राजस्थान:यहां मरीज भी वीआईपी होते हैं | Rajasthan: Patients are also VIP here | Patrika News

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राजस्थान:यहां मरीज भी वीआईपी होते हैं | Rajasthan: Patients are also VIP here | Patrika News

एसएमएस अस्पताल में ही करीब 22 करोड़ रुपए की लागत से दो साल पहले तैयार आधुनिक आइसीयू सुविधायुक्त संक्रामक रोग संस्थान भी वीआइपी के लिए ही काम में लिया जा रहा है। कोरोना काल के दौरान यहां वीआइपी मरीजों का वैक्सीनेशन हुआ और कुछ मामलों में सिर्फ वीआइपी मरीजों को ही रखा गया। इसके अलावा करीब 25 करोड़ के संसाधन जयपुर सहित, अजमेर, जोधपुर व उदयपुर सहित अन्य शहरों के अस्पतालों में ऐसे मरीजों पर खपाए जा रहे हैं। वीआइपी में मंत्री, विधायक, बड़े अफसर, राजनीतिक दलों के पदाधिकारी-नेताओं सहित बड़े कारोबारी व अन्य क्षेत्रों के प्रभावशाली लोग शामिल हैं।

एंट्री से लेकर डिस्चार्ज तक का जिम्मा वीआइपी की चाकरी के लिए लगाए जाने वाले कार्मिक पर्ची, दवा, जांच, भर्ती जैसी सुविधाओं का जिम्मा संभालते हैं। अप्रत्यक्ष तौर पर कुछ संसाधन सिर्फ ऐसे मरीजों के लिए ही आरक्षित हैं, जहां प्रवेश ही वीआइपी मरीजों का संभव है। पूर्ववर्ती चिकित्सा मंत्रियों के समय भी वीआइपी मरीजों की तीमारदारी पर संसाधन झोंकने को लेकर विवाद सामने आ चुके हैं। कुछ डॉक्टर भी ऐसे हैं, जिनका जिम्मा सिर्फ मंत्री या अन्य वीआइपी कॉल पर इलाज करना या उसकी व्यवस्था करना है।

सीधे आइसीयू-कॉटेज की सुविधाएं बड़े अस्पतालों में वीआइपी मरीज के अस्पताल पहुंचते ही सीधे आइसीयू या कॉटेज दे दिए जाते हैं, जबकि आम मरीजों को ऐसी सुविधाएं आसानी से नहीं मिलतीं। भर्ती होने के बाद सामान्य लोगों को आइसीयू की जरूरत होने पर भी पहले सामान्य वार्ड में ही भर्ती किया जाता है। वहां भी कई बार चिकित्सक तक उन्हें आइसीयू नहीं दिला पाते। कई बार तो ऐसे मरीजों को सामान्य पलंग तक नहीं मिल पाता। बेंच, जमीन और बच्चों के अस्पतालों में तो एक ही पलंग पर दो बच्चों का उपचार करने के दृश्य भी सामने आ चुके हैं।

सभी शहरों में एक-सा हाल जयपुर : दो साल से एसएमएस के संक्रामक रोग अस्पताल को आम मरीजों के लिए भले ही नहीं खोला गया, लेकिन कोरोना काल के दौरान यहां वीवीआइपी मरीज और उनके रिश्तेदारों का इलाज किया गया।

उदयपुर : मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वीआइपी को हर सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई जा रही है। अलग से स्टाफ की व्यवस्था की जाती है। जोधपुर : डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वीआइपी की तीमारदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। यहां एक वीआइपी बीमार हुआ तो उनके लिए घर पर ही अस्पताल सजा दिया गया। कई मामले ऐसे भी हुए, जिनमें सीधे आइसीयू और कॉटेज दिए गए।

अजमेर : जेएलएन में हेल्प डेस्क बनाई हुई है, जिसमें चार नर्सिंग कर्मी लगाए हुए हैं। एसएमएस : एक वार्ड ब्वॉय और 11 नर्सिंगकर्मी इन्हीं के लिए समर्पित हैं, जो 24 घंटे जिम्मा संभालते हैं। एक कक्ष से वीआइपी की सुविधाओं की मॉनिटरिंग की जाती है।

जनाना : 3 नर्सिंगसकर्मी पूरे समय वीआइपी मरीजों के लिए ही लगाए हुए हैं। जयपुरिया : यहां वीआइपी के लिए 2 महिला नर्सेज हैं। जेके लोन : वीआइपी मरीजों को सीधे इमरजेंसी के जरिए भर्ती कर इलाज सुनिश्चित कर दिया जाता है।

महिला अस्पताल : 2 नर्सिंग स्टाफ को लगाया गया है। आरयूएचएस : कोरोना काल में यहां ऐसे मरीजों के लिए कई कार्मिक जिम्मा संभाले हुए थे, आम मरीजों को तब पलंग नहीं मिले, जबकि इन्हें सीधे कमरे और आइसीयू दिए गए।



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