‘मुस्लिम भजन गाने से हिंदू नहीं बन जाता’, फरमानी नाज के शिव भजन पर हंगामा क्यों है बरपा?

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‘मुस्लिम भजन गाने से हिंदू नहीं बन जाता’, फरमानी नाज के शिव भजन पर हंगामा क्यों है बरपा?


‘मुस्लिम भजन गाने से हिंदू नहीं बन जाता’, फरमानी नाज के शिव भजन पर हंगामा क्यों है बरपा?

पिछले दिनों सिंगर फरमानी नाज का एक शिव भजन ‘हर हर शंभू’ सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया था। जहां इस भजन को खूब पसंद किया गया और लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों ने इस बात पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी कि मुस्लिम होते हुए फरमानी का हिंदू भजन गाना इस्लाम के खिलाफ है। इस मुद्दे पर जब विवाद बढ़ने लगा तो फरमानी नाज ने खुद सामने आकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को सख्त जवाब दिया है। ऐसा पहली बार तो नहीं है जब किसी मुस्लिम ने हिंदू भजन लिखा या गाया हो तो आखिर फरमानी नाज के शिव भजन गाने पर ‘कुछ’ लोगों को परेशानी क्यों हो रही है?

हिंदू भक्ति संगीत में बहुत रहा है मुस्लिमों का योगदान
भारत में फिल्मों और संगीत जगत में देखा जाए तो केवल मोहम्मद रफी ही नहीं बल्कि ऐसे कई मुस्लिम कलाकार सामने आएं जिन्होंने हिंदू भक्ति संगीत में अपना योगदान दिया है। साल 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ में Mohammed Rafi ने मशहूर भजन ‘मन तड़पत हरि दर्शन को आज’ गाया था। इस गाने को केवल एक मुस्लिम सिंगर ने आवाज ही नहीं दी थी, बल्कि गाने को लिखने वाले शकील बदायूंनी थे और इसे संगीत से नौशाद ने सजाया था। यानी हिंदू भक्ति संगीत के सबसे मशहूर भजनों में से एक को तैयार करने वाले तीनों ही लोग मुस्लिम थे। केवल यही नहीं बल्कि एक और मशहूर भजन ‘हरि ओम तत्सत’ को भी उस्ताद बड़े गुलाम अली खान ने अपनी आवाज दी थी।
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भजन गाने के लिए रमजान को मिला पद्म श्री
आज के दौर की बात करें तो Farmani Naaz ही नहीं बल्कि ऐसे कई मुस्लिम सिंगर्स हैं जो भजन गाते हैं। जैसे जयपुर के पास रहने वाले रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर का ही नाम लें। रमजान की सुबह की शुरुआत भजन से होती है। वह एक गौशाला में काम करते हैं और साल 2020 में ही उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा है। रमजान खान के एक भजन ‘गौ माता करे पुकार, गोपाल मेरी लाज बचालो’ काफी मशहूर रहा है।
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हिंदुओं ने भी दिया है इस्लामी भक्ति संगीत में योगदान
भारत में केवल ऐसा नहीं है कि मुस्लिम सिंगर्स ही हिंदू भक्ति गीत गा रहे हैं। मशहूर भजन सिंगर अनूप जलोटा ने ‘दास्तान-ए-करबला’ को अपनी आवाज दी है जिसमें इमाम हुसैन की शहादत की कहानी बताई गई है। इस बारे में बात करते हुए अनूप जलोटा ने कहा था, ‘मुझे कभी दास्तान-ए-करबला को आवाज देने के लिए किसी पंडित ने नहीं रोका तो इसी तरह किसी मुस्लिम के हिंदू भजन गाने पर उसे भी नहीं रोका जाना चाहिए।’ अनूप जलोटा तो पाकिस्तान तक में जाकर अपना कॉन्सर्ट कर चुके हैं।
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‘भजन गाने से कोई मुस्लिम, हिंदू नहीं बन जाता’
मुंबई की मीरा रोड के रहने वाले सिंगर फराज खान कई हिंदू मंदिरों और तीर्थस्थानों पर भजन गाते हैं। उन्होंने कहा, ‘भजन गाने के लिए मुझे काफी सम्मान मिलता है और ऐसा करने से मुझे कभी किसी ने नहीं रोका। आपको पता नहीं होगा कि मशहूर साईं भजन- बोलो सुबह, बोलो शाम, साईं राम, साईं श्याम को तीन मुस्लिम लोगों ने मिलकर तैयार किया था। इसे राशिद दमोही ने लिखा था और सुबूर खान ने इसका म्यूजिक दिया था।’ फराज खान ने आगे कहा, ‘अल्लाह बस ईश्वर का एक दूसरा नाम है और भजन गाने से कोई मुस्लिम, हिंदू नहीं बन जाता।’ क्या यह बात सुन रहे हैं फरमानी नाज का विरोध करने वाले कट्टरपंथी उलेमा?
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क्या हुआ है विवाद?
मुजफ्फरनगर की सिंगर फरमानी नाज सिंगल मदर हैं और तब सुर्खियों में आ गई थीं जब कुछ साल पहले उन्होंने सिंगिंग रिएलिटी शो ‘इंडियन आयडल’ में भाग लिया था। फरमानी के शिव भजन गाने पर देवबंद के एक मौलवी ने कहा था कि हिंदू भजन गाना शरीयत के खिलाफ है और इसके लिए फरमानी को अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए। जवाब में फरमानी ने कहा कि एक कलाकार का कोई धर्म नहीं होता है और उनसे पहले भी कई मुस्लिम सिंगर्स ने हिंदू भजन गाए हैं। वैसे यह बात सही भी है क्योंकि हिंदुस्तानी संगीत में कभी किसी भी कलाकार ने धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया है।
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फरमानी नाज ने जताया तीखा विरोध
नाज ने उलेमा को जवाब देते हुए कहा कि कई मुस्लिम शायरों, कंपोजर्स और सिंगर्स ने हिंदू भक्ति गीतों में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘संगीत का कोई धर्म नहीं होता। मोहम्मद रफी जैसे महान सिंगर्स ने भी हिंदू भजन गाए हैं।’ फरमानी नाज की बात ठीक भी है। जब मोहम्मद रफी ने हिंदू भजनों को अपनी खूबसूरत आवाज से सजाया तो किसी ने उस पर आपत्ति नहीं जताई थी लेकिन अब जब फरमानी ने एक शिव भजन को आवाज दी तो ये ‘धर्म’ के ठेकेदार कहां से आपत्ति जताने के लिए आ गए हैं।



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