राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ संसद में प्रस्ताव लाएगी TMC, ममता बनर्जी संग पार्टी सांसदों के साथ बैठक में हुआ फैसला

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राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ संसद में प्रस्ताव लाएगी TMC, ममता बनर्जी संग पार्टी सांसदों के साथ बैठक में हुआ फैसला

पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव जारी है। अब राज्य की तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। गुरुवार को पार्टी ने फैसला किया कि वो राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाएगी। इस मामले से अवगत टीएमसी नेताओं ने कहा कि यह फैसला बंद दरवाजे के अंदर हुई एक बैठक में लिया गया है। ममता बनर्जी इस बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं। बैठक में पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सदस्य मौजूद थें और आगामी संसद सत्र को लेकर पार्टी की रणनीतियों पर भी इस वैठक में चर्चा की गई है।

टीएमसी के नेता सार्वजनिक मंचों पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एजेंट बताते रहे हैं। इतना ही नहीं वो कोलकाता में राजभवन को भगवा कैंप का कार्यालय भी बताते रहे हैं। एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा कि इस प्रस्ताव में राज्यपाल द्वारा किये गये कार्यों को संविधान के नियमों का उल्लंघन बताया गया है। 

चूकि गनर्नर को संविधान के द्वारा सुरक्षा प्राप्त है इसलिए टीएमसी सीधे तौर पर धनखड़ को हटाने की मांग करने के बजाए उनके कार्यों पर फोकस कर रही है। अपने प्रस्ताव पर समर्थन हासिल करने के लिए टीएमसी अन्य पार्टियों से भी बातचीत करेगी। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक के इतिहास में किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया लेकिन यह कोशिश व्यर्थ साबित हो सकती है। राज्यसभा का रूल बुक कहता है, एक मूल प्रस्ताव एक स्वयं निहित प्रस्ताव है जो किसी विषय के लिए लाया गया है और प्रस्ताव उसे आगे बढ़ाने की इच्छा रखता है।’ 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीएमसी के राज्यसभा सदस्य और वकील सुखेंदु शेखर से कहा था कि वो विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर ड्राफ्ट तैयार करें। उन्होंने कहा कि जब शासन की बात आती है तब वहां धनखड़ ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं। वो मनमाने ढंग से ब्यूरोक्रेट्स को समन जारी करते हैं और फिर उनसे स्पष्टीकरण मांगते हैं। वो मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान नहीं दिखाते हैं।

क्या पार्टी जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग करेगी? इस सवाल के जवाब में पार्टी के लोकसभा सदस्य सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि बजाए इसके कि राज्यपाल इस तरह की मांग का इंतजार करें उन्हें खुद ही चले जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि वो अपने काम से समय निकाल कर संगठन के कार्यों में भी समय देंगी।

संविधान के जानकार और प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब यूनिवर्सिटी) के पूर्व प्रिंसिपल, अमल मुखर्जी ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा कि यह प्रस्ताव राज्यसभा अध्यक्ष द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाएगा क्योंकि इसकी वैधता नहीं है। मुखर्जी ने कहा, सिर्फ संसद के सदस्यों के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है। एक राज्यपाल इन नियमों से ऊपर है। कई मायनों में एक गवर्नर को राष्ट्रपति से भी ज्यादा संरक्षण हासिल हैं। संसद राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही कर सकता है लेकिन गवर्नर के खिलाफ नहीं।’

बता दें कि 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी। लेकिन इसके महज 2 महीने बाद ही राज्य की ममता सरकार से उनके मतभेद सामने आने लगे थे। उस साल 19 सितंबर को जब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता बाबुल सुप्रियो का घेराव जाधवपुर यूनिवर्सिटी में छात्रों ने किया था तब राज्यपाल उन्हें वहां से छुड़ाने के लिए पहुंच गए थे।पांच दिनों बाद धनखड़ ने सिलिगुड़ी का दौरा किया था। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में नहीं आए थे।

हालांकि, उस वक्त राज्यपाल ने कहा था कि अगर लोग बैठक में नहीं आना चाहते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं भविष्य में हर जिले में जाउंगा और इस तरह की मीटिंग बुलाऊंगा। राज्यपाल और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच सोशल मीडिया पर भी अक्सर टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई। इसके अलावा दोनों ही तरफ से कई चिट्ठियां भी मीडिया भी सामने आईं, जिससे दोनों के बीच टकराव की बातें उजागर हुईं। अप्रैल 2020 में जब राज्य में कोरोना महामारी का कहर टूटा था तब उस वक्त भी राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता सरकार के कोरोना प्रबंधन पर सवाल उठाया था।



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