रामायण फाड़ यादव को जानते हैं क्या? यूपी में पहली बार नहीं हो रहा है Ramcharitmanas पर विवाद
कौन थे रामपाल सिंह यादव
रामपाल सिंह यादव 70 के दशक में सोशलिस्ट पार्टी के कानपुर के प्रभावी नेता हुआ करते थे। उन्होंने अपने जीवन में कुल चार बार विधायकी का चुनाव लड़ा था। कानपुर की डेरा विधानसभा सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर शुरुआती दो बार उन्हें जीत मिली और वह विधानसभा पहुंचे। साल 1969 में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता नित्यानंद पांडेय को हरा दिया था। इसके बाद से जनता के बीच उनका प्रभाव बढ़ने लगा था। उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि दूसरी बार भी जब वह चुनाव लड़े तो आसानी से जीतकर विधानसभा पहुंच गए लेकिन इस दौरान उन्होंने एक ऐसा कांड कर दिया, जिसने उनके राजनैतिक जीवन पर ग्रहण लगा दिया।
क्या था मामला
साल 1974 की बात है। डेरापुर से विधायक रामपाल सिंह यादव ने सदन के अंदर रामचरितमानस की उस चौपाई वाला पेज फाड़ दिया, जिसमें कहा गया था- ढोल, गंवार, शूद्र, पसु नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी। इतना ही नहीं, इस दौरान उन्होंने मानस को लेकर अभद्र टिप्पणियां भी कीं। उस समय समाचार के लिए लोग अखबार पर आश्रित थे। जब उनके क्षेत्र के लोगों को अखबार के जरिए इस घटना की जानकारी मिली तो वे सड़कों पर आ गए। उनके पैतृक गांव सिठमरा में भी लोग उनके खिलाफ हो गए।
रामपाल हो गए रामायण फाड़ यादव
रामपाल सिंह का दांव उल्टा पड़ गया। लोगों ने उनका नाम ही रामायण फाड़ यादव रख दिया। उनके इस नामकरण से लोग यह घटना कभी नहीं भूल पाए और इसके बाद रामपाल सिंह यादव जब तीसरी बार साल 1977 में चुनावी मैदान में उतरे, तब उन्हें बुरी तरह से हार मिली। इस घटना के 47 साल बाद एक बार फिर समाजवादी खेमे से रामचरितमानस के खिलाफ आवाज सुनाई दी है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने उसी चौपाई पर आपत्ति जताई है और रामचरितमानस को बकवास करार दिया है। प्रदेश में उनका जमकर विरोध हो रहा है। सपा के नेता भी उनके बयान से किनारा करने लगे हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठने लगे हैं कि मौर्य का यह बयान क्या उन्हें भी रामपाल सिंह यादव के हश्र तक पहुंचाएगा या इस बार इसे लेकर जनता में दूसरे तरह का प्रभाव होगा।