मुझे कोई कंपोजर नहीं बोलना चाहता, महिला होने के नाते लड़ना पड़ता है: शिबानी कश्यप

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मुझे कोई कंपोजर नहीं बोलना चाहता, महिला होने के नाते लड़ना पड़ता है: शिबानी कश्यप


मुझे कोई कंपोजर नहीं बोलना चाहता, महिला होने के नाते लड़ना पड़ता है: शिबानी कश्यप

सिंगर, कंपोजर, म्यूजिशियन शिबानी कश्यप फिल्म इंडस्ट्री में जाना-माना नाम हैं। उन्होंने ‘सजना आ भी जा’, ‘जिंदा हूं मैं’ जैसे हिट गानों को गाया ही नहीं, बल्कि उन्हें कंपोज भी किया। जहां महामारी में वर्चुअल कॉन्सर्ट का चलन बढ़ा है, वहीं शिबानी ने एक कदम आगे मेटावर्स कॉन्सर्ट किया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने हमसे अपने कॉन्सर्ट, अपने दोस्त केके और करियर को लेकर बात की:

अपने म्यूजिक कॉन्सर्ट के बारे में आप हमें कुछ बताइए?

मेटावर्स में हमने जो कॉन्सर्ट किया हैं, मैं उसके रिस्पॉन्स को लेकर काफी उत्साहित हूं। मुझे लगता है कि मैंने पहली बार ऐसा कॉन्सर्ट किया है और ये किसी भी आर्टिस्ट का भारत का पहला मेटावर्स कॉन्सर्ट रहा है। वो कहते हैं ना कि झंडे गाड़ दिए तो मेरे लिए ये कॉन्सर्ट वैसी ही फीलिंग देता है। ऐसा लग रहा है, जैसे पहली बार चांद पर जाने का मौका मिला है। इसे कई लोगों ने अटैंड किया और ये काफी सफल भी रहा।

मेटावर्स कॉन्सर्ट क्या है और क्यों आर्टिस्ट अब धीरे-धीरे इस तकनीक वाले कॉन्सर्ट को पसंद कर रहे हैं? इसकी क्या वजह है?
महामारी के दौरान वर्चुअल कॉन्सर्ट के बारे में तो हर कोई जानने लगा था। मेटावर्स कॉन्सर्ट वर्चुअल कॉन्सर्ट से एक कदम आगे की तकनीक है। इसमें मेरा अवतार बनाया गया। मेरे जो फैंस होते हैं या दर्शक, वो अपना अवतार क्रिएट करके मेरे अवतार के साथ आकर ये कॉन्सर्ट देख सकते थे। तो उनको ऐसे ही लगा कि वो मेरे पास ही हैं और मेरे सामने ही खड़े हैं। ये तकनीक की बहुत बड़ी उपलब्धि है कि कलाकार अपने फैंस के साथ अपने अवतार के जरिए लाइव जुड़ता है। ये बहुत बड़ी बात है। आगे जाकर ये प्लैटफॉर्म काफी फेमस होने वाला है। हमारे फैंस भी इससे हमारे करीब रह सकेंगे और ये वन वे कम्युनिकेशन नहीं होगा, बल्कि टू वे कम्युनिकेशन होने वाला है। इसलिए मैं बहुत ही एक्साइटेड हूं। अभी हम भी इस तकनीक के बारे में सीख रहे हैं, तो धीरे-धीरे हमारी जानकारी इस बारे में बढ़ेगी। अभी हम ऐसी स्टेज पर हैं जहां हम भी सीखते-सीखते ही सीखेंगे कि आखिर ये क्या और कैसे होता है। दो साल पहले कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि हमारी ऑनलाइन मीटिंग्स होंगी या ऑनलाइन कॉन्सर्ट करेंगे। जरूरत की वजह से ये अविष्कार होते हैं और फिर वजूद में आते हैं।


