रेप के बाद जिंदगी 4: पुलिस-प्रशासन ने ही नहीं दिया साथ, न्याय के लिए 3 साल तक किया जद्दोजहद | rape victim case study police not supported the rape victim people str | Patrika News

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रेप के बाद जिंदगी 4: पुलिस-प्रशासन ने ही नहीं दिया साथ, न्याय के लिए 3 साल तक किया जद्दोजहद | rape victim case study police not supported the rape victim people str | Patrika News

रेप के बाद जिंदगी 4: पुलिस-प्रशासन ने ही नहीं दिया साथ, न्याय के लिए 3 साल तक किया जद्दोजहद | rape victim case study police not supported the rape victim people str | News 4 Social

रेप के बाद जिंदगी की ये कहानी स*#*# की है। ये नाम बदला हुआ है। वो टियर 1 सिटी के एक गांव में रहती थी। 5 लड़कों ने उनका गैंगरेप किया। अफसोस की बात है कि स*#*# अब इस दुनिया में नहीं है।

रेप के बाद जिंदगी सीरीज की ये कहानी स*#*# की है। ये नाम बदला हुआ है। वो टियर 1 सिटी के एक गांव में रहती थी। 5 लड़कों ने उनका गैंगरेप किया। अफसोस की बात है कि स*#*# अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन गांव के प्रधान चंदन सिंह ने स*#*# के आरोपियों को साम-दाम-दंड-भेद करके सजा दिलवाई। हालांकि अभी भी एक आरोपी फर्जी कागज दिखाकर सीना चौड़ा करके खुलेआम बाहर घूम रहा है।

स*#*# की मां शांत स्वभाव की है। उन्होंने घटना के बारे में हमसे ज्यादा बातचीत नहीं की। इसलिए गांव के प्रधान चंदन सिंह ने हमें घटना के बारे में डिटेल से बताया। चंदन गांव के प्रधान के साथ-साथ स*#*# के वकील भी हैं।

16 जनवरी 2019, एक कॉल आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है
स*#*# गरीब घर की लड़की थी। उसके घर में पैसे कमाने वाला कोई नहीं था। वो अपनी सौतेली मां और 6 छोटे भाई-बहनों के साथ रहती थी। उसे जॉब की सख्त जरूरत थी। उसकी मजबूरी को देखते हुए कुछ मनचलों ने उसे अपने जाल में फंसाया। 6 लड़कों ने मिलकर स*#*# तक जॉब प्रोवाइड करवाने वाला कार्ड पहुंचाया। जो पूरी तरह से फर्जी था। उस कार्ड में लिखा था कि एक ही कॉल में आपके जीवन में बदलाव आ सकता है।

घटना को अंजाम देने के लिए की थी प्री- प्लानिंग
स*#*# के घर से 25 किलोमीटर दूर हर्बल लाइफ नाम का एक नकली ऑफिस बनाया गया। कंपनी का मालिक सोनू था। स*#*# वहां जॉब करने लगी। हफ्ते भर बाद सोनू ने स*#*# को मीटिंग के लिए और बड़े बॉस से मिलने के बहाने से बुलाया। मीटिंग खत्म होने के बाद सोनू धोखे से स*#*# को एक बिल्डिंग में ले गया। वहां पर 5 युवक और 1 महिला समेत कुल 6 लोग थे। पांचों लड़कों ने शराब के नशे में स*#*# के साथ रेप किया। अगली सुबह, लड़के तो बाहर चले गए लेकिन महिला से कहा कि स*#*# पर नजर रखे, हम फिर आएंगे।

खुद को बचाने में तीसरी मंजिल से गिर गई पीड़िता
सब लड़कों के जाने के बाद मौका देखते ही स*#*# वहां से भागने की कोशिश की। लेकिन नीचे का रास्ता बंद था इसलिए वो जख्मी हालत में किसी तरह भागते-भागते बिल्डिंग के तीसरे मंजिल तक गई। वहां से मदद के लिए आवाज दी। लेकिन थोड़ी ही देर में उन लड़कों में से एक वहां आ गया।

आस-पास के लोग मामला समझ पाते कि पीछे से महिला, युवक और पीड़िता के बीच हाथापाई और झड़प होने लगी। इतने में ही पीड़िता तीसरी मंजिल से नीचे गिर गई। 4-5 घंटो तक स*#*# के शरीर से खून बहता रहा लेकिन समय से अस्पताल में इलाज नहीं मिला।

पुलिस ने अंदर ही अंदर आरोपियों से बात कर ली
मुख्य आरोपी सोनू का राजनीतिक संबंध होने की वजह से पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही थी। ये जानते हुए कि लड़की के साथ गैंगरेप हुआ है, पुलिस ने कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज की। जब पीड़िता के परिवार वाले रिपोर्ट दर्ज करवाने गए थे तो पुलिस ने गलत अंदाज में बात करते हुए कहा कि लड़की का पहले से प्रेम संबंध रहा होगा।

घटना के 40 घंटे बाद पुलिस ने लड़की की मां के पास कॉल किया और बताया कि आपकी लड़की के जैसी ही एक लड़की मिली है, जो थोड़ी घायल है और इस वक्त अस्पताल में है। केस को पलटने में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी क्योंकि उन्होंने ना तो उस बिल्डिंग को सील किया जहां से लड़की गिरी थी और ना ही आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिस बिल्डिंग में गैंगरेप किया गया था वो मुन्ना सिंह की थी। वो यहां का एक नामी गुंडा था। मुन्ना सिंह ने पहले ही पुलिस से कह दिया था कि मेरी बिल्डिंग पर आंच नहीं आनी चाहिए।

