‘मेल ब्रेस्ट्स’ से छुटकारा पाने को बढ़ीं सर्जरी, कोरोना से पहले बेहद कम था ये आंकड़ा

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‘मेल ब्रेस्ट्स’ से छुटकारा पाने को बढ़ीं सर्जरी, कोरोना से पहले बेहद कम था ये आंकड़ा

हाइलाइट्स

  • डॉक्टरों की भाषा में कहा जाता है गायनेकोमास्टिया
  • लोकनायक अस्पताल में हर ओटी में एक सर्जरी, महीने में हो रहीं आठ
  • मधुकर रेंबो अस्पताल हर महीने 15 से 20 सर्जरी की जा रहीं
  • आरएमएल में भी महीने में 10 ये 12 सर्जरी हो रही हैं
  • कोरोना महमारी आने से पहले इन सभी अस्पतालों में बेहद कम होती थी यह सर्जरी
  • अच्छी बात यह है कि सर्जरी के बाद व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है

नई दिल्ली
अस्पतालों में इन दिनों गायनेकोमास्टिया की सर्जरी काफी बढ़ गई हैं। इसे आसान भाषा में चेस्ट फैट या मेल ब्रेस्ट्स भी कहा जाता है, जो पुरुषों या नौजवानों में बढ़ रही है। जो लोग 5-10 साल से परेशान थे, वह इसकी सर्जरी कराने लगे हैं। लॉकडाउन के दौरान लोगों में खाने-पीने की गलत आदतों की वजह से गायनेकोमास्टिया बढ़ा है। अब अस्पतालों में हर ओटी में इसकी सर्जरी होती देखी जा रही है।

महीने में 7-8 सर्जरी गायनेकोमास्टिया की हो रही
लोकनायक अस्पताल में बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉ. पीएस भंडारी के अनुसार जिम में स्टेरॉयड, प्रोटीन शेक और लॉकडाउन में खाने-पीने पर कंट्रोल ना होने से गायनेकोमास्टिया की सर्जरी बढ़ी हैं। कई बार यह हार्मोनल चेंजेस की वजह से भी होता है। मगर कोविड आने से पहले हम एक-दो महीने में एक ही सर्जरी करते थे, वहीं सेकंड वेव के बाद हर ओटी में एक सर्जरी हो रही है। हफ्ते में दो ओटी होते हैं, जिसके तहत महीने में 7-8 सर्जरी गायनेकोमास्टिया की हो रही हैं। सर्जरी कराने वालों में ज्यादातर 18 से 25 साल के युवा हैं। अच्छी बात है सर्जरी के साइड इफेक्ट्स नहीं हैं और कुछ दिनों में व्यक्ति चेस्ट एक्सरसाइज छोड़कर बाकी नियमित काम कर सकता है।

महामारी के दौरान इस सर्जरी में उछाल आया
मधुकर रेनबो अस्पताल में प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉ. विवेक गुप्ता बताते हैं कोरोना और लॉकडाउन के बाद लोगों में गायनेकोमास्टिया को लेकर जागरूकता बढ़ी है। ऐसे लोग सर्जरी कराने आ रहे हैं, जो 10 साल से परेशान थे। कोरोना से पहले हम महीने में गायनेकोमास्टिया की 5-7 सर्जरी करते थे, लेकिन महामारी के दौरान इस सर्जरी में उछाल आया और महीने में 30-35 सर्जरी की जाने लगीं। अभी भी हम हर महीने 15-20 सर्जरी कर रहे हैं। 19 साल से ऊपर के लोगों की ही सर्जरी करते हैं। हमारे पास ज्यादातर केस 19 से 40 साल के बीच के हैं। सर्जरी के बाद मरीज को कुछ दिन चेस्ट की एक्सरसाइज से परहेज करना होता है लेकिन तीन-चार दिन में ऑफिस का काम या कहीं आना-जाना कर सकते हैं।

सर्जरी के बाद इसमें 800 या हजार सेल्स छोड़ दिए जाते
गायनेकोमास्टिया पर आरएमएल अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ. मनोज झा कहते हैं कि उनके यहां भी हर महीने 10-12 सर्जरी हो रही हैं। कुछ महीनों में लोग जागरूक हुए हैं। चेस्ट में कुछ सेल्स होते हैं जहां फैट स्टोर होता है। अगर इसमें चार हजार सेल्स हैं तो ज्यादा फैट स्टोर होगा। सर्जरी के बाद इसमें 800 या हजार सेल्स छोड़ दिए जाते हैं। अब सेल्स कम होंगे, तो फैट भी कम स्टोर होगा। उनका कहना है इस सर्जरी के बाद पुरुषों में अलग तरह का कॉन्फिडेंस देखा गया है क्योंकि चेस्ट पर फैट होने से टी-शर्ट पहनना मुश्किल था, स्वीमिंग करने में शर्म आती थी, स्कूल-कॉलेज में मजाक बनता था।

क्या है गायनेकोमास्टिया
गायनेकोमास्टिया में पुरुषों या युवाओं की चेस्ट पर फैट जमा हो जाता है और वह महिलाओं की तरह दिखने लगता है। साथ ही ब्रेस्ट टिश्यू बढ़ जाते हैं। युवावस्था में भी चेस्ट में बदलाव होते हैं और अधिकतर मामलों में समय के साथ नॉर्मल भी हो जाते हैं। मगर यह समस्या दो साल से ज्यादा रहे तो यह गायनेकोमास्टिया बन जाती है।

क्यों होता है
डॉक्टर्स का कहना है हार्मोंस का असंतुलन होना या उनमें बदलाव होना, युवावस्था, खाने-पीने की गलत आदतें और जल्दी मसल्स बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए स्टेरॉयड की वजह से गायनेकोमास्टिया होता है।

क्यों करवा रहे सर्जरी
डॉ. भंडारी के मुताबिक चूंकि पुरुषों की चेस्ट फीमेल ब्रेस्ट जैसी दिखाई देने लगती है इसलिए उन्हें जिम जाने या किसी के सामने टी-शर्ट उतारने आदि में बेहद शर्म महसूस होती। साथ ही इससे आत्मविश्वास में बेहद कमी आती है इसलिए लोग यह सर्जरी करवा रहे हैं।

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