यहां मंत्री-विधायक से भी ज्यादा व्यस्त हैं डीइओ, मिलने की तक नहीं है फुर्सत | DEO is more busy than the minister-MLA, no even time to meet | Patrika News
कलेक्टर कार्यालय की नाक के नीचे स्थिति जिला शिक्षाधिकारी दफ्तर में इतनी भर्रेशाही व्याप्त है कि डीइओ नीरव रीक्षित से मिलने आने वाले शिक्षक, कर्मचारी और लोगों को कक्ष के बाहर बैठे भृत्य और कर्मचारी मिलने नहीं देते। पूछने पर कभी कहेंगे कि साहब अभी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में बिजी हैं तो कभी मीटिंग में। पर्ची लिखकर दे दो, मीटिंग के बाद मिलेंगे। भृत्य की इस मनमानी से अंजान लोग पर्ची देने के बाद घंटों कार्यालय में बैठे रहते हैं और कर्मचारी उनकी पर्ची अपनी जेब में डालकर कक्ष के बाहर कुर्सी में मोबाइल में गेम खेलते रहते हैं।
घंटों करते रहे इंतजार, फिर साहब से बिना मिले ही लौट गए
मंगलवार को डीईओ दफ्तर पहुंचे लोगों का दर्द सामने आया। रामपुर बाघेलान से आए एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले दो कार्य दिवस के दिन आ रहा हूं। यहां साहब से नहीं मिलने दिया जाता। कुछ ऐसा ही दर्द यहां बैठे अन्य लोगों का रहा। हालांकि लाचार लोग भीषण तपिश में साहब से मिलने की उम्मीद में बैठे रहे।
रौब ऐसा कि जैसे डीईओ वही हैं
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कर्मचारियों का रौब ऐसा है कि साहब वही हैं। अगर खिन्न हो गए तो शिक्षक, अभिभावक व आम आदमी को जिला शिक्षाधिकारी से मिलने नहीं देते। मंगलवार दोपहर बाद दो दर्जन लोग जिला शिक्षाधिकारी के पास अपना आवेदन लेकर पहुंचे, लेकिन पांच बजे तक मिलने नहीं दिया गया। इनमें से कुछ लोग तो इंतजार के बाद निराश होकर लौट गए।
एक व्यक्ति आधे घंटे तक इंतजार के बाद जब अंदर से मिलने के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो साहब के कक्षा के गेट से झांकने की कोशिश की। इस पर वहां बिना वर्दी व परिचय पत्र के बैठा युवक आग बबूला हो गया। कहा कि दिखाई नहीं देता। यहां मैं बैठा हूं। बिना मेरी अनुमति के बिना साहब से नहीं मिल सकते।
साहब ने लगा रखी है पहरेदारी
चार दिन से डीईओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे व्यक्ति ने बताया कि वह गुरुवार को डीईओ से मिलने आया था। तब कक्ष के बाहर बैठे कर्मचारी ने कहा था कि आज साहब मीटिंग में व्यस्त हैं, कल आना। दूसरे दिन आया तो बोला इंतजार करो, अभी वाउचर साइन कर रहे हैं। एक घंटा तक इंतजार करने के बाद भी जब अंदर से बुलावा नहीं आया तो वह लौट गया। मंगलवार को फिर पहुंचा तो कर्मचारी ने कहा कि अभी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में व्यस्त हैं। कब खाली होंगे, पता नहीं।
कलेक्टर कार्यालय की नाक के नीचे स्थिति जिला शिक्षाधिकारी दफ्तर में इतनी भर्रेशाही व्याप्त है कि डीइओ नीरव रीक्षित से मिलने आने वाले शिक्षक, कर्मचारी और लोगों को कक्ष के बाहर बैठे भृत्य और कर्मचारी मिलने नहीं देते। पूछने पर कभी कहेंगे कि साहब अभी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में बिजी हैं तो कभी मीटिंग में। पर्ची लिखकर दे दो, मीटिंग के बाद मिलेंगे। भृत्य की इस मनमानी से अंजान लोग पर्ची देने के बाद घंटों कार्यालय में बैठे रहते हैं और कर्मचारी उनकी पर्ची अपनी जेब में डालकर कक्ष के बाहर कुर्सी में मोबाइल में गेम खेलते रहते हैं।
घंटों करते रहे इंतजार, फिर साहब से बिना मिले ही लौट गए
मंगलवार को डीईओ दफ्तर पहुंचे लोगों का दर्द सामने आया। रामपुर बाघेलान से आए एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले दो कार्य दिवस के दिन आ रहा हूं। यहां साहब से नहीं मिलने दिया जाता। कुछ ऐसा ही दर्द यहां बैठे अन्य लोगों का रहा। हालांकि लाचार लोग भीषण तपिश में साहब से मिलने की उम्मीद में बैठे रहे।
रौब ऐसा कि जैसे डीईओ वही हैं
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कर्मचारियों का रौब ऐसा है कि साहब वही हैं। अगर खिन्न हो गए तो शिक्षक, अभिभावक व आम आदमी को जिला शिक्षाधिकारी से मिलने नहीं देते। मंगलवार दोपहर बाद दो दर्जन लोग जिला शिक्षाधिकारी के पास अपना आवेदन लेकर पहुंचे, लेकिन पांच बजे तक मिलने नहीं दिया गया। इनमें से कुछ लोग तो इंतजार के बाद निराश होकर लौट गए।
एक व्यक्ति आधे घंटे तक इंतजार के बाद जब अंदर से मिलने के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो साहब के कक्षा के गेट से झांकने की कोशिश की। इस पर वहां बिना वर्दी व परिचय पत्र के बैठा युवक आग बबूला हो गया। कहा कि दिखाई नहीं देता। यहां मैं बैठा हूं। बिना मेरी अनुमति के बिना साहब से नहीं मिल सकते।
साहब ने लगा रखी है पहरेदारी
चार दिन से डीईओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे व्यक्ति ने बताया कि वह गुरुवार को डीईओ से मिलने आया था। तब कक्ष के बाहर बैठे कर्मचारी ने कहा था कि आज साहब मीटिंग में व्यस्त हैं, कल आना। दूसरे दिन आया तो बोला इंतजार करो, अभी वाउचर साइन कर रहे हैं। एक घंटा तक इंतजार करने के बाद भी जब अंदर से बुलावा नहीं आया तो वह लौट गया। मंगलवार को फिर पहुंचा तो कर्मचारी ने कहा कि अभी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में व्यस्त हैं। कब खाली होंगे, पता नहीं।