यूपी के इस मंदिर की चौखट की मिट्टी में हैं बड़े गुण, चुटकी भर मिट्टी लगाने से गठिया बीमारी होती है छूमंतर

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यूपी के इस मंदिर की चौखट की मिट्टी में हैं बड़े गुण, चुटकी भर मिट्टी लगाने से गठिया बीमारी होती है छूमंतर

यूपी के इस मंदिर की चौखट की मिट्टी में हैं बड़े गुण, चुटकी भर मिट्टी लगाने से गठिया बीमारी होती है छूमंतर

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में सैकड़ों साल पुराने छत विहीन मां भुईयांरानी के मंदिर में आषाढ़ मास के आखिरी रविवार को आस्था का बड़ा सैलाब उमड़ा कि मंदिर में तिल रखने की भी जगह नहीं रही। इस मंदिर की चौखट की चुटकी भर मिट्टी लेने के लिए भी लोगों की बड़ी भीड़ उमड़ी। यहां की मिट्टी में बड़े ही गुण हैं, जिससे लगाने से गठिया बीमारी छूमंतर होती है। देर शाम तक मंदिर में मेले की धूम मची रही।

हमीरपुर शहर से करीब 11 किमी दूर कुरारा क्षेत्र के झलोखर गांव में मां भुईयांरानी का मंदिर स्थित है। इसका इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर भी पूरी तरह से छत विहीन है। किसी जमाने में यह मंदिर रिहायशी बस्ती से दूर था, लेकिन समय के साथ मंदिर अब घनी आबादी के बीच हो गया है। इस मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब है। जहां माता रानी के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु इसमें स्नान करते हैं। इसके बाद में गठिया बीमारी से परेशान लोग मंदिर के पीछे पड़ी मिट्टी लगाते हैं। आषाढ़ मास के आखिरी रविवार को यहां हजारों लोगों ने माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाई और मिट्टी भरकर साथ ले गए। हमीरपुर, महोबा, जालौन, कानपुर देहात व पड़ोसी एमपी राज्य के इलाके से तमाम श्रद्धालुओं ने यहां आकर माता रानी के मंदिर में विधि-विधान से पूजा और अर्चना की। फिर परिसर में गाय के गोबर के उपले में रोटियां (भौरियां) सेक कर गुड़ के साथ खायी।

मंदिर के पुजारी संतोष प्रजापति ने बताया कि आषाढ़ मास के आखिरी रविवार को मंदिर में पूजा करने के बाद गोबर के उपले में ही रोटियां सेंकने की परम्परा है। इसी का माता रानी के दरबार में भोग लगता है। गांव के समाजसेवी सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि आषाढ़ मास के रविवार को मंदिर में दर्शन करने और चुटकी भर मिट्टी लगाने की परम्परा सैकड़ों साल पुरानी है। यह आषाढ़ मास में हर दिन मां भुईयांरानी मंदिर में भजन कार्यक्रम आयोजित कराए गए हैं। आकाश अनजाना इटावा ने मंदिर में झांकी सजाई है। जागरण समिति के संयोजक श्रवण शर्मा व उनकी टीम भुईयांरानी मंदिर में कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे रहे हैं।

मंदिर की चौखट की मिट्टी लगाते ही दर्द होता है छूमंतर
गांव के समाजसेवी सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कई पीढ़ी से प्रजापति परिवार के लोग ही मंदिर की देखरेख करते हैं। इनके परिवार से दो-दो हफ्ते के लिए पुजारी बनाए जाते हैं। इस समय मंदिर के पुजारी संतोष प्रजापति हैं, जो मंदिर के सारे आयोजन सम्पन्न करा रहे हैं। पुजारी ने बताया कि मंदिर के पीछे पड़ी मिट्टी लगाने से गठिया बीमारी में बड़ा आराम मिलता है। खासकर आषाढ़ मास के रविवार को तालाब में स्नान कर मंदिर में पूजा करने, फिर मिट्टी लगाने से तुरंत दर्द छूमंतर हो जाता है। बताया कि कई राज्यों से भी तमाम लोग गठिया और बात रोग से पीड़ित होकर यहां मंदिर आए थे, जिन्हें आराम मिला है। राजकीय कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एसपी सोनकर ने बताया कि मंदिर बड़ा ही चमत्कारी है। यहां की मिट्टी में औषधीय गुण है, जो गठिया रोग के लिए रामबाण है। बताया कि यहां की मिट्टी में सल्फर जैसे तत्व हैं, जो गठिया रोग में बड़ा फायदा देते हैं।
इनपुट-पंकज मिश्रा

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