डायरिया आदि इसके लक्षण हैं।

डेंगू के बारे में…

मच्छर के काटे जाने के 3 से 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है। इनके तीन प्रकार हैं।

1. क्लासिकल (साधारण):

ठंड के साथ अचानक तेज बुखार आना, सिर, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द (जो आंखें दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है) बहुत ज्यादा कमजोरी, भूख न लगना और जी मितलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द, शरीर खासकर चेहरे, गर्दन व छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज आदि। यह बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है। डेंगू का यही टाइप कॉमन है।

2. डेंगू हैमरेजिक बुखार:

नाक-मसूड़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते पड़ जाना। इसमें गंभीरता अधिक होती है।

3. डेंगू शॉक सिंड्रोम:

इसमें भी डेंगू हैमरेजिक बुखार के सभी लक्षणों के साथ ‘शॉक’ जैसे लक्षण भी होते हैं। जैसे मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है। मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।

मल्टीऑर्गन फेल्योर की भी आशंका

डेंगू से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूड बाहर निकल जाता है। पेट में पानी जमा हो जाता है। लंग्स व लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं। मरीज की नाड़ी कभी तेज, कभी धीरे चलने लगती है। बीपी लो हो जाता है।

मलेरिया के लक्षण

ठंड लगना, तेज बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, पसीना आना, थकान, बेचैनी होना, उल्टी आना, एनीमिया, मांसपेशियों में दर्द ब्लड स्टूल (मल में खून आना), मरीज असहाय महसूस करता है।

सुपाच्य खाना खाएं

खाना हल्का खाएं। ज्यादा लिक्विड डाइट से रिकवरी तेज होती है। चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, ऑयली, मसालेदार, नॉनवेज खाने से बचें। ठंडी-खट्टी चीजों न खाएं। लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लें।

मच्छरों से ऐसे बचें

सफाई का ध्यान रखें। रुके पानी में मच्छर पनपते हैं। गमलों के पानी को हर हफ्ते बदलते रहें। मच्छरदानी का उपयोग करें। घरों में दवाओं का छिड़काव कराएं। पूरे बाजू के कपड़े पहनें।

पेनकिलर मन से न लें

भरपूर पानी पीएं। लिक्विड डाइट लें। आराम करें। खुद से पेनकिलर न लें या डॉक्टरी सलाह से दवा लें। बुखार तीन दिन में ठीक न हो तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। शरीर पर ठंडी पट्टी भी रख सकते हैं।



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