आप लंबे समय से इंडस्ट्री से जुड़ी हैं। इतने सालों में आपने क्या बदलाव देखे इंडस्ट्री में?
आज तकनीक बदल चुकी है। वीडियो और ऑडियो दोनों तरह के प्लैटफॉर्म्स मौजूद हैं। तो इससे कलाकार को खुद का टैंलेट दिखाने का मौका मिलता है। पहले ऐसा होता था कि हम म्यूजिक डायरेक्टर या म्यूजिक कंपनी को कॉल करते थे कि हमें मौका दो, ऑडिशन ले लो, हमारा गाना रिलीज कर दो। जबकि आज हम खुद का लेबल डिजिटली बना सकते हैं। आज एक क्लिक पर आप अपने टैलेंट को दुनिया में दिखा सकते हैं। कोई भी किसी कंपनी या डायरेक्टर पर निर्भर नहीं है।

आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि इंडस्ट्री महिला होने के नाते अभी तक आपको कंपोजर के तौर पर एक्सेप्ट नहीं कर पाई है? ऐसा आपने क्यों कहा, क्या कोई ऐसा अनुभव रहा है?
देखिए मेरे जितने भी सुपरहिट गाने आए हैं, जैसे ‘जिंदा हूं मैं’, ‘सजना आ भी जा’, ‘महारथी’ और बहुत सारे गाने जिसकी वजह से लोग मुझे जानते हैं, वो गाने मैंने सिर्फ गाए ही नहीं हैं, बल्कि मैंने कंपोज भी किए हैं। मुझे इंडस्ट्री में बहुत ही मुश्किल से कभी इस चीज के लिए सराहना मिलती है कि शिबानी कंपोजर भी है। सब सिंगर बोलते हैं लेकिन कोई एक कंपोजर के तौर पर मेरी पहचान नहीं रखना चाहता। तो मुझे बार-बार लोगों को याद दिलाना पड़ता है कि मैं कंपोजर भी हूं, ये गाना मैंने कंपोज भी किया है। मैं म्यूजिशियन भी हूं, गिटार प्लेयर हूं। मुझे लगता है कि इसके लिए हमें फाइट करनी पड़ेगी। आज भी मुझे लोगों को बताना पड़ता है कि ये गाना मैंने कंपोज किया है, तो वो कहते हैं कि कहां लिखा है, कहां क्रेडिट है? तब उनके सामने ये प्रूफ करना मुश्किल होता था।


आपके पुराने दोस्त केके पिछले दिनों दुनिया से चले गए। उन्हें किन शब्दों में याद करना चाहेंगी?
मेरा बचपन उनके साथ ही गुजरा है। जब हमारे करियर की शुरुआत हो रही थी, तो वो अपने घर से मुझे अपनी बाइक पर लेने आते थे। हम साथ में रिकॉर्डिंग करने जाते थे। हमने अपने करियर की शुरुआत में शांतनु मोत्रा, केजे सिंह के लिए बहुत सारे जिंगल्स गाए थे। मैं कहना चाहूंगी कि वो इतने खुशमिजाज और हंसमुख इंसान थे कि उनके साथ एक भी पल उदासी भरा नहीं होता था। उनके साथ काम करने में मजा आता था। इतना ही नहीं, वह काफी अनुशासन वाले भी थे। कभी ठंडा पानी नहीं पीते थे। सर्दी के सीजन में वो मफलर, टोपी सब पहनकर रहते थे कि कहीं उनका गला खराब ना हो जाए। काफी सकारात्मक और प्यारे इंसान थे। उनका दिखावे वाला व्यवहार नहीं था कि वो एक स्टार हैं, तो वो ये करेंगे, वो नहीं करेंगे। वो सामान्य रहन-सहन वाले व्यक्ति थे।

