यहां जन्म के साथ हर व्यक्ति को मिल जाता है डॉक्टर, दवाओं का खर्च सरकार का

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यहां जन्म के साथ हर व्यक्ति को मिल जाता है डॉक्टर, दवाओं का खर्च सरकार का

आप डॉक्टर को कभी भी दिखा सकते हैं इसेक लिए पूरी जिंदगी फीस नहीं लगती, गर्भवती, बेरोजगारों और गरीबों को मुफ्त दवाएं भी मिलती हैं।

इंदौर. कोरोना काल में हमने अपने देश-प्रदेश में वह देखा जो डराने वाला था। महामारी में किसी ने बेटा खोया तो किसी ने पति। कभी दवाओं की किल्लत रही, कभी ऑक्सीजन की कपी से सांसें उखड़ीं। कोरोना ने हमारे स्वास्थ्यगत ढांचे को आइना दिखा दिया। अब भी सरकारें सबक लेने को तैयार नहीं हैं। आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं ब्रिटेन के नेशनल हेल्‍थ सिस्टम से। लंदन के डिप्टी मेयर फॉर बिजनेस राजेश अग्रवाल ने पत्रिका के पाठकों के लिए विशेष तौर पर वहां की स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी है। अग्रवाल मूलतः इंदौर के हैं। उन्होंने कहा, शिक्षा की तरह स्वास्थ्य भी मौलिक अधिकार माना जाना चाहिए। भारत में भी अच्छा स्वास्थ्य ढांचा खड़ा किया जाना चाहिए।

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दुनिया की बिरली स्वास्थ्य सेवाएं ब्रिटेन में
ब्रिटेन में आप डॉक्टर को कभी भी दिखा सकते हैं इसेक लिए पूरी जिंदगी फीस नहीं लगती है। गर्भवती, बेरोजगारों और गरीबों को मुफ्त दवाएं भी मिलती हैं। ब्रिटेन में नेशनल हेल्‍थ सिस्टम है। यहां जन्म से हर व्यक्ति को डॉक्टर दे दिया जाता है। बच्चा जनरल प्रेक्टिशनर के यहां पंजीबद्ध होता है। यह लोकल सर्जरी विभाग कहा जाता है। प्राथमिक जांच सामान्य डॉक्टर करते हैं। उन्हें लगता है कि विशेषज्ञ को देखने की जरूरत है तो वे मरीज को रैफर करते हैं। हॉस्पिटिलाइजेशन होने पर मुफ्त उपचार होता है।

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सरकार मुफ्त में रजिस्ट्रेशन करती है। इस विभाग में 10-15 डॉक्टर रहते हैं। जब कोई बीमार होता है तो उसे रजिस्टर्ड विभाग के पास ही जाना होता है। वही 18 वर्ष से कम 60+ के हर व्यक्ति को दवा मुफ्त है। बीच की उम्र वालों के लिए दवा की अधिकतम फीस तय है। अधिक की दवा हुई तो भुगतान सरकार करती है।

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यहां डॉक्टर ही नहीं
मध्यप्रदेश में 2289 लोगों पर एक डॉक्टर का अनुपात है। आयुष डॉक्टरों को शामिल करें तो 10 हजार की आबादी पर आयुष और एलोपैथी डॉक्टरों को मिलाकर सिर्फ 11 डॉक्टर, पांच नर्स और चार अन्य स्वास्थ्यकर्मी हैं।

मैं भी घर से बाहर नहीं निकलता था
पत्रिका ने अग्रवाल से पूछा कि लॉकडाउन के दौर में आप काम कैसे कर रहे थे, क्या घर से बाहर निकल रहे थे? उनका जवाब था, बिल्कुल नहीं। हम लोगों से घरों में रहने की अपील कर रहे हैं तो कैसे बाहर निकल सकते हैं। दौरे नहीं किए, बस ऑनलाइन पूरी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाते रहे।



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