बाद में मालूम हुआ कि पुलिस ने अंदर ही अंदर सभी आरोपियों से पूछताछ कर ली थी। पुलिस को पूरा मामला पता था कि इस घटना को किस तरह से अंजाम दिया गया है। लेकिन पुलिस वालों ने पीड़िता की मदद करने के बजाए आरोपियों को बचाने का काम किया।

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अस्पताल की लापरवाही से हादसे के 3 तीन बाद पीड़िता की हुई मौत
प्रधान बताते हैं, “जब मैं अस्पताल में पीड़िता की मां के साथ उसे देखने पहुंचा तो मोबाइल का कैमरा ऑन कर लिया था। ताकि स*#*# की बताई बातें हमारे पास रिकॉर्ड रहे। लेकिन उसकी हालत बहुत नाजुक थी। शरीर के एक साइड का हिस्सा पूरी तरह से खराब हो चुका था जिसकी वजह से वो बोल नहीं पा रही थी। सिर्फ उसकी जुबान हिल रही थी। मैंने गौर किया स*#*# के हथेली के पीछे हिस्से में दांतों के निशान थे। मैं उससे पुछना चाहता था लेकिन तब तक पुलिस और मेडिकल स्टॉफ हमें बाहर खदेड़ने लगे। मेडिकल स्टॉफ का रवैया पीड़िता के लिए भी सही नहीं था। उन्होंने 2 घंटे तक स*#*# का कोई इलाज नहीं किया था। पीड़िता के जिंदा होने के बावजूद भी हॉस्पिटल वालों ने सब इंजेक्शन और मशीने निकाल दिया था। इलाज करना बंद कर दिया था। जिसके बाद उसकी रात में ही मौत हो गई।”

पुलिस ने कहा, हमारे साथ कोऑपरेट कीजिए नहीं तो सही नहीं होगा
पुलिस नहीं चाहती थी कि परिवार को पता चले कि लड़की के साथ रेप हुआ है। वो इस केस को मिसिंग कम्प्लेन में ही खत्म कर देना चाहते थे। लेकिन प्रधान ने कहा कि पीड़िता के हाथ में वो दांत के निशान मुझे परेशान कर रहे थे। मुझे शक हुआ कि लड़की के साथ कुछ गलत हुआ है।

जब मैं इस केस से जुड़े सबूतों को खंगालने लगा तो पुलिस ने मेरे पास कॉल किया और कहा कि हमारे साथ को-ऑपरेट करिए। जब मुझे टॉर्चर करना शुरू किया गया तो मुझे विश्वास हो गया कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। मेरे पास कई अनजान नंबर से भी कॉल आई और धमकियां दी गई कि इस केस को छोड़ दो।

पुलिस को शरीर जलाने की जल्दी थी, ताकि मामला रफा-दफा हो सके
पुलिस चाहती थी कि जल्द से जल्द लड़की का पोस्टमार्टम करवा दिया जाए ताकि अंतिम संस्कार हो जाए। इसके बाद पूरा किस्सा ही खत्म हो जाए। मैं पोस्टमार्टम नहीं करवा रहा था क्योंकि मुझे पता था कि पोस्टमार्टम के बाद पुलिस केस को खत्म कर देगी और कोई जांच नहीं होगी।

पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस ने कहा कि आप लोग लाश को ले जाकर तुरंत अंतिम संस्कार कर दीजिए। वो बस किसी तरह बॉडी को जलवा देना चाहते थे। पुलिस पूरी तरह से डरी हुई थी।

पुलिस से कमिश्नर, कमिश्नर से डीसीपी तक गए…तब हुई गिरफ्तारी
जब पुलिस का रवैया पूरी तरह से समझ आ गया तो हमने 35-40 लोगों का ग्रुप बनाया और कमिश्नर ऑफिस गए। कमिश्नर को हमने पूरी घटना बताई। कमिश्नर से मिलने के बाद हम डीसीपी के पास गए, लेकिन उन्होंने हमसे मुलाकात नहीं की और हमें ज्वाइंट डीसीपी से मिलने के लिए कहा।

ज्वाइंट डीसीपी ने हमसे कहा कि मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कोर्ट से समन भेजा जाएगा। मैंने उनसे सवाल किया कि आरोपियों को अरेस्ट किया गया है लेकिन पीड़िता को कैसे पता चलेगा कि वो कौन लोग हैं। हमें ऐसी कोई जानकारी क्यों नहीं मिली है। इसके बाद डीसीपी ने कबूल भी किया कि लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था।

आरोपियों को सलाखों के पीछे देखने के लिए किया धरना-प्रदर्शन
हमें बताया गया था कि पांच आरोपी अरेस्ट हो चुके हैं। लेकिन इस केस में पुलिस और प्रशासन का रवैया इतना ज्यादा खराब था कि हम यकीन नहीं कर पा रहे थे। यहां तक की पूरा मामला भी हमें नहीं बताया जा रहा था। हमने जेल में बंद आरोपियों को देखने के लिए पुलिस से कहा। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

इसके बाद हम लोगों ने पारलियामेंट का घेराव किया। थाने पर धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद मुझे धमकियां मिलने लगी। मेरी जान तक को खतरा हो गया था। यहां तक की पीड़िता के भाई की जान को भी खतरा था। जिसके बाद मैंने मोहल्ले में सीसीटीवी कैमरा लगवाया।

इस केस की सबसे बुरी बात थी कि जो लड़का पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड सोनू था, उसको नाबालिग दिखाकर रिहा करवा लिया गया है। इसके अलावा पांचों आरोपी जेल के अंदर हैं, जिनमें से एक महिला भी शामिल है। केस के मास्टरमाइंट का अभी डीएनए टेस्ट होना बाकी है।

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