आपके दिल में उनकी कोई खास याद? मुझे याद है कि जब उन्होंने अपना पहला गाना (तड़प-तड़प के इस दिल से) बॉलीवुड के लिए रिकॉर्ड किया था, तो उनका फोन आया मेरे पास। वो एक बच्चे की तरह साउंड कर रहे थे। उन्होंने कहा, यार, शिब्श (शिबानी) आज जानती हो क्या हुआ? मैंने पूछा क्या हुआ, तो केके ने कहा कि अरे यार मैंने आज बॉलीवुड के लिए एक गाना रिकॉर्ड किया। क्या तुम यकीन कर सकती हो। उस दिन वो दिल्ली आए हुए थे। वो ही गाना उनकी जिंदगी में उनकी बड़ी पहचान बन गया। लेकिन मुझे लगता है कि वो जो उनकी एक्साइटमेंट थी, वो हम सबको सीखनी चाहिए कि वो चाहे जितने बड़े स्टार थे, लेकिन वो हर बार जब गाना रिकॉर्ड करते थे, वो उस गाने को सामान्य नहीं समझते थे, वो हमेशा उस एक बच्चे की तरह एक्साइटेड रहते थे।


कंपोजर के तौर पर आपका स्ट्रगल महिला होने की वजह से रहा या फिर आउटसाइडर्स वाली कोई बात है?
जब मैंने जब करियर की शुरुआत की थी तब मुझे ऐसे ही रिएक्शन मिला करते थे कि अरे, तुम महिला हो तुम्हे तो सिंगर बनना चाहिए, आप क्या कंपोजिंग में पड़ गईं। कहीं ना कहीं मुझे लगता है कि एक औरत होने की वजह से एक रोड़ा तो पैदा हो ही जाता है। लेकिन आज की तारीख में लोग फीमेल कंपोजर की सराहना कर रहे हैं, बहुत से महिला कंपोजर इंडस्ट्री में हैं। जब मैंने शुरुआत की थी, तब मुझे नहीं लगता कि मेरे अलावा कोई फीमेल सिंगर थी, जो गिटार बजाती हो या खुद के गाने कंपोज करती हो। ये एक लड़ाई है जो हमें खुद से लड़नी होगी।

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपको खुद ही कहना पड़ा हो कि ये मेरा गाना है मुझे इसमें क्रेडिट चाहिए?

मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती हूं। कई बार ऐसा हुआ है कि कुछ म्यूजिक डायरेक्टर्स को जब मैंने अप्रोच किया कि मैं आपके साथ काम करना चाहती हूं, तो वो कहते थे कि आप तो खुद ही कंपोजर बनी हुई हैं, तो आप हमारे लिए क्या गाएंगी? तब मुझे लगा कि मेरे लिए वहां के दरवाजे बंद हो चुके हैं क्योंकि मैं कंपोज भी करती हूं। लेकिन मुझे ये नहीं पता कि ऐसा व्यवहार किस कारण है। मुझे याद है कि कई दफा मुझे मीडिया एजेंसीज ने भी कहा था कि आप अपना नाम कंपोजर में मत डालो, आप सिर्फ सिंगर लिखो, वरना आपको काम नहीं मिलेगा। तो ये बहुत लोगों ने बहुत बार बोला। तब मैं सोचती थी कि मैं अपने काम को क्यों छुपाऊं जब लोगों को मेरा काम पसंद आ रहा है। जब मैं अपने काम पर गर्व करती हूं तो मैं क्यों इसे छुपाऊं! उस वक्त ज्यादातर लोगों का नजरिया रहा है कि कंपोजर की वजह से मुझे काम नहीं मिलेगा। हालांकि मैंने किसी की नहीं सुनी। मैंने अपनी सुनी और उसी के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़ी। मुझे लगता है कि मैंने ऐसा करके अच्छा किया क्योंकि जितने भी मेरे फॉलोवर्स हैं, उनकी तादाद और बढ़ी। आज मुझे लोग सिंगर, म्यूजिशियन और कंपोजर के तौर पर पहचानते हैं।





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