मुजफ्फरपुर: 1573 करोड़ के घोटाले में 165 सीओ तक पहुंची जांच की आंच, राइस मिल खा गईं करोड़ों का धान

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मुजफ्फरपुर: 1573 करोड़ के घोटाले में 165 सीओ तक पहुंची जांच की आंच, राइस मिल खा गईं करोड़ों का धान

मुजफ्फरपुर: 1573 करोड़ के घोटाले में 165 सीओ तक पहुंची जांच की आंच, राइस मिल खा गईं करोड़ों का धान


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राज्य में 2011 से 2014 के बीच हुए 1573 करोड़ के धान घोटाले की जांच में अब सूबे के तत्कालीन 165 सीओ से पूछताछ होगी। इन तीन वर्षों की अवधि में ही मुजफ्फरपुर के 31 समेत राज्य के 203 धान मिलों पर घोटाला करने का आरोप है। पुलिस मुख्यालय की मांग पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव कंचन कपूर ने सभी डीएम से तत्कालीन सीओ के स्थायी पते की मांग की है। विभाग के संयुक्त सचिव ने सभी डीएम से कहा है कि पुलिस मुख्यालय को मामले में संबंधित सीओ के स्थायी पते की जरूरत है। कई अंचलाधिकारी वरीय अधिकारियों में प्रोन्नत हो गए हैं।

इतना ही नहीं, इनमें से बड़ी संख्या में तत्कालीन अंचलाधिकारी रिटायर भी हो चुके हैं। पुलिस को उनसे पूछताछ के लिए उनके घर तक जाना होगा। स्थायी पता उपलब्ध न होने के कारण पुलिस उन तक नहीं पहुंच पा रही है। सभी डीएम को उस समय तैनात अंचलाधिकारी के वर्तमान तैनाती स्थल के साथ स्थायी पता की सूची एक सप्ताह में देने को कहा गया है, ताकि मामले की जांच आगे बढ़ायी जा सके।

जांच के दायरे में सूबे की 203 मिल

राज्य में चावल मिलों को अग्रिम के रूप में एसएफसी से धान की आपूर्ति की गई थी। मिलों को इन धान को चावल में बदलकर एसएफसी को वापस करना था, लेकिन करोड़ों का धान अग्रिम लेने के बाद राइस मिल उसे पचा गए और चावल वापस नहीं किया। राज्य में ऐसी 203 मिलों पर एफआईआर दर्ज करायी गई। इसमें मुजफ्फरपुर के 20 मिल शामिल हैं, जिनपर कार्रवाई चल रही है।

मुजफ्फरपुर के इन मिलों में जयमाता राइस मिल, रायगंज फुड ग्रेन प्रोडक्ट, ऐरीना एग्रो इंडस्ट्रीज, वैशाली एग्रो राईस मिल, सरस्वती राईस मिल, लालजी राईस मिल शिवम राईस मिल, बसंत मिनी राईस मिल, भारद्वाज इंडस्ट्रीज, जेएन राईस मिल, दुर्गा राईस मिल, चंदन राईस मिल, श्रीराम कुटीर उद्योग, बालाजी फुड प्रोडक्ट, एमएम एग्रोटेक, कामाख्या राईस मिल, पटियासा पैक्स राईस मिल, सरस्वती राईस मिल आदि के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, मुजफ्फरपुर के 11 मिलों पर एसडीओ कोर्ट में मामला चल रहा है। इन 11 मिलों का नाम भी पहले दर्ज प्राथमिकी में था। इन मिलरों द्वारा आंशिक रूप से राशि का भुगतान किए जाने पर इनका मामला नीलामवाद के लिए एसडीओ कोर्ट में स्थानांतरित हो गया।

अपराध अनुसंधान विभाग कर रहा जांच

पूरे मामले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव करा रहे हैं। उन्होंने जांच के क्रम में सीओ से संबंधित जानकारी नहीं मिलने के बाद राजस्व विभाग को पत्र लिखा है। उन्होंने विभाग से कहा है कि अंचलाधिकारियों का स्थायी पता एक सप्ताह के अंदर मिलना चाहिए, ताकि जांच जल्द से जल्द पूरी की जा सके। उन्होंने आशंका जतायी है कि पूछताछ में देरी होने पर सबूत जुटाना मुश्किल हो जाएगा और आरोपित मिलर साक्ष्य मिटा सकते हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि देरी होने पर संबंधित अंचलाधिकारी की जिम्मेवारी तय करना कठिन हो जाएगा